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36 वर्षो में 12 सुखी नदियों को पुनर्जीवित कर चुके हैं ! जल पुरुष -राजेंद्र सिंह

जल इंसानों को प्रकृति द्वारा दिया गया अमूल्य उपहार ! जो इंसानों के साथ सम्पूर्ण प्राणीजगत की जिंदगी सिंचित करता है ! आज आधुनिकता भरे युग में नदी , तालाब व अन्य जल स्रोत या तो खत्म हो चुके हैं या जो कुछ हद तक बचे हैं वे भी प्रदूषित हो चुके हैं ! ऐसे में लोगों को पीने के पानी से लेकर कृषि सहित अन्य कार्यों के लिए भी भूमिगत जल की जरूरत बढी है ! जल स्रोतों के अभाव के कारण निरन्तर जल-स्तर नीचे की ओर जा रहा है या कहें कि खत्म होता जा रहा है ! पानी की इतनी महत्ता के बावजूद भी इंसानों द्वारा पीने योग्य जल के अनावश्यक दोहन और बर्बादी से समस्या जटिल होती जा रही है ! इस परिस्थिति में जल का संरक्षण करना नितांत आवश्यक है ! आज से 39 वर्ष पूर्व पानी की बड़ी आवश्यकता को समझकर व तत्कालीन गहराती समस्या से आहत होकर उसके संरक्षण हेतु युद्ध स्तर पर कार्य करने वाले एक महान पर्यावरणविद् हैं राजेन्द्र सिंह ! जिनका जीवन एक प्रेरणा का ग्रंथ सरीखा है !

राजेन्द्र सिंह एक दृढ इरादे और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित व्यक्तित्व का नाम है ! राजेन्द्र जी का जन्म 6 अगस्त 1959 को उत्तरप्रदेश के वागपत जिले में हुआ था ! हाई स्कूल पास करने के बाद उन्होंने आयुर्विज्ञान में डिग्री हासिल की और जनसेवा के उद्देश्य से अपने गाँव में ही कार्य करना शुरू किया ! 

अपने साथियों के साथ – राजेंद्र सिंह

जल संरक्षण कार्य की शुरुआत

स्वभाव से परोपकारी राजेन्द्र जी आम लोगों की तरह अपनी जिंदगी संकुचित कर जीना नहीं चाहते थे ! सन् 1981 का साल जब उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी , घर का सामान बेचकर लगभग 23 हजार रूपए जुटाए और समाज सेवा के कार्य में जुट गए ! उन्होंने संकल्प लिया कि वे जल समस्या के निराकरण हेतु कार्य करेंगे जिससे उस संकट से उबरा जाए ! राजेन्द्र जी कहते हैं “पानी की कीमत रूपये से नहीं , जिंदगी से है ! पानी के हर बूँद में प्राण है” ! इस कार्य में उनके चार और दोस्त (नरेन्द्र , सतेन्द्र , केदार , व हनुमान) साथ आए ! राजेन्द्र जी ने जल संरक्षण हेतु राजस्थान के पारम्परिक जल-संग्रह तरीका “जोहाड़” को बढ़ावा दिया ! 1985 में इन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर “तरूण भारत संघ” नामक संस्था की स्थापना की और पहली बार राजस्थान के गोपालपुरा गाँव में वर्षा के पानी को एकत्र कर तालाब बनाया उसके बाद इन्होनें कई सूखे तालाबों और नदियों को वर्षा के पानी के एकत्रिकरण द्वारा जीवंत करने का कार्य शुरू किया और आज 36 वर्ष पश्चात अब तक उन्होनें 12 सूखी नदियों के साथ कई तालाबों को जिंदा कर दिया ! उनका कहना है कि नदियों और तालाबों को बचाकर हीं हम भूमिगत जल के स्तर को कायम रख सकते हैं ! 1985 में भारत सरकार ने जिस क्षेत्र को डार्क जोन घोषित कर दिया था उसे राजेन्द्र सिंह ने कई लोगों के सहयोग से अपने अथक परिश्रम से जल की समस्या को दूर किया और भारत सरकार उस क्षेत्र को आज व्हाइट जोन के रूप में घोषित किया !

जल पुरूष के नाम से हैं प्रसिद्ध

राजेन्द्र सिंह ने जल के संरक्षण हेतु अपनी जिंदगी का अधिकतर हिस्सा समर्पित कर दिया है ! पानी की बूँद तक में प्राण की अनुभूति करने वाले राजेन्द्र सिंह भूमिगत जल-स्तर की भीषण समस्या के निराकरण हेतु कई नदियों , तालाबों व अन्य जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया है ! जल के संरक्षण हेतु अति सराहनीय और अनुकरणीय कार्य करने के कारण इन्हें “जल पुरूष” के नाम से जाना जाता है !

जल_संरक्षण जैसे महान कार्य के लिए उन्हें “रमन मैग्सेस पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है ! राजेन्द्र सिंह आज भी जल संरक्षण के उपायों के क्रियान्वयन में सक्रिय हैं ! विभिन्न संस्थानों , स्थानों पर व्याख्यानों , भाषणों और जागरूकता से लोगों को जल संरक्षण के प्रति प्रेरित कर रहे हैं ! आज जब भारत की दो-तिहाई छोटी नदियाँ सुख चुकी हैं ऐसे में राजेन्द्र जी के कार्यों को सीखकर उसे अविलम्ब करने की आवश्यकता है !

Vinayak is a true sense of humanity. Hailing from Bihar , he did his education from government institution. He loves to work on community issues like education and environment. He looks 'Stories' as source of enlightened and energy. Through his positive writings , he is bringing stories of all super heroes who are changing society.

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