डॉल का नाम सुनते ही, सबसे पहले दिमाग में बार्बी डॉल की छवि उभरकर आती है। बच्चों में बार्बी डॉल का क्रेज देखते बनता है। इस अमेरिकी गुड़िया को तो आपने बहुत सराहाया होगा। लेकिन इस मामले में हमारा देश Traditional handmade dolls in India भी कम नहीं है। गुजरात सुरेंद्रनगर की रहनेवाली रंजन बेन भट्ट Ranjanben Bhatt handmade dolls की बनाई हैंडमेड गुड़िया ने, आज पूरी दुनिया में अपनी अलग जगह बना ली है।
18 देशों में एक्सपोर्ट होती है ये भारतीय गुड़िया
रंजनबेन अपने बेटे हरिनभाई के साथ अपनी पहल कलाश्री फाउंडेशन, के तहत हर महीने 500 से अधिक ईको-फ्रेंडली गुड़ियां बनाकर बेच रहीं हैं। इस गुड़िया के क्रेज का आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि 18 अन्य देशों से रंजन बेन भट्ट को ऑर्डर्स मिल रहे हैं- Ranjanben Bhat barbie doll
रंजनबेन, महिलाओं को सिलाई, डॉल मेकिंग, एम्ब्रॉयडरी आदि सिखाया करती हैं। उन्होंने इसका प्रोफेशनल कोर्स भी किया है। लेकिन बाद में उनके बेटे ने डॉल मेकिंग को बिज़नेस के तौर पर शुरू किया और इस तरह आजतक यह काम चलता आ रहा है।
सिलाई कोर्स पूरा करने के बाद खोली थी अपनी वर्कशॉप
साल 1960 में भट्ट परिवार, सुरेंद्रनगर के वधावन में रहता था। वहां गुजरात की जानी-मानी समाज सेविका अरुणाबेन देसाई ने विकास विद्यालय नाम से एक संस्था शुरू की, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें। इस संस्थान से ही रंजनबेन ने, एक के बाद एक तीन कोर्स किए, जिनमें सिलाई, डॉल मेकिंग और हैंड एम्ब्रॉयडरी शामिल हैं। आज गांधीनगर में 2000 वर्ग फुट क्षेत्र में बने उनके वर्कशॉप पर महिलाएं काम करती हैं। हरिनभाई और उनकी माँ भी हर दिन 8 घंटे गुड़िया बनाने में बिताते हैं- Ranjanben Bhat barbie doll
क्या है खास इस देसी गुड़िया में, 18 से अधिक हैं पैटर्न
ये गुड़ियां पूरी तरह से हैंडमेड होती हैं, जिसमें अलग-अलग डिज़ाइन तैयार किए जाते हैं। गुड़िया बनाने के बारे में बात करते हुए। 18 से अधिक डॉल्स के पैटर्न्स हैं जिसमें राधा-कृष्ण के अलावा, भारतीय पारंपरिक वस्त्र, राज्यों के किसान और भारतीय नृत्य से जुड़ी 300 से ज़्यादा मॉडल हैं।
विदेशी लुक की चमक भी है इस देसी गुड़िया में
साथ ही, वह लोगों की पसंद के अनुसार डॉल्स को अलग-अलग रूप देते रहते हैं। जैसे पंजाब के ग्राहकों को पंजाबी लुक वाली गुड़िया, तो चीन के ग्राहकों को चीनी गुड़िया बनाकर देते हैं।
18 घंटे में तैयार होती है एक गुड़िया, जानिए प्रक्रिया
भट्ट परिवार के पास 20 से अधिक महिलाओं का स्टाफ है, जिन्हें उन्होंने ही प्रशिक्षित किया है। गुड़िया बनाने का काम 14 भागों में किया जाता है। पेंटिंग, स्कल्पचर, टेलरिंग, बुटीक, ज्वैलरी वर्क, कॉस्ट्यूम डिजाइन आदि की कला के जरिए गुड़िया बनाई जाती है। इस तरह उन्हें एक गुड़िया को बनाने में 18 घंटे का समय लगता है। साथ ही, वह इस काम के लिए कम से कम मशीन का उपयोग करते हैं। सिर्फ सिलाई के लिए एक मशीन से काम लिया जाता है।
वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल है ये गुड़िया
कलाश्री फाउंडेशन की ये डॉल्स, देश के कई बड़े-बड़े लोगों तक भी पहुंची और पंसद की गई हैं। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम जैसी बड़ी हस्तियां शामिल हैं। अबतक ये एक लाख से ज्यादा गुड़ियां बना चुके हैं। यही कारण है कि इन्होंने गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, संयुक्त राष्ट्र का रिकॉर्ड और वर्ल्ड रिकॉर्ड जैसी उपलब्धियां हासिल की हैं।