30 वर्षीय रेखा कुमावत (Rekha Kumawat) ने जयपुर से ही Bcom, MBA और LLB, सीएस और जर्नलिज्म में एमए की पढ़ाई की। पढ़ना रेखा का शौक था इसलिए इसे पूरे दिल से किया। रेखा को पढ़ाई के साथ-साथ चीजों को ऑब्जर्व करना और किसी घटना के पीछे की वजह क्या है, उस ‘क्यों’ को जानना हमेशा से उनकी आदत रही है। शायद यही वजह थी कि एक दिन यूं ही परिवार के साथ बैठकर बात करते-करते उन्हें आइडिया आया कि जब ये स्टील और एलोमोनियम के बर्तन नहीं चला करते थे तो उनकी दादी मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाती थीं लेकिन वे 90 साल की होने के बावजूद अपने सारे काम खुद कर लेती थीं। रेखा की दादी को कभी बीपी या शुगर की बीमारी नहीं हुई। रेखा ने सोचा क्या ये मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने का कमाल था? बस इसी उत्सुकता के चलते रेखा ने मिट्टी के बर्तनों (Amrit Mati) पर रिसर्च करना शुरू कर दिया।
रेखा ने एक ऐक्सपैरिमैंट किया। दाल को प्रेशर कुकर और मिट्टी की हांडी में पकाया। इस दाल को जांचने के लिए उन्होंने लैब से एक्सपर्ट्स को बुलाया। अब जो रिजल्ट सामने आया उससे आप सभी चौंकने वाले है। रेखा ने देखा कि प्रेशर कुकर की दाल में वो माइक्रो न्यूट्रीएंट, मिनरल और विटामिन नहीं थे जो मिट्टी की हांडी वाली दाल में थे।
आपको बता दे की कई विटामिन जैसे विटामिन-ए प्रेशर कुकर में शून्य हो जाता है। तो वहीं, मिट्टी की हांडी में 100 से ऊपर पहुंच जाता है। यही नहीं प्रेशर कुकर की तुलना में मिट्टी की हांडी में खाना पकाने से अधिक फाइबर, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम व आयरन मिलता है। जब लैब से ये सारे रिजल्ट आए तो रेखा को लगा कि क्यों न मिट्टी के बर्तनों पर ही काम किया जाए।
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रेखा बिजनेस वुमन की जर्नी
रेखा कुमावत के दिमाग में मिट्टी शब्द ऐसे घूमने लगा जैसे उनकी जिंदगी का अंतिम लक्ष्य बन गया हो। इसके बाद अखबार में एक दिन रेखा ने बिजनेस वुमन के लिए एक प्रतियोगिता पढ़ी। यह प्रतियोगिता नीति आयोग के जरिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट करा रहा था। रेखा ने उसमें हिस्सा लिया और देशभर से आए हजारों एप्लिकेशन में से उनका आइडिया टॉप 100 में सिलेक्ट हुआ।
आइडिया सिलेक्ट होने के बाद उन्हें 30 हजार का स्टाइपेंड मिला। इस 30 हजार रुपए से उन्होंने 2018 में अमृत माटी क्ले इंडस्ट्रीज प्रा. लि. (Amrit Mati Clay Industries Pvt. Ltd.) शुरू की और आज इस कंपनी का 25 लाख का टर्नओवर है।
2013 से रेखा (Rekha Kumawat) ने बिजनेस वुमन की जर्नी शुरू की थी और 2018 में आकर एक कंपनी के रूप में सेटअप हो पाई थी। यहां तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था। कदम-कदम पर उन्हे खुद को प्रूव करना पड़ा रहा था। हाल ही में एशिया की 1000 एंटरप्रेन्योर में रेखा का भी चयन हुआ और उसमें उन्होंने भी अपने बिजनेस के बारे में प्रेजेंटेशन दी। यहीं पर वुमनोवेटर अवॉर्ड (Womanovator Award) से भी सम्मानित हुई।
मिट्टी के बर्तनों को लेकर लोगों के ताने बाने
रेखा कुमावत (Rekha Kumawat) से लोगों के सवाल होते थे कि मिट्टी के बर्तन ज्यादा समय तक चलते नहीं हैं? इन बर्तनों से कुछ समय बाद अजीब सी बदबू आने लगती है? बर्तन कुछ ज्यादा भारी होते हैं? वो कौन सी मिट्टी है, जिसमें न्यूट्रीएंट पाए जाते हैं, कहां से मिट्टी जुटाई जाए? इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए रेखा लगातार रिसर्च कर रही है।
अब रेखा हर लड़की को हर परिवार को यही कहना चाहती है कि अपनी बेटी को उसके सपने पूरे करने से रोकें न। बल्कि उसका साथ देकर उसे आत्मनिर्भर बनाएं। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। काम काम होता है। अगर लड़की के पास अपना काम होगा तो वह ससुराल में हो या मायके में अपने पैरों पर खड़ी रहेगी उसे किसके सामने झुकने की जरूरत नही पड़ेगी। इसलिए सिर्फ बेटी को पढ़ाए ही नहीं बल्कि बेटी का साथ देकर उसे बिजनेस वुमन भी बनाए।
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