खेती करने का काम केवल किसानों का ही है, यह जरूरी नहीं। हां जो व्यक्ति खेती करते है उन्हें हम किसान कह सकते हैं। आज कल के युवाओं में भी किसान बनने का जज़्बा देखा जा रहा है। इसके लिए लोग शहर की ऐश-ओ-आराम की ज़िंदगी छोड़कर हंसी खुशी से गांवों में अपना आशियाना बना रहे हैं। कई युवा खेती के विशेष गुर सिख कर आधुनिक तरीक़े से खेती कर रहे है तो कई अपनी नौकरी छोड़कर अपनी मिट्टी को संजोएं रखने का काम कर रहे हैं। ऐसे ही एक युवा किसान है राजीव बिट्टू जो CA की नौकरी छोड़ खेती से लाखों कमा रहे हैं।
परिचय
राजीव बिट्टू (Rajeev Bittu) बिहार (Bihar) के गोपालगंज (Gopalganj) के रहने वाले हैं। इनके पिता बिहार सरकार द्वारा निर्मित सिंचाई विभाग में इंजिनियर है। राजीव अपनी शुरुआती शिक्षा बिहार से ही प्राप्त किए और आगे की पढ़ाई के लिए झारखंड चले गए। वह हजारीबाग (Hazaribagh) में एक सरकारी हॉस्टल में रहकर पढ़ाई किए, उसके बाद रांची से आईआईटी (IIT) की पढ़ाई किए जिसमे असफल रहे। फिर आगे बीकॉम में नामांकन कराए और CA के लिए भी एनरोलमेंट कराए। राजीव अपनी CA की पढ़ाई कर 2003 में सफलता प्राप्त किए। वह वर्तमान में किसानों के लिए “अंकुर रूरल एंड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसाइटी” ( Ankur Rural And Trible Development Society) नाम से एक NGO भी चलाते हैं।
CA की नौकरी छोड़ करते है खेती
राजीव बिट्टू (Rajeev Bittu) CA की नौकरी को ठुकरा दिए क्योंकि वह खेती में अपना करियर बनना चाहते थे। वे झारखंड (Jhankhand) की राजधानी रांची (Ranchi) के ओरमांझी (Ormanjhi) ब्लॉक में लीज पर खेती करना प्रारंभ किए। राजीव किसानों कि मेहनत को बख़ूबी समझते है। किसान ठंडी, गर्मी, बरसात और धूप में कड़ी मेहनत कर अन्न उपजाते हैं। ऐसे में अगर आधुनिकीकरण को बढ़ावा दिया जाए तो आम किसानों को भी राहत मिलेगी।
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कैसे आया खेती करने का ख़्याल
राजीव अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 40,000 की मासिक वेतन पर नौकरी कर रहे थे। राजीव की शादी 2003 में एक प्लास्टिक इंजिनियर रश्मि सहाय से हुई। इनकी ज़िन्दगी भी ऐश-ओ-आराम से व्यतीत हो रही थी। साल 2013 में राजीव अपनी बेटी को लेकर अपने गांव गोपालगंज गए। उनकी बेटी भी वहां के माहौल में काफी खुश रहने लगी, जिसे देखकर राजीव को भी बहुत खुशी होती थी। लेकिन एक समय उनकी बेटी ने एक किसान के गोद में जाने से मना कर दिया क्योंकि वह उसके कपड़ों में लगे मिट्टी से दूर रहना चाहती थी, जिसे देखकर राजीव को काफी बुरा लगा और तभी से वह खेती करने का निर्णय लिए।
लीज पर जमीन लेकर शुरू किए खेती
राजीव ने खेती करने की योजना तो बना ली, साथ ही खेती से जुड़े बहुत सारी जानकारियां भी प्राप्त कर लिए। वे अनेकों किसानों से मिलकर शिक्षकों से सहायता लेकर खेती का गुर सीखे। सबसे बड़ी समस्या थी कि उनके पास ख़ुद की जमीन नहीं थी जिसके लिए वह लीज पर जमीन लेकर खेती करना प्रारंभ किए जो रांची से 28 किलोमीटर दूर एक गांव में है। इसके लिए कागजाती कार्यवाही भी हुईं, सारे शर्तों और नियमों के साथ एक किसान ने 10 एकड़ जमीन राजीव को लीज पर दिया।
करते है जैविक तरीके से खेती
राजीव ने लगभग ढाई लाख रुपए खर्च कर जैविक खेती करना प्रारंभ किए, जैविक उर्वरक का उपयोग कर 7 एकड़ ज़मीन में तरबूज और ख़रबूज़ लगाए। कड़ी मेहनत के बाद समय के साथ उनकी फसल तैयार हुए और 19 लाख रुपए की बिक्री भी हुई जिसमें उन्हें सात से आठ लाख रुपए का मुनाफा भी हुआ। इससे उनका मनोबल काफी बढ़ गया और खेती के अलग-अलग तरकीब अपनाने लगे। अपने प्रयास में सफल होने के बाद राजीव 15 मजदूरों को भी खेत में काम करने के लिए अपने साथ रखें। धीरे-धीरे लक्ष्य बढ़ता गया। आज उनकी चाहत है कि वह साल में करोड़ों का टर्नओवर करें जिसके लिए वे 13 एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती करते हैं। उनकी मेहनत रंग लाती गई, आगे बढ़ते गए और साल 2016 में 40-50 लाख का व्यवसाय किए। बढ़ते मुनाफे को देखते हुए कुचू गांव में और तीन एकड़ जमीन लीज पर लेकर करने लगे खेती। वहां राजीव सब्ज़ियों की खेती करते हैं। राजीव बिट्टू को उनके मित्र देवराज और शिवकुमार से भी पूरी मदद मिलती है।
एक तरफ़ लोग अपने मिट्टी से दूर शहर की ओर रुख मोड़ रहे है, वहीं राजीव बिट्टू जैसे लोग भी हैं जो मिट्टी से जुड़कर काम कर रहे हैं। इनके द्वारा किया गया कार्य बेहद प्रशंसनीय है, जिसके लिए The Logically आभार व्यक्त करता है।