जैसा कि आप जानते हैं आज भी अनेकों लोग महुआ को खराब मानते हैं, क्योंकि इस्का इस्तेमाल शराब बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन अब समय काफी आगे निकल गया है और आज के युवा इस सोच को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। वर्तमान युग में कई लोग महुआ में भी संभावनाएं ढूंढकर अलग पहचान बना रहे हैं।
आज की हमारी यह कहानी भी एक ऐसी ही महिला की है, जो महुआ को एक अलग पहचान देने का काम कर रही हैं और उससे लाखों की आमदनी भी कमा रही है। ऐसे में आइए जानते हैं उस महिला के बारे में।
कौन है वह महिला?
हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर की रहने वाली रजिया शेख (Razia Sheikh) की। आमतौर पर बस्तर जिले का नाम आते ही हमारे सामने नक्सलवाद से ग्रसित क्षेत्र की तस्वीर आ जाती हैं, लेकिन यहां भी अब काफी कुछ बदला रहा है और लोग आत्मनिर्भर बनने के क्षेत्र में आग्र बढ़ रहें हैं। रजिया शेख उन्हीं लोगों में से एक हैं जो अपने काम से अनेकों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं।
राह में आई कई चुनौतियां
रजिया महुआ से लड्डू (Mahua ke Laddu) बनाने का बिजनेस कर रही हैं। हालांकि, यह काम सरल नहीं था लेकिन महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने और महुआ को एक अलग पहचान देने के लिए उन्होंने इस बिजनेस को शुरु किया। रजिया को महुआ के लड्डू के फायदें मालूम थे लेकिन उसे स्वादिष्ट बनाना काफी चुनौतीपुर्ण था। हालांकि, इस काम की राह में आई हर समस्याओं का सामना करते हुए रजिया ने बिजनेस को एक अलग पहचान दी।
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माइक्रोबायोलॉजी से एमएससी की पढ़ाई पूरी करने वाली रजिया शेख सरकारी संस्थान में शोध का कार्य भी कर चुकी हैं। वह कहती हैं कि इस काम के दौरान मुझे कई अलग-अलग क्षेत्रों में जाना पड़ता था और विभिन्न प्रकार के पौधों पर अध्ययन करना पड़ता था।
इसी कड़ी में एक बार रजिया अध्ययन के दौरान एक क्षेत्र में गईं थीं, जहां उन्होंने महिलाओं को महुआ के लड्डू बनाते देखा। उन महिलाओं से बातचीत करने के बाद रजिया को यह एहसास हुआ कि इस काम को बड़े स्तर पर किया जा सकता है। इस काम को एक अलग और बड़े स्तर पर पहचान देने के लिए रजिया ने इसपर काम करना शुरू कर दिया।
इस काम को शुरु करना सरल नहीं था, उनके लिए महुआ के लड्डुओं को स्वादिष्ट बनाना एक बड़ी चुनौती थी। ऐसे में कई रिसर्च के बाद उनकी टीम ने महुआ के लड्डू तैयार किए। हालांकि, महुआ दारु की तरह लगता है, इसलिए आरंभ में महुआ के लड्डू को कोई भी नहीं खरीदना चाहता था। लेकिन रजिया ने हिम्मत नहीं हारी और लड्डू की कीमत 5 रुपये रखी जिससे धीरे-धीरे व्यापार चलने लगा।
रजिया (Razia Sheikh) ने एक लड्डुओं को और भी बेहतर बनाने के लिए कंस्ल्टेंसी सर्विसेज नामक फर्म की शुरुआत की। इस काम में रजिया के साथ 14 महिलाएं भी जुड़ी हुईं हैं। वर्तमान में रजिया द्वारा बनाए गए लड्डुओं की डिमांड देश ही नहीं बल्कि बल्कि विदेशों में भी हो रही है।
महुआ के लड्डू के बिजनेस से रजिया लाखों की कमाई कर रही हैं साथ ही आदिवासी महिलाएं भी इस रोजगार से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
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