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जंजीर में बांध के बच्चे को भिक्षाव्रीति के लिए पीटा जा रहा था, रवि त्रिपाठी ने रेस्क्यू कर पढाने का जिम्मा उठाया

मार्टिन लूथर किंग ने कहा था –  हर कोई महान हो सकता है, क्योंकि कोई भी सेवा कर सकता है। सेवा करने के लिए आपके पास कॉलेज की डिग्री होने की जरूरत नहीं है। आपको इसका कोई विषय नहीं चुनना होगा और न ही क्रिया को सेवा के लिए सहमत होना होगा। आपको बस एक दया से भरे दिल और प्रेम से उत्पन्न एक आत्मा की आवश्यकता है। 

गाज़ियाबाद शहर के पार्क में मिला एक बेसहारा मासूम

एक ऐसी घटना सामने आई गाज़ियाबाद के इन्द्रपुरम की, जिसने मानवता शब्द को गिराकर रख दिया। एक छोटा बच्चा, भूखे- प्यासे गंभीर हालत में गाज़ियाबाद के सौरंजन्ति पार्क में बेहोशी जैसे हालत में मिला। दुख तो इस बात का है कि हज़ारो लोग रोज़ वहाँ से गुज़रते हैं, लेकिन कोई मासूम से बच्चे से ये भी नही पूछ सकता कि उसे परेशानी क्या है। बाद में कुछ लोगों ने उसपर गौर किया और NGO से सम्पर्क कर के उसे ले जाने को कहा। लेकिन स्थिति देखिए कि शुरू के 3-4 जगहों से ये बोल के बात को टाल दिया गया कि उनके पास जगह नही है। फिर बात हुई Amrit Varsha NGO के संस्थापक रवि त्रिपाठी से। जिन्होंने बात सुनते ही रेस्क्यू करने बच्चे के पास पहुँच गए।

कौन हैं रवि त्रिपाठी

रवि बिहार के रहने वाले हैं जो अभी दिल्ली में बच्चो के जीवन को दिशा देने का काम करते हैं! अपने संघर्ष और सेवा के माध्यम से सैकड़ो बच्चो को शिक्षित कर रहे हैं, उन्हें नई जिंदगी दे रहे हैं।

कैसे की बच्चे की मदद-

जब रवि उस बच्चे के पास पहुँचे तो वो बहुत डरा हुआ था, 2-3 दिनों से भूखा भी था।उससे उसके मां-बाप के बारे में पूछा गया तो पता चला कि वो इस दुनिया मे नही हैं, और अभी वो अपने दादी, बुआ और दो भाई बहन के साथ पास की झुग्गी में रहता है। आश्चर्य की बात तब लगी जब वो बच्चा अपने घर जाने को तैयार नही था। फिर उसे खिलाकर, अपनी गाड़ी में बिठाकर उसके झुग्गी के पास गए तो क्रूरता का सबसे भयावह रूप देखने को मिला।

भाई के पैरों को लोहे के जंजीरो से बांध रखे थे , भीख मांगने को करते हैं मजबूर-

वहां पहुँच कर पता चला कि बच्चो को जबरदस्ती भीख मांगने को मजबूर किया जाता है, और ये कोई बाहर के लोग नही थे बल्कि उसके दादी और बुआ ही थे। बच्चो से भीख मंगवा के वो अपना घर चलाते हैं।

कम भीख मिलने पे बहुत पीटते भी थे-

बच्चों ने बताया कि भीख ना मांगने पर या कम भीख मिलने पर उनकी बहुत पिटाई भी होती थी। बच्चे इसी डर से घर छोड़कर भागने की कोशिश करते थे, जिसके कारण उन्हें लोहे के जंजीरो में बांध दिया जाता था। बंधे हुए स्थिति में बच्चे ने कहा – दादी बहुत मारती है। जिस उम्र में एक साधारण बच्चा खेलता है और पढ़ने का सपना देखता है, उस उम्र में इन तीनों को भीख मांगने को मजबूर किया जाता था।

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रवि ने उठाया इन जैसे बच्चो के भविष्य को बदलने का बीड़ा-

जो हो रहा था, वो भविष्य में दुबारा न हो, इसके लिए उन्होंने प्रशासन की मदद लेने की सोची। पुलिस का ये कहना था कि ऐसे तो कितने बच्चे घूमते रहते हैं, हम चेतवानी ही दे सकते हैं। कितनी दुख की बात है , की जिसके डर से एक बच्चे का जीवन बदल सकता है, उससे कोई फर्क ही नही पड़ता।

रवि ने किया घरवालो को सावधान, और बच्चो को पढ़ाने का उठाया ज़िम्मा-

घरवालो को रवि ने कड़ी चेतावनी दी, और आगे ऐसा ना करने को कहा। उन्होंने बच्चों को रोज़ एक घण्टे पढ़ाने का फैसला किया है। शायद उन्हें सही रस्ता मिल जाये और वो कुछ अच्छा कर ले अपनी ज़िंदगी मे। वो कहते हैं ना कि- आप किसी की मुस्कुराहट का कारण बनो। ऐसा कारण जिससे कोई भी व्यक्ति प्रेम महसूस करे और लोग अच्छाई पर विश्वास करे। 

Ravi Tripathi अपने NGO – अमृत वर्षा से पहुचाते हैं सैकड़ों बच्चों को मदद-

The logically से बात करते समय रवि ने बताया कि वह पिछले 5 सालों से इस NGO के माध्यम से करीब 100 गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे चुके हैं। दरअसल उनका बचपन बहुत ही आभाव में गुज़रा, गरीबी को उन्होंने बहुत करीब से देखा है। इसलिए वो चाहते हैं कि कोई बच्चा शिक्षा के लिए न तरसे।

क्रिकेट में थी रुचि, गौतम गंभीर के साथ खेल चुके under-16, लेकिन अब दे रहे नए चेहरों को मौका-

रवि एक बेहतरीन क्रिकेटर रह चुके हैं, और गौतम गंभीर के साथ भी खेल चुके हैं। लेकिन उन्हें अब ये मौका नए बच्चो को देना है। रवि बताते हैं कि वो क्रिकेट की तालीम इसलिए नही देते की बच्चे क्रिकेटर बने, बल्कि उनका ये मानना है कि इससे वो एक अच्छे इंसान के रूप में निखर कर आएंगे। करीब 3 वर्षो से वो cricket course academy चला रहे हैं, जहा फ्री में क्रिकेट की ट्रेनिंग दी जाती है। जो दूसरों में खुद के सपनो को पूरा होता देख खुश हो, वो जरुर उस भगवान की छवि होगा। शायद सही ही कहा गया है- खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को दूसरों की सेवा में खो दो। आपका एक कदम हो सकता है किसी की ज़िंदगी को बदल दे।

The logically की तरफ से हम रवि त्रिपाठी द्वारा किये जा रहे प्रयास को नमन करते हैं और उनके बेहतर भविष्य की शुभकामनाएं देते हैं।

इस लिंक पर क्लिक कर आप रवि त्रिपाठी को आर्थिक रुप से मदद कर सकते हैं।

The Logically के लिए इस कहानी को अंजली ने लिखा है। अंजली बिहार की रहने वाली हैं और अभी सिविल सर्विसेज की तैयारी करती हैं।

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