देश के लिए कुछ करना या खेलना स्वयं में गर्व की बात है। अगर कोई खिलाड़ी अपने देश के लिए विदेश में जाकर मैडल जीत लाएं, तो पूरा देश उस पर फक्र महसूस करता है। लेकिन अगर वही खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीतने के बाद भी अपनी जिंदगी में दर-दर की ठोकरें खाते फिरे, तो उस खिलाड़ी को कैसा महसूस होगा? ठीक ऐसा ही पंजाब के राजबीर सिंह के साथ हुआ है।
2015 में राजबीर सिंह ने अमेरिका में स्पेशल ओलंपिक विश्व ग्रीष्मकालीन खेलों में हमारे देश के लिए 2 गोल्ड मेडल जीते थे। तब उन्हें पंजाब के चीफ मिनिस्टर प्रकाश सिंह बादल के द्वारा सम्मानित किया गया था। यहां तक कि यह ऐलान भी हुआ कि राजबीर सिंह को 15 लाख रुपए पुरास्कार दिये जायेंगे परंतु उनके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ और वह आज रास्ते पर ठोकरे खा रहे हैं।
राजबीर सिंह अपने परिवार के साथ सिहाड गांव में रहते हैं। आज एक वर्ल्ड चैंपियन खिलाड़ी जो देश के लिए गोल्ड मैडल लाया है वो एक- एक पैसे और रोटी के लिए मोहताज है।
राजबीर और उनके परिवार को कोई पूछने वाला नहीं है। सरकार ने सिर्फ एलान कर एक दिखावा किया। जब वह गेम की प्रैक्टिस कर रहे थे उस समय उनके सिर में चोट लगी थी, राजबीरके परिवार के पास पैसे नही थे तो उन्होंने कर्ज लेकर उनका इलाज कराया। सिर मे चोट के कारण उनके इलाज में लगभग लाखों रुपए खर्च हुए। अब हालात ऐसा है कि राजबीर सिंह को अपना पेट भरने के लिए और घर का खर्च चलाने लिए दिहाड़ी मजदूरी कर रहे हैं। बड़ी कठिनाई से वो अपना रोजी रोटी चला रहे हैं।हालांकि कुछ लोग मदद के लिए आगे आए हैं लेकिन उससे उन्हे कोई फायदा नही है। एक तो महँगाई उपर से कोरोना काल की परेशानियों से सब अलग ही जूझ रहें हैं।
न्यूज 18 से बात करते हुए,राजबीर के पिता ने बताया कि उन्होंने सरकार से अपील की है, की सरकार उनकी मदद करें और सरकार ने जो वादा किया है उसे भी निभाए । सरकार ने अब तक उनकी कोई मदद नहीं की और ना ही उनका हालचाल पूछा है। राजबीर के इलाज के लिए जो पैसे लगे थे वह एक एनजीओ से इनके परिवार ने लिया था।
राष्ट्र का मान-सम्मान बढाने वाले खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार निंदनीय है।