शिक्षा का हमारे जीवन में बेहद महत्व है, यह एक ऐसा हथियार है जिससे हम अपने जीवन में फर्श से अर्श तक का सफर तय कर सकते हैं। यह हमें सही-गलत में भेद बताने के साथ-साथ जीवन का महत्व भी समझाती है। किसी भी देश के विकास और समाजिक सुधार में शिक्षा का अहम रोल होता है।
विद्या के मह्त्व को समझते हुए एक पुलिसवाले ने बेहतरीन पहल किया है, जो कईयों के जीवन मे उजाला लेकर आएगा। इस पुलिसवाले ने अपने नेक पहल से भीख मांगने वाले हाथों में कटोरे की जगह किताब थमा दी और कचरा बीनने वाले के पीठ पर बोरे के स्थान पर स्कूल बैग्स का भार सौंप दिया। इसी कड़ी में आइए जानते हैं इस प्रेरणादायक पुलिसवाले के बारें में विस्तार से।
दरअसल, धर्मवीर जाखड़ (Dharmveer Jakhar) जो राजस्थान के चुरू जिले (Churu) के पुलिस विभाग में वर्ष 2011 में कॉन्टेबल के पद पर भर्ती हुए है, शिक्षा के माध्यम से गरीब बच्चों के जीवन में खुशिया लाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके अनुसार, यदि देश से गरीबी मिटाने के लिए शिक्षा का प्रसार होना बहुत जरुरी है। इसी के जरिए देश के गरीबों का कल्यान हो सकेगा और वे अच्छे से अपनी जिविकोपार्जन कर सकेंगे। इससे देश का बेहतर से विकास होगा और गरीबी भी कम होगी।
आप लगभग हर जगह बच्चों को कचरे बीनते और सड़क किनारे भीख मांगते देख सकते हैं, भारत मे यह तस्वीर बेहद सामान्य बन चुकी है। इससे यह अंदाजा लगया जा सकता है कि आधुनिकरण के इस युग में भी बच्चे जो भारत का आनेवाला भविष्य हैं, उनका भविष्य किस ओर जा रहा है। इन्हीं सब बातों पर विचार-विमर्श और उनके मह्त्व को समझते हुए धर्मवीर चुरू जिले में वैसे बच्चों के जीवन में शिक्षा रूपी प्रकाश फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, जो शिक्षा से कोसो दूर हैं और जिनका बचपन कचरा बीनने और भीख मांगने में गुजर रहा है।
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चुरू जिले के रहनेवाले धर्मवीर ने 1 जनवरी 2016 में गरीब बच्चों के कल्यान हेतु “आपणी पाठशाला” (अपनी पाठशाला) (Aapni Pathshala) नामक एक विद्यालय की स्थापना किए। इस स्कूल की विशेषता यह है कि यहां गरीब और आर्थिक तंगी का सामना करनेवाले बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जाती है। चुरू के महिला पुलिस स्टेशन के पास स्थित इस स्कूल में अभी 450 बच्चों में शिक्षा का अलख जगाया जा रहा है, जो बेहद सराहनीय पहल है।
वैसे तो हमारे देश में बच्चों को 14 वर्ष की उम्र तक मुफ्त में शिक्षा देने का प्रावधान है। लेकिन इसके बावजूद भी अनेकों बच्चों की आर्थिक स्थिति तंग होने की स्थिति में उनके साथ कचड़ा बीनने और भीख मांगने की नौबत आ जाती है और वे इस काम में लिप्त हो जाते हैं। इस वजह से वे शिक्षा से दूर होते चले जाते हैं और उनका जीवन अन्धाकारमय हो जाता है। ऐसे में धर्मवीर द्वारा स्थापित अपनी पाठशाला (Aapni Pathshala) विद्यालय में गरीब बच्चों को शिक्षा दिया जाता है जो गरीबी के कारण पढ़ाई से वंचित रहते हैं। बता दें कि, बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, किताबें और अन्य अध्ययन सामग्री मुहैया कराई जाती है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, धर्मवीर कहते हैं कि, उन्होंने जब कचरा बिनने और भीख मांगने वालों बच्चों से बातचीत किया तो उन्हें पता चला कि इनके न ती पैरंट्स हैं और ना ही कोई सगे-सम्बन्धी। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि बिना किसी अपने के सहारे जीवन व्यतीत करना कितना कठिन कार्य है, खासकर छोटे-छोटे बच्चों के लिए। बच्चों के बारें में जानकर एक पल के लिए उन्हें लगा कि वे सच नहीं बोल रहे, ऐसे में जब उन्होंने उनकी बस्ती का दौरा किया तो जानकारी मिली कि बच्चे झूठ नहीं बोल रहे थे।
बच्चों के बारें में जानने के बाद उन्होंने विचार किया कि यदि ऐसे बच्चों की मदद न की जाए, तो उनका पूरा जीवन अंधकारमय हो जाएगा और वे ऐसे ही जीवन के अन्त तक भीख मांगते रह जाएंगे। इसी नेक सोच के साथ वे उन बच्चों को रोजाना 1 घन्टे पढ़ाने का काम शुरु कर दिए।
वर्तमान में आपणी पाठशाला (Aapni Pathshala) में बच्चों को 7 वीं कक्षा तक की शिक्षा दी जाती है, जिसमें 5 वीं कक्षा तक में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 360 है और 6-7 वीं कक्षा में 90 छात्र हैं। कई बार स्कूल दूर होने और साधन उप्लब्ध न होने के वजह से बच्चे विद्यालय नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में इस विद्यालय में बच्चों को स्कूल लेकर आने और जाने के लिए गाड़ी की सुविधा भी मुहैया कराई जाती है।
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जिन बच्चों के माता-पिता हैं उनसे हमेशा बातचीत की जाती है ताकि बच्चों की शिक्षा पर किसी भी प्रकार की कोई बाधा या आंच न आएं। बता दें कि, धर्मवीर द्वारा किए जा रहे इस नेक कर्म में दो महिला कांस्टेबल भी उनकी सहायता करती हैं।
वह कहते हैं कि, चुरू में यूपी-बिहार के अधिकांश परिवार काम की तलाश में आते हैं। ऐसे में उनके बच्छों की शिक्षा न छूटे और वे पढ़ाई के प्रति समर्पित रहे इसके लिए उन्हें प्रेरित किया जाता है। साथ ही उनसे यह सुनिश्चित कराया जाता है कि वे वापस बिहार-यूपी जाकर अपनी पढ़ाई को छोड़े बिना आगे बढ़ते रहें। वह आगे कहते हैं कि कुछ बच्चों के माता-पिता उन्हें स्कूल भेजने से इंकार करते हैं, ऐसे में उन्होंने उन बच्चों को स्कूल के बाद कचरा बिनने की अनुमति दिया है।
चूंकि, मंहगाई के इस दौर में विद्यालय चलाना किसी एक इन्सान के बस की बात नहीं, क्योंकि बच्चों की अध्ययन सामग्री और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए महीने में लगभग 1.5 लाख रूपए का खर्च आता है। ऐसे में विद्यालय को सुचारु रुप से चलाने हेतु वे फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया का सहारा लेकर डोनेशन इकट्ठा करते हैं। हालांकि, इस काम को वे अकेले ही शुरु किए थे लेकिन धीरे-धीरे अब चुरू प्रशासन और अन्य लोग भी इस काम में उनकी सहायता कर रहें हैं।
कांस्टेबल धर्मवीर जाखड़ (Constable Dharmveer Jakhar) द्वारा बच्चों के जीवन में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा पहल बेहद प्रशंसनीय है। अन्य लोगों को भी धर्मवीर से प्रेरणा लेकर वैसे बच्चों की मदद करने के लिए आगे आने की जरुरत है जो गरीबी के कारणवश शिक्षा से काफी दूर चले जाते हैं।
The Logically धर्मवीर जाखड़ द्वारा की जा रही कोशिशों की सराहना करता है।