दत्ता पाटील चाहते तो मल्टीनेशनल कंपनी याहू मैं नौकरी करते हुए कैलिफोर्निया में एक बेहतर जिंदगी जी सकते थे, लेकिन उन्हें अपना गांव प्यारा था इसलिए उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया।
महाराष्ट्र, कर्नाटका बॉर्डर से 6 किलोमीटर की दूरी पर लातूर जिले में हलगरा नाम का एक छोटा सा गांव है जहाँ ,दत्ता पाटील रहते हैं ।दत्ता पाटील कैलिफोर्निया के सांता क्लारा में रहते थे लेकिन इनका दिल हमेशा अपने गांव में बसा हुआ था।
स्वदेश की शाहरुख खान की तरह दत्ता पाटील ने अपने गांव हलगरा में सूखे पर काम करना शुरू किया और पानी के जलस्तर को ऊपर लाने की भरपूर कोशिश की, और सफल भी हुए । उन्होंने हर वो प्रयास किया जिससे वह अपने गांव को भारत की मानचित्र पर एक बेहतर स्थान दे पाए।
दत्ता अपने तीन भाइयों में सबसे बड़े थे । इनके पिता हलगरा में ही किसान हैं जो अपनी 2 एकड़ जमीन में खेती करने के अलावा दूसरों के खेतों में मजदूरी का काम करते थे, जिससे उनके घर में खाने भर का पैसा आ जाए।
दत्ता बताते हैं कि इनकी मां चौथी क्लास तक पढ़ी थी, वह किताब नहीं पढ़ पा रही थीं । लेकिन उन्होंने हमेशा ही मुझे बेहतर शिक्षा देने का कोशिश किया, वह हमेशा यह प्रयास करती थी कि मैं रोजी रोटी के लिए काम पर ना जाऊं और स्कूल जा कर पढ़ाई करूँ ।
दत्ता शुरू से ही पढ़ने में तेज थे, उन्होंने अपनी पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की और उनका नाम तब चर्चा में आया जब उन्होंने मैट्रिक के परीक्षा में अपने पूरे स्कूल में टॉप किया इसके बाद इंटर के परीक्षा में पूरे स्कूल में चौथा स्थान दर्ज किये।
दत्ता अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि जब मुझे पहली बार कंप्यूटर मिला था ,तब मुझे भी नहीं पता था कि इसमें आईडी और पासवर्ड क्या होता है ।मैं कुछ वैसे तेजतर्रार छात्रों के बीच घिर चुका था जो पढ़ने में मुझ से कई गुना बेहतर थे ,और एक ग्रामीण परिवेश में पढ़ने के कारण मुझे अंग्रेजी भाषा को भी समझने में बहुत कठिनाई हो रही थी।
अपनी पढ़ाई के बाद दत्ता अमेरिका शिफ्ट हो गए लेकिन उन्होंने अपने गांव को कभी नहीं भूला, हर साल वह अपने गांव जरूर आते थे और अपने परिवार के साथ कहीं न कहीं घूमने चले जाते थे।
महाराष्ट्र में सूखे के कारण किसानों की निरन्तर आत्महत्या ने दत्ता को अंदर तक झकझोर दिया तब साल 2016 में दत्ता ने अपने गांव में कुछ करने का प्लान किया ।
अपने गांव आकर दत्ता ने लगभग 3 लाख रुपये खर्च कर, जल संरक्षण का काम शुरू किया। उनका कहना था कि गांव में होने वाले बरसात के पानी का अगर हम 30% पानी भी समुंदर में जाने से रोक पाते हैं तो गांव में होने वाले सूखे से 50% निजाद पाया जा सकता है । शुरुआती दिनों में दत्ता बरसात के पानी को संरक्षित करना शुरू किया।
दत्ता ने हलगरा प्रोजेक्ट के फंडिंग को लेकर याहू को भी संपर्क किया जिसमें कंपनी ने एक करोड़ रुपए देने का वादा किया इसके साथ ही दत्ता ने खुद के 22 लाख रुपए खर्च किए।
नहर, चेक डैम और अनेक प्रोजेक्ट पर काम करते हुए दत्ता, गांव में होने वाले बरसात के पानी को अधिक समय तक रोकने में सफल रहे और 800 फीट नीचे चली गई जलस्तर को 100 फीट तक लाने में कामयाब हुए।
दत्ता के प्रयासों से किसानों को एक नई उम्मीद दिखी है और वो अब खेती से अच्छी पैदावार कमा रहे हैं।
जल संरक्षण में दत्ता के प्रयास को Logically नमन करता है