भारत में युवाओं की बेरोज़गारी बहुत बड़ी समस्या बन गई है। इस मुद्दे पर अनेकों चर्चे और मांगे होती रहती है लेकिन वह सिर्फ चर्चा का विषय बनकर ही रह जाता है। NDTV के एंकर और वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने प्रधानमंत्री को सोशल मीडिया पर एक पत्र लिखा है, जिसमें वे बेरोज़गारी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री को तांजा कसे है।
क्या है प्रधानमंत्री से रवीश कुमार की मांग
रवीश कुमार ने अपने खत में लिखा है – “माननीय प्रधानमंत्री जी, मैं टूलकिट से परेशान हूं। बेरोज़गार अपने आंदोलन को ध्यान में लाने के लिए जो टूलकिट बनाते हैं उसमें मेरा फोन नंबर डाल देते हैं। अपनी बर्बादी का लंबा चौड़ा ब्योरा भी डाल देते हैं। मैं आपके मंत्रिमंडल में रोज़गार मंत्री भी नहीं हूं। आपकी पार्टी के आईटी सेल का चीफ भी नहीं हूं। इन युवाओं के बार-बार लिखने से भारत की छवि खराब हो रही है। दुनिया हंस रही है कि भारत में मंदिर निर्माण के लिए चंदा वसूलने का काम करते हुए भी युवा नौकरी मांग रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि भारत की बदनामी हो।
यह पत्र इसलिए नहीं लिख रहा कि आप बेरोजगारों को नौकरी दे दें। आप ऐसा नहीं भी करेंगे तभी युवाओं का वोट आप ही को जाएगा। आपको यकीन ना हो तो धरना प्रदर्शन करने वाले युवाओं के बीच सर्वे करा लीजिए। मैं जानता हूं कि रोज़गार मुद्दा नहीं रहा। राजनीति में धर्म का सबसे बड़ा योगदान तो यही है कि वह राजनीति को ही ख़त्म कर देता है। धर्म का आधार न्याय होता है। लेकिन राजनीति में धर्म का काम अन्याय करना और उस पर पर्दे डालना होता है। इन युवाओं को अगर रोज़गार से भी बढ़कर कुछ चाहिए तो धर्म का गौरव चाहिए। धर्म की पहचान चाहिए। बंगाल में आप जय श्रीराम के नारे लगाने को मुद्दा बना रहे हैं। यूपी बिहार में यह काम तो उससे भी आसान है।
आप यूपी बिहार के युवाओं को मंदिर निर्माण के चंदे की रसीद पकड़ा दें। जहां-जहां वह धरने दे रहे हैं वहां -वहां जाकर चंदे की रसीद दे दें। आप देखिए कितनी खुशी से सारे युवा काम में लग जाएंगे। उनका पूरा परिवार इस काम में लग जाएगा। जब इतने से भारत में बेरोज़गार की समस्या खत्म हो सकती है तो फिर इसे करने में देरी क्यों हो रही है। युवा गली-गली में गर्व से घूमने लगेंगे। चंदा न देने वालों को सबक भी सिखा देंगे आख़िर राष्ट्र निर्माण के कर्तव्य से इन युवाओं को क्यों वंचित रखा जा रहा है। युवा को परीक्षा के तारीख नहीं चाहिए। चंदे की राशि का लक्ष्य चाहिए। आप दे दीजिए।
बस इन बेरोज़गार से कहिए कि मुझे परेशान करने के लिए टूलकिट न बनाएं। इन बेरोजगारों ने न तो दिशा रवि का नाम सुना है और ना ही उनके साथ जो हुआ उसे ग़लत बोलने की हिम्मत भी है। कई बार यह मुझे ग़लत साबित कर देते हैं लेकिन यह पलड़ा आपके पक्ष में भारी है। वे हमेशा आपको सही साबित कर देते हैं। ऐसे युवाओं को आप चंदा वसूलने के रसीद नहीं देंगे तो कौन देगा।
मुझसे हर दिन हज़ारों मैसेज डिलीट नहीं होते हैं। थक गया हूं। आपने देखा होगा कि बाल उड़ गया हैं। दुबला हो गया हूं। इतना योग किया। सातों दिन काम किया। कभी सोया भी नहीं तब भी यह मेरा यह हाल हो गया है। आप प्लीज़ इन युवाओं को संभालिए।”
सोशल मीडिया पर रवीश कुमार का प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र ख़ूब वायरल हो रहा है। जिसे पढ़कर कुछ लोग बेरोज़गारी के लिए केंद्र सरकार को कोश रहे है वहीं कई लोग रवीश कुमार पर सवाल उठा रहे है कि उनको मंदिर निर्माण से ही समस्या है।