लत चाहे किसी भी चीज की हो बेहद खराब होती है और उस लत को खत्म होने में वक्त लगता है। जैसे अगर हम केमिकल युक्त खेती कर रहे हैं तो इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटती जाती है और इसे फिर से उपजाऊ बनाने में वक़्त लगता है। आज की हमारी यह कहानी एक ऐसे किसान की है जो पहले केमिकल युक्त खेती करते थे जिस कारण जमीन बंजर हो चुकी थी। लेकिन उन्होंने इस जमीन पर अपनी मेहनत के बदौलत चंदन-रुद्राक्ष के साथ फल एवं सब्जियों को उगाया। आज उनका इसी बंजर जमीन से वार्षिक टर्नओवर 20 लाख रुपए है।
रतन लाल डागा (Ratan Lal Daga)
वह किसान हैं रतन लाल डागा (Ratan Lal Daga) जो जोधपुर (Jodhpur) से ताल्लुक रखते हैं। वह वर्ष 1976 से ही एक कृषक के तौर पर खेती कर रहे हैं और आज 72 साल के हो चुके हैं और खेती में ही लगे हुए हैं। उन्होंने एक फार्महाउस में बनाया है एवं फार्महाउस के साथ 150 बीघा जमीन में खेती की है जिनकी देखभाल उनका परिवार भी करता है। अपनी प्रारंभिक शिक्षा संपन्न करने के बाद उन्होंने एग्रीकल्चर से ग्रेजुएशन किया एवं खेती शुरू की। वह पारंपरिक खेती किया करते थे और खेतों में केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग करते थे जिससे उत्पादन बहुत ज्यादा होता था परंतु दिन प्रतिदिन उनके खेतों की उर्वरा शक्ति घटती चली गई और खेत बंजर हो गया। -Organic farming by Ratan Lal Daga
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शुरू किया ऑर्गेनिक खेती
वर्ष 2001 में जब बंगलोर के एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी गए तो उन्हें यह जानकारी लगी कि रसायनों के उपयोग से उनके खेतों की मिट्टी दिन प्रतिदिन बंजर होते जा रही है। अब उन्हें यह ध्यान आया कि मैं भी यही कार्य करता हूं जिस कारण मेरे खेत की मिट्टी भी बंजर हो चुकी है। बेंगलुरु से लौट उन्होंने निश्चय किया कि वह अपने खेतों में केमिकल का उपयोग नहीं करेंगे और ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू करेंगे। उन्होंने अपने खेत में जीरे की बुआई की परंतु वह इस खेती में असफल हैं क्योंकि रसायनों के अधिक उपयोग के कारण खेत की मिट्टी क्षतिग्रस्त हो चुकी थी। -Organic farming by Ratan Lal Daga
ऑर्गेनिक उत्पाद का बढ़ा डिमांड
लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 3 साल बाद वह पूरी तरह ऑर्गेनिक खेती करने लगे। शुरुआती दौर में वह अपने खेतों में 3-4 फसल हीं उगाते थे। जब बाजार में ऑर्गेनिक उत्पाद को लेकर डिमांड बढ़ने लगा तो उन्होंने फल, मसालों एवं सब्जी उगानी प्रारंभ कर दी। उन्होंने तय कर लिया था कि वह लगभग 70 परिवार को ऑर्गेनिक उत्पाद देने में सक्षम है। उन्होंने अपने खेत में अनाज के अतिरिक्त फल, सब्जी, तिलहन तथा मसालों को उगाया। आगे वह इसमें जफल हुए और एक परिवार ने उन्हें दुकान दे दी ताकि वह वहां ऑर्गेनिक उत्पाद बेंच सकें। -Organic farming by Ratan Lal Daga
स्वयं करते हैं उर्वरक का निर्माण
उनके फार्म हाउस में लगभग 21 गायें हैं। जिनका उपयोग खेती से लेकर कई प्रकार के प्रोडक्ट के निर्माण में होता है। वह कंपोस्ट का निर्माण गोमूत्र गोबर, फसल के अवसेस, पतियों वार्मिंग कंपोस्ट भूसा, घास-फूस तथा कचरे आदि से करते हैं। कीटनाशक तौर पर धतूरा, नीम, एलोवेरा तुम्बा, सीताफल, सोनामुखी करंज सहजना आदि का उपयोग करते हैं। उनकी खेती पूरी तरह ऑर्गेनिक है जहां के प्रोडक्ट्स का डिमांड भी खूब है। उनके प्रोडक्ट की बुकिंग एडवांस होती है जिस कारण वह खूब लाभ कमा रहें हैं। -Organic farming by Ratan Lal Daga
करते हैं 15 लोग खेत की देखभाल
उनके फार्महाउस में 7 से 8 परिवार के लोग काम करते हैं और ये सभी मिलकर खेतों की अच्छी तरह देखभाल करते हैं। वह बताते हैं कि पहले लोग यहां केमिकल खेती के उत्पाद का सेवन करते थे जिस कारण स्वास्थ्य हमेशा बिगड़ा हुआ था। परंतु आज क्षेत्र के सभी लोग ऑर्गेनिक उत्पाद का सेवन करने में सक्षम हैं। इससे आसपास के लोगों को प्रेरणा मिल रही है। उनके खेतों में फूलगोभी, धनिया, बैंगन, लौकी, तुरई, मिर्ची, गेंहु, सरसों के बीज का भी निर्माण होता है और अच्छी क्वालिटी की होने के कारण ये भी हाथों हाथ बिक जाते हैं। -Organic farming by Ratan Lal Daga
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लगाया है चंदन-रुद्राक्ष तथा अंजीर भी
पहले जो जमीन रसायनों के उपयोग के कारण बंजर हो चुकी थी आज वहां चंदन, अंजीर तथा रुद्राक्ष के पौधे लगे हुए हैं। चंदन का पौधा दो तथा रुद्राक्ष का पौधा के 2 साल का है। यह पौधे जब 20 साल के हो जाएंगे तो इनकी कीमत 80 हज़ार रुपये के करीब होगी। उनके फार्महाउस में जामुन, नारंगी, मेहंदी, मौसमी, सीताफल रोहिड़ा, नीम आदि के सैकड़ों पेड़ हैं। इसके अतिरिक्त आपको यहां नींबू, पपीता, आंवला, बेलपत्र, अनार, हर्बल टी आदि के भी पौधे हैं। –Organic farming by Ratan Lal Daga