भारत एक कृषि प्रधान देश है, यह बात हम सब भली-भांति जानते हैं। लेकिन आजकल ज्यादातर लोग शहरों के चकाचौंध में अपनी जिंदगी व्यतीत करने की राह में लगे हुए हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो शहरी जिंदगी छोड़कर गांव में सुकून ढूंढते हैं। अपने गांव की मिट्टी से सोना उपजाने का हर संभव प्रयास करते हैं और सफल भी होते हैं। आज हम एक ऐसे किसान की कहानी लेकर आए है, जो कृषि कार्य में बहुत ही सफलता हासिल किए हैं। उन्हें तीन राष्ट्रपतियों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। आइए जानते है कौन है वह अन्नदाता –
कैसे आया खेती करने का ख्याल
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के राजकुमार राठौर एक ऐसे किसान है जिन्हें कृषि कार्य में महारत हासिल करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मान प्राप्त हो चुका है। आज शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो राजकुमार को नहीं जानता हो। राजकुमार जैन खासकर अरहर की उन्नत किस्म विकसित करने के लिए जाने जाते हैं। वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। किसान परिवार में जन्म लेने के कारण राजकुमार ने बचपन से ही खेती को बहुत करीब से देखा और और खुद भी कृषि कार्य में लीन हो गए।
राजकुमार को बचपन से ही उनके दादाजी खेती का गुर सिखाया करते थे। उन्हीं के बताए हुए मार्ग पर राजकुमार ने कदम रखा। खेती की सारी प्रक्रिया दादा जी से सीखने के बाद राजकुमार ने कृषि विज्ञान की भी पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान उन्हें पता चला कि जो गुर वह अपने दादा जी से सीखे हैं वह कहीं इससे बेहतर है और ग्यारहवीं के बाद फर्स्ट ईयर की में दाखिला लेने के बाद वह अपने गांव लौट गए और कृषि की बागडोर संभालने लगे।
राजकुमार मात्र 18 साल के उम्र से ही कृषि कार्य करने लगे। वह खेती के साथ-साथ बगीचे में भी रुचि रखते है। राजकुमार अपने 18 एकड़ जमीन में बगीचा लगाए हैं जिसमें आम, लीची, नींबू, कटहल, संतरे, नारियल, चीकू, मौसमी और अंगूर का पौधे लगाए, जो उनके अच्छी आमदनी का स्त्रोत बना।
बीजों के चयन से हुई शुरुआत
खेती के लिए वह हमेशा उन्नत किस्म के बीजों का ही उपयोग करते है। राजकुमार को उनके दादा जी ने सिखाया था कि सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के समय काले चिटें और मधुमक्खियां फसलों पर ज्यादा ही भर्मण करते हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए वह खेती के तरफ अपना रुझान बढ़ाते थे। आगे राजकुमार बीजों के चयन में महारत हासिल किए और अपनी बीज प्रणाली विकसित करने लगे। सारे कामों में उनकी पत्नी भी पूरा सहयोग करती थी।
पेटेंट के लिए आईं मुश्किलें
धीरे-धीरे राजकुमार की सफलता की कहानी लोगों तक पहुंचने लगी। देश की पत्रिकाओं में भी इनकी कहानियां छपने लगी। आगे अलग-अलग जगह से और भी किसान, कृषि विभाग, विश्वविधालय राजकुमार से बीज के लिए संपर्क करने लगे। लेकिन उस समय उनके पास कोई रजिस्ट्रेशन या पेटेंट नहीं था, जिसके कारण बीजों की डिलीवरी में असुविधा होती थी। उस समय देश में किसान के वैरायटी को पंजीकृत किया जाने जैसा कोई कानून नहीं था। काफी मुश्किलों के बाद अंततः राजकुमार को फरवरी 2015 में अपनी किस्म के लिए पेटेंट मिल गया।
अनेकों किस्म के बीज किए तैयार
राजकुमार के अनुसार साल 2000 के करीब बहुत से पत्रकारों द्वारा उनके बीज का नाम पूछा जा रहा था लेकिन वह अपने बीज का कोई नाम नहीं दिए थे। आगे वह अपने बीज का नाम अपनी बेटी रिचा के नाम पर “रिचा 2000” रखे। कई लोग राजकुमार से संपर्क करके रिचा 2000 बीज के लिए आर्डर देने लगे। धीरे-धीरे इनकी कृषि प्रणाली काफी विकसित हुई। आर्डर मिलने पर वे अपने अनेकों तरह के बीजों का प्रदर्शन करते थे जिससे लोगों को अच्छी किस्म की बीज प्राप्त होने लगी और राजकुमार को मुनाफा होने लगा। प्रयास यहीं तक नहीं रुका आगे भी रिचा 2000 में अलग-अलग प्रयास जारी रहे और वह हर साल कुछ नया विकसित करते रहे। वे एक और भी उन्नत किस्म के बीज तैयार किए जिसका नाम “रिचा 2001 ब्यूटी ब्लैक” रखे। साथ ही वह अमरूद के “सिद्धि विनायक” किस्म भी तैयार किए।
खेती के लिए बनाए यंत्र
नए-नए बीजों के किस्म तैयार करने के साथ ही राजकुमार गरीब किसानों की मदद के लिए कृषि यंत्र का भी आविष्कार किए। वह भोपाल के कृषि अभियांत्रिकी संस्थान से प्रेरणा लेकर सोयाबीन की खेती को आसान बनाने के लिए पैर से दबाने वाला कुल्था बनाया। जिसको बनाने के लिए कबाड़ में पड़े पुराने जीप को मोटरसाइकल से अटैच किया गया। जिससे किसानों को काफी मदद मिली।
मिले कई सम्मान
नेशनल फाउंडेशन की तरफ से राजकुमार का साल 2007 में अवार्ड के लिए चयन किया गया। NIF द्वारा संचालित प्रदर्शनी के तहत राजकुमार को साल 2007 में हीं राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित किया गया। साल 2011 में केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार द्वारा भी सम्मान मिला। आगे 2014 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा भी राजकुमार सम्मानित किए गए।
राजकुमार से संपर्क करने के लिए दिए गए नम्बर अथवा ईमेल पर का उपयोग कर सकते है।
मोबाइल नंबर – 09406528391
ईमेल – pigeonpea2000@gamil.com
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