पैसा कमाने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते! कोई पढ़ लिखकर नौकरी करता है, कोई बिजनेस करता है, कोई मजदूरी करता है तो कई लोग दूसरे तरीके से दिमाग लगाकर पैसा कमाते हैं। आज हम बात करेंगे, एक ऐसे युवक की जिसने अपने गाँव में ही केला फाइबर (Banana Fiber) से रोजगार का अवसर ढूंढ निकाला है।
कौन है वह युवक ?
रवि प्रसाद (Ravi Prashad) कुशीनगर (Kushi Nagar) के एक गाँव हरिहरपुर के रहने वाले हैं। उनकी उम्र 35 साल है। गोरखपुर के “दिग्विजय नाथ पीजी कॉलेज” से इकोनॉमिक्स में बीए पास करने के बाद, रवि नौकरी की तलाश के लिए दिल्ली गए। दिल्ली में वह नौकरी की तलाश में ही थे कि, एक दिन उन्हें रोजगार का एक बेहतरीन आईडिया मिल गया। उन्होंने दिल्ली में एक प्रदर्शनी में तमिलनाडु के कोयंबटूर से आये एक व्यवसायी के स्टॉल पर, केला फाइबर (Banana Fiber) से बनाए गए बैग, टोपी, कालीन जैसी कई चीज़ें देखी। उसके बाद उन्होंने कुछ नया करने को ठानी।
केला के छिलके के उपयोग से किया रोजगार का सृजन
रवि ने दिल्ली में तमिलनाडु के कोयंबटूर से आये व्यवसायी के स्टॉल पर, केला फाइबर से बनाए गए बैग, टोपी, कालीन जैसे चीज को बनाते देखा और उसे सीख लिया। इसके बाद उन्होंने कोयंबटूर से तकरीबन 160 किलोमीटर दूर, एक गांव में केला फाइबर से तरह-तरह की उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग ली। शुरूआत में, उन्हें स्थानीय भाषा की वजह से ट्रेनिंग लेने में काफी दिक्कत आती थी, लेकिन बाद में देख-देख उन्होंने सबकुछ सीखने की कोशिश की। ट्रेनिंग के बाद वह सीधे अपने गाँव गए। वहां वह कुशीनगर में जिला उद्योग केंद्र गए, जहां उन्हें ‘प्रधानमंत्री रोजगार योजना’ की जानकारी लिया। इसके बाद उन्होनें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) के तहत, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया से पांच लाख रुपये का लोन लिया। लोन लेने के बाद उन्होंने अपने ट्रेनिंग के अनुसार, कारोबार का रूप रेखा तय किया। उन्होंने साल 2018 में हैंडीक्राफ्ट बिजनेस की शुरुआत की थी। रवि बताते हैं कि, उनके आसपास के गांव से भी उन्हें बड़ी मात्रा में केले के पेड़ मिल जाते हैं, जिससे वह बैग, टोपी और कालीन बनवाने का काम करते हैं।
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केले का छिलका बना रोजगार का माध्यम
रवि का कहना है कि, गांव में किसान तथा अन्य लोग केले के छिलके तथा उसके पेड़ों को जिस तरह से काट कर कचरे मे फेंक देते हैं, उसी केले के पेड़ के कचरो का उन्होंने सदुपयोग करते हुए उससे अपना रोजगार का माध्यम साधा। रवि ने बताया कि, केले के पेड़ के तने से फाइबर बनाया जाता है। एक मशीन के जरिये, तने के दो भाग किये जाते हैं और उससे सारा रस निकाला जाता है। इसके बाद, रस निकाले हुए तने को छांव में सुखाया जाता है, फिर उससे रेशा यानि फाइबर तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया से निकले कचरे को वह कंपोस्ट के रूप में प्रयोग करते हैं तथा उसे भेजने का भी काम करते हैं। मशीन के द्वारा केले से निकला फाइबर एकदम रेसे के समान होता है जिसके प्रयोग से उन्होंने कारपेट, बैग, टोपी और घर के सजावट की कई चीजें बनाना शुरू किया।
अपने कारोबार के जरिए 450 महिलाओं को दिया रोजगार
रवि ने बताया कि, वर्ष 2018 में सरकार के द्वारा वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ODOP) योजना चलाई गयी। इस योजना के तहत प्रदर्शनी लगी, जिससे उनके प्रोजेक्ट को एक खास पहचान मिली। रवि का कहना है कि, कुशीनगर जिले में पहचान मिलने के बाद, उन्होंने 450 महिलाओं को केला फाइबर से उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी है। इसके बाद सभी महिलाएं केले के पेड़ के तने से रेशा बनाकर अलग-अलग चीज़ें बनाती हैं। रवि ने बताया कि, इस योजना में काम करने वाली सभी महिलाएं आस-पास के गांव की ही है। रवि अपने जिले तथा प्रदेश के लगभग 50 प्रदर्शनियों में भाग ले चुके हैं। उन्होंने बताया कि, अब उन्हें देश भर से आर्डर मिल रही है तथा साथ ही साथ उनके प्रदेश में केलो की खेती बहुत जबरदस्त तरीके से की जा रही है, जिससे केले के छिलके तथा पेड़ आसानी से मिल जाते है। उनका कहना है कि, वह अपने बिजनेस को और अच्छे तरीके से चलाएंगे तथा अमेजॉन (Amazon) पर अपने सामानों को बेचने का भी काम करेंगे।