Monday, December 11, 2023

10 से 7 की नौकरी से छुटकारा के लिए शुरू किए फूलों की खेती, इटावा के रवि आज लाखों रुपये का कारोबार करते हैं

जीवन में कई बार ऐसे अवसर आते है जहां हम ये तय नहीं कर सकते है कि वास्तव में हम जिन्दगी में क्या करना चाहते है और फिर जो काम सामने दिखता है वो करना शुरू कर देते हैं। लेकिन धीरे-धीरे हमें एहसास होता है कि आखिर हम जिंदगी में क्या करना चाहते हैं और हमारी पसंद क्या है। जब तक हमें इस बात का एहसास होता है तब तक ज्यादा समय बीत जाता है और फिर हम अपने पसंद को मार देते है, जिस वजह से हमें जीवन में सफलता नहीं मिल पाती है। इसलिए हमें हमेशा केवल वो ही कार्य करना चाहिए जिसको हम दिल से करना चाहते है, सिर्फ पैसे या दिखावे के लिए कोई कार्य ना करें। जानिए उत्तरप्रदेश इटावा के रवि पाल की कहानी (Story of Ravi Pal, Marigold farmer from Etawah Uttarpradesh)

आज हम बात करेंगे एक ऐसे शख्स की, जिन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए लाखों के पैकेज को छोड़ दिया और आज हर महीने फूल की खेती करके कमा रहा है कई गुना ज़्यादा मुनाफा।

कौन हैं वह शख्स?

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इटावा (Etawah) के रहने वाले रवि पाल (Ravi Pal) ने अपनी स्कूली पढाई पूरी करने के बाद एमबीए की डिग्री हासिल की और जल्द ही उनकी नौकरी एलएनटी और कोटेक महिंद्रा जैसी कंपनी में लग गई। लेकिन वहां जॉब करने के बाद भी रवि का मन वहां के काम में नहीं लगता था बल्कि कहीं और लगा रहता था। फिर उन्होंने अपनी मन की आवाज सुनी और लाखों के पैकेज की नौकरी को छोड़ने का फैसला लिया।

Ravi pal marigold farmer from etawah uttarpradesh
Ravi Pal, Marigold farmer from Etawah(Uttarpradesh)

नौकरी छोड़ने के फैसले से कोई नहीं था राजी

रवि (Ravi Pal) ने अपनी नौकरी छोड़ने वाले फैसले को जब अपने घर, दोस्त और रिश्तेदारों को बताई तो वे उनके इस फैसले से सहमत नहीं थे। हालांकि फिर भी रवि अपने नौकरी छोड़ने के फैसले पर अटल रहे और नौकरी छोड़ दी। उसके बाद अपने गांव आकर गेंदे की फूलों (Marigold Farming) की खेती करना शुरू कर दिया।

बता दें कि, रवि (Ravi Pal) ने वर्ष 2011 में एमबीए की पढ़ाई पूरी की थी और उसके बाद एलएनटी में नौकरी करने लगे। फिर उसके बाद वह कोटेक महिंद्रा में भी काम किए, लेकिन वे अपने जॉब से संतुष्ट नहीं थे क्योंकि उनका मन खेती करने में लगा रहता था। फिर उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए अपनी लाखों को पैकेज की नौकरी छोड़ दी और गांव जाकर खेती करना प्रारंभ कर दिया।

रवि ने बताया कि, जब वे अपनी नौकरी छोड़ गांव आए थे तो गांव वाले पूछने लगे कि क्या करना है, कैसे करना है, क्यों नौकरी छोड़ी, अब आगे क्या करना है? तब उन्होंने खेती करना शुरू किया।

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अपने खेतों में लगाया गेंदे का पौधा (Ravi Pal started Marigold farming)

रवि (Ravi Pal) ने बताया कि, गांव आकर मैंने खेती करने का फैसला तो ले लिया लेकिन उस दौरान हमारे गांव में नीलगाय का बहुत आतंक था। नीलगाय किसानों के फसल को बर्बाद कर देते थे। जानवरों के इस आतंक को देखने के बाद मैने यह सोचना शुरू कर दिया कि वैसी खेती करे जिसको नीलगाय या दूसरे जानवर बर्बाद न कर सके। और फिर इसके बाद मैंने दो बीघा खेत में गेंदे का पौधा लगा दिया।

Ravi pal marigold farmer from etawah uttarpradesh
Ravi Pal- In his Marigold farm

महज तीन हजार रूपये की लागत से हुआ 30 से 40 हजार रुपये का मुनाफा

रवि ने जानवरों के आतंक से बचने के लिए अपने खेतों में गेंदे का पौधा लगाना शुरू कर दिया और केवल दो महीने में ही गेंदे का पौधा पूरी तरह तैयार हो गया। पहली बार की हीं बुवाई में रवि को सफलता हाथ लगी। इन पौधों को लगाने में उन्हे महज तीन हजार रुपये की लागत आई लेकिन उन्हे इससे 30 से 40 हजार रुपये का मुनाफा हुआ।

रवि (Ravi Pal) ने बताया कि, सीजन में इस फूल से मुनाफा कई गुनाह बढ़ जाता है। अब वे इन फूलों को दूसरे जिले में भी बेचते हैं। इसके अलावें उनके फूल आगरा, कानपुर और दिल्ली की मंडियों तक जाते है।

अन्य किसानों को भी खेती का सिखाया गुण

रवि (Ravi Pal) अब-तक गेंदे के फूल की खेती (Marigold Farming) का गुण 5 गांव के 12 किसान को सीखा चुके है। पहले गर्मी के दिनों में फसल पर मौसम का असर साफतौर पर दिखने लगता है, जिससे रवि को थोड़ी बहुत परेशानियों सहनी होती थी। लेकिन अब वे थाइलैंड से गेंदे का बीज ला कर बागबानी करते है क्योंकि वहां के बीजों से पौधे 12 महीने में फूल देने लगते है और उन फूलों को बुके बनाने के में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कलकत्तिया और जाफरी को लोग खूब ज्यादा पसंद करते हैं।

जिलाधिकारी ने किया रवि को सम्मानित

रवि (Ravi Pal) अब गेंदे के फूल की खेती कर बहुत खुश हैं। वे बताते हैं कि, जितनी कमाई उन्हे गेंदे की फूल लगाकर हुई उतनी धान, गेहूं, मक्का जैसी परंपरागत फसलों से नहीं हो पाती। अब उन्हें लगता है कि नौकरी छोड़ने का फैसला उनका बिल्कुल सही था तथा अब वे इसकी खेती बड़े स्तर पर कर रहे हैं। उनके इस काम को देखते हुए जिलाधिकारी ने भी उन्हें सम्मानित किया है।

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