अधिकतर लोग अपने आंगन, बालकनी और छत पर फूलों, फलों और सब्जियों की बागानी कर रहें हैं। जिससे उनका शरीर तो स्वस्थ रह ही रहा है साथ ही यह हमारे पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दें रहें हैं। आज हम आपको एक ऐसे शख्स के विषय मे बताएंगे जिनके बगीचे में 25 प्रकार के कमल, 250 से अधिक प्रजाति के गुलाब और अडेनियम, 200 से अधिक तरह के पौधें और लगभग 6000 गमलें हैं।
65 वर्षीय रविन्द्र काबरा
राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर (Jodhpur) से ताल्लुक रखने वाले रविंद्र काबरा (Ravindra Kabra) अपनी शौक की वजह से फेमस है। यूं कहे तो इनका प्रोफेसन और शौक दोनों ही बागानी करना है। इन्होंने बागानी के बारे में सभी चीजें अपने दादा जी सीखी है। यह बचपन से पेड़-पौधों में रुचि रखते थे और अपने दादाजी के साथ बागानी में जाते रहतें थे। अब इन्होंने खुद ही प्रेम भाव से इस बागानी का निर्माण किया है जिसमें हजारों की तादाद में पौधें हैं। इन्होंने अपने इस बगीचे का नाम अपने दादाजी की याद में गोकुल “द वैली ऑफ फ्लॉवर्स” रखा है।
स्कूल के वक्त ही किया इसे शुरू
जब यह स्कूल की पढ़ाई करतें थे तब ही इन्होंने अपने दादाजी की देखभाल में इस बगीचे की शुरुआत की। आगे की पढ़ाई के लिए यह अहमदाबाद गयें और वहां भी इस कार्य को जारी रखें। यहां इन्होंने टेरेस गार्डन का निर्माण किया। इनकी यह गोकुल बागानी इतनी फेमस है कि लोग जोधपुर अगर गयें तो इसे जरूर देखने जातें हैं।
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शुरू कियें बहुत काम लेकिन रुचि बागानी में ही थी
अपनी पढ़ाई खत्म कर यह घर आये और इनकी शादी 1979 में हुई। तब इन्होंने एक व्यपार शुरू किया। 1980 में इन्होंने स्टील प्लांट लगाया लेकिन ध्यान बागानी में ही रहता था। आगे 1984 में प्रथम ऑटोमेडिट ब्रेड प्लांट खोला और कुछ वर्ष कार्य कियें। फिर इसे बन्द कर इलेक्ट्रॉनिक शो रूम की ओपनिंग की। इस कार्य को इन्होंने सफलतापूर्वक 11 वर्षों तक किया। इन्होंने जितना कुछ किया लेकिन ध्यान बागानी में लगा रहता वह समय निकालकर बागानी किया करतें थें।
आखिरकार 2002 में किया जिसकी चाह थी
इन्होंने अपने गोकुल बागानी में ऐसे-ऐसे पौधें लगाएं हैं जिसे देखने का मन बार-बार करता है। इन्होंने इस बगीचे में ऐसे फूल लगायें जो इस गर्म स्थान में नहीं उगते। अगर कहा जाए तो यह रविन्द्र ने चमत्कार किया है। उनके बगीचे में 25 प्रकार के कमल, 250 प्रकार के गुलाब और अडेनियम हैं। 25 प्रकार के बोगनवेलिया और 6 हजार गमलों में 150 से ज्यादा प्रजाति के पौधें शामिल हैं। ट्यूलिप जो कि हॉलेंड में होता है लेकिन इन्होंने इस पौधे को भी यहां अपने बाग में लगाया है। हाइड्रेंजिया जो कि अधिकतर हिल स्टेशनों पर मिलता है, वह भी यहां आपको देखने को मिलेंगे। इतना ही नही अजेलिया, हेलिकोनियाज, आर्किड, और स्ट्राबेरी भी यहां आपको मिलेंगी।
जी-जान से करतें हैं इसकी देखभाल
यह सुबह से 5 बजे से लेकर रात 11 बजे तक अपने पौधों की देखभाल करतें हैं। यह अपने पौधों को इस दौरान भजन सुनाते हैं और शाम के 4 बजे से 9 बजे तक शास्त्रीय संगीत सुनाया करतें हैं। यह इनसे सम्बंधित लोगों को अपने पौधे फ्री में देतें हैं और जो बड़े घर हैं उन्हें इन्होंने लैंडस्केपिंग प्रोजेक्ट कियें हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए किया प्रोजेक्ट
इन्होंने साल 2003 में रिलायंस इंडस्ट्री के लिए प्रोजेक्ट किया जो इनके लिए स्मरणीय है। इतना ही नहीं इन्होंने दिल्ली के अंसल ग्रुप के लिए मात्र 400 एकड़ में 4 प्रोजेक्ट कियें हैं। इनके बगीचे की कला आज हर क्षेत्र में मिलेगी। जैसे अजमेर, मुम्बई, दिल्ली, कोटा और अमृतसर आदि।
यह अपने शरीर के स्वास्थ्य रहने का श्रेय अपने बाग को ही देतें हैं। 65 वर्ष के होने के बावजूद भी यह पूरी तरह हष्ट-पुष्ट और तरोताजा दिखतें हैं। इनकी मां का यह कहना है कि अब तुम्हारी उम्र ढल रही है, इतना कम मत किया करो लेकिन इनके पौधों से लगाव इन्हें अपने तरफ खींच लेता है।
अगर आप इनसे बात करना चाहे या कोई जानकारी प्राप्त करना चाहें तो इनके नम्बर 08233321333 पर कॉल कर या ईमेल ravindrakabra@gmail.com पर मैसेज कर सकतें हैं।
अपने बचपन के शौक को इस तरह पूरा कर पर्यावरण के क्षेत्र में अपना योगदान देने के लिए The Logically रविंद्र जी को सलाम करता है।