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आंखों की रौशनी गई तो ऑडियो सुन कर पढाई करती रही, अब RAS निकाल कर अफसर बन चुकी हैं: Pratibha Agrawal

अगर हमारी पूरी जिंदगी दूसरे पर निर्भर होती है, तो हम अपना आत्मविश्वास खो देते हैं। इस उजाले भरे दुनिया में भी कुछ लोगों की जिंदगी में सिर्फ अंधकार हीं होता है। ऐसे लोगों के लिए सामान्य जिंदगी व्यतीत करना बहुत हीं कठिन होता है। आज हम एक ऐसी लड़की की बात करेंगे जिसने अपनी दुनिया खो कर भी हार नहीं मानी।

प्रतिभा अग्रवाल (Pratibha Aggarwal)

प्रतिभा अग्रवाल चिड़ावा कस्बे में स्थित परमहंस कॉलोनी की रहने वाली हैं। उनके पिता सुरेंद्र अग्रवाल व्यापारी हैं और माता सरला देवी गृहिणी हैं। वह शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। उसने दसवीं में 70%, तो 12वीं में 76% अंक हासिल किया। उसने बीए भी प्रथम श्रेणी से पास किया।

RAS

अचानक हुई प्रतिभा नेत्रहीन

29 वर्षीय प्रतिभा की जिंदगी 2011 तक अच्छी गुजर रही थी। वह एमए प्रिवियस की परीक्षा दे रही थी, उसी बीच अचानक उनकी आँखों की रोशनी चली गई। प्रतिभा की 90 प्रतिशत रोशनी जा चुकी थी। वह केवल परछाई ही देख पाती थी। उनके तथा उनके परिवार के लिए यह समय बहुत कठिन था। उनके परिवार ने प्रतिभा के आँखों के इलाज के लिए दिल्ली एम्स तथा अमेरिका तक भी गए। परंतु प्रतिभा की आँखो की रोशनी वापस ना आ सकी। डॉक्टर्स ने बताया कि प्रतिभा की आंखों की रोशनी रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा बीमारी के कारण चली गई है, जिसका ठीक होना सम्भव नहीं है।

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प्रतिभा ने अपनी कोशिश रखी जारी

प्रतिभा अग्रवाल ने इससे हार नहीं मानी और अपने प्रयास को जारी रखा। इसमें उनके परिवार, रिश्तेदारों, सहपाठियों व शिक्षकों ने हर कदम पर उनका साथ दिया। प्रतिभा ऑडियो सुनकर तैयारी करने लगी। महेश जो कि उनके परिवार के सदस्य वो बताते हैं कि प्रतिभा हर रोज 18 से 20 घंटे पढाई करती थी।

सहेली श्रद्धा पंसारी ने की पूरी मदद

प्रतिभा की पढ़ाई के लिए उनकी सहेली श्रद्धा पंसारी ने भी उनकी पूरी मदद की। चिड़ावा के राजेश शर्मा के मदद से नोट्स का ऑडियो बनाकर दिया। प्रतिभा को आरएएस परीक्षा में लिखने के लिए भी पूरा सहयोग दिया गया। प्रतिभा से बोल कर सवाल पूछा जाता और वो बोल कर जवाब देती थी।

रिकॉर्डिंग सुन कर की परीक्षा की तैयारी

प्रतिभा के पढ़ने के लिए उनके किताबों के कंटेंट को मोबाइल में रिकॉर्ड करके दिया गया सिर्फ इतना ही नहीं यूट्यूब पर भी एग्जाम से जुड़ी जानकारी सर्च करके दी जाती थी। वह रिकॉर्डिंग को दिनभर सुनती रहतीं और उसी से अपनी परीक्षा की तैयारी करती थीं। उनकी यह मेहनत सफल हुई और वो आरएएस मुख्य परीक्षा के परिणाम में सफलता हासिल की।

प्रतिभा अग्रवाल ने जिस तरह दृष्टिहीन होकर अपनी मेहनत से सफलता हासिल की हैं वह कई लोगों के लिए प्ररेणाप्रद है। The Logically प्रतिभा अग्रवाल जी की खूब सराहना करता है।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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