दीपावली दो शब्दों दीप और आवली से मिलकर बना है जिसका अर्थ है दीयों की पंक्ति। दीप और दीयों का त्योहार होने की वजह से इसे दीपोत्सव भी कहते हैं।
आज और पहले की दीपावली में बस फ़र्क इतना है कि दीपों की संख्या सिमट गई और प्लास्टिक के लाइट्स की संख्या बढ़ गई है लेकिन मिट्टी के दीए जलाने की उपयोगिता धार्मिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, प्राकृतिक और आर्थिक हर रूप में है। (Benefits Of Lighting Diyas)
दीए जलाने का धार्मिक महत्त्व
(Religious Significance of Lighting Diyas)
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब भगवान श्रीराम अपने चौदह वर्ष का वनवास काल पूरा कर अयोध्या वापस आए थे तो वह कार्तिक महीने के अमावस्या की काली रात थी। इसलिए अयोध्यावासियों ने भगवान श्री राम के स्वागत में असंख्य मिट्टी के दीए जलाकर अयोध्या को जगमग किया था। यही कारण है कि हम आज भी मिट्टी के दीए जलाने को शुभ मानते हैं।
दिए जलाने का दार्शनिक कारण
(Philosophical reason for Lighting Diyas)
भारतीय दर्शन के अनुसार, “क्षिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा” अर्थात् प्रत्येक पदार्थ पृथ्वी यानी मिट्टी, पानी, अग्नि, आकाश और वायु के मिलने से बना है। दीपावली में जलने वाले मिट्टी के दीए में ये सभी पांच तत्व विद्यमान होते है। इस कारण इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है।
तेल के दीए जलाने से कीट-पतंगों कम होते हैं
(Insects are reduced by Lighting oil Diyas)
मिट्टी के दीए जलाने का दूसरा बड़ा कारण यह भी है कि दीपावली वर्षा ऋतु के तुरंत बाद मनाई जाती है। हम जानते हैं कि बारिश के पानी में कीट-पतंगे व मच्छर की संख्या बढ़ जाती है। दिवाली के दिन जब सरसों के तेल से मिट्टी के दीये जलाए जाते हैं तो ये कीट-पतंगे उसमें जलकर ख़त्म हो जाते हैं। इसके विपरित अगर हम रंग-बिरंगी लाइट्स का इस्तेमाल करते हैं तो कीट-पतंगे इनकी तरफ़ आकर्षित होते हैं।
मिट्टी के दीयों से पर्यावरण को कोई नुक़सान नहीं
(No harm to the Environment with Diyas)
यदि दीए टूट जाए या उपयोग के बाद फेंकना भी हो तो ये पर्यावरण को कोई नुक़सान नहीं पहुंचाते। मिट्टी होने की वजह से ये आसानी से पानी में गल जाते या मिट्टी में मिल जाते हैं। दूसरी ओर अगर हम प्लास्टिक से बनी लाइट्स का इस्तेमाल करते हैं तो वे पर्यावरण के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं।
दीए जलाने का आर्थिक महत्त्व
(Financial Significance of Lighting Diyas)
इसके अलावा मिट्टी के दीए हमारे देश के कुम्हार बनाते हैं और रंग-बिरंगी लाइट्स आम तौर पर चीन से आती है। लाइट्स घर को सुंदर तो बनाती है लेकिन हमारे अपने लोगों (कुम्हार) के चेहरे की मुस्कुराहट कम कर देती है। साथ हीं देश का पैसा देश में ही रहेगा।
इसलिए The Logically का अपने पाठकों से अनुरोध है कि इस दीपावली मिट्टी के दीए हीं जलाए।