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एक रिटायर्ड कर्नल से बने गाजर मैन, खेती शुरू कर आज करोड़ों की कमाई के साथ ही लोगों को रोजगार भी दिए: जनिए कैसे

अगर आपके पास कुछ करने का जज्बा हो और उसके अनुरूप निरंतर व सटीक प्रयास किया जाए तो निश्चित हीं सफलता प्राप्त होती है। आज बात एक ऐसे शख्स की जो कर्नल से रिटायर्ड हैं। जब तक फौज में रहे तब तक देश की सेवा की और अपने रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपना जीवन मिट्टी की सेवा में समर्पित कर दिया है।

Carrot farming

रिटायर्ड कर्नल सुभाष चंद्र देसवाल अपनी नौकरी के बाद खेती को अपना सारा समय दे रहे हैं। अच्छा-खासा मुनाफा कमाने के साथ-साथ वे हजारों लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। खेती करने के लिए इन्होंने फसल के रूप में गाजर को चुना और आज वह इतनी मात्रा में गाजर उगा रहे हैं कि वह “गाजर मैन” के नाम से प्रसिद्ध हो चुके हैं। आइए जानते हैं एक फौजी के गाजर मैन बनने की कहानी…

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक जगह है सिकंदराबाद। वहां लगभग 18 वर्ष पहले रिटायर्ड कर्नल सुभाष चंद देसवाल ने गाजर की खेती करना शुरू किया। खास बात यह है कि उन्होंने उस वक्त गाजर की पारंपरिक खेती करने के बजाय अंग्रेजी गाजर की खेती करनी शुरू की। पहले अंग्रेजी गाजर की खेती दक्षिण के राज्यों में होती थी लेकिन उत्तर भारत में गाजर की खेती को प्रसार देने व पूरे देश में गाजर की उपस्थिति दर्ज करवाने में सुभाष चंद्र देसवाल महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने गाजर की अपनी पैदावार की बदौलत अपने शहर को गाजर कैपिटल बना दिया है जहां से देश के हर कोने में गाजर सप्लाई की जाती है।

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गाजर की खेती को सफलता के ऊंचे मापदंड तक ले जाने के कारण देश के कई क्षेत्रों में लोग इनसे प्रेरणा लेकर गाजर की खेती कर रहे हैं। बड़े पैमाने पर गाजर की खेती करने के कारण सुभाष चंद्र देसवाल कई लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। इनकी खेती, सप्लाई, ढुलाई और व्यापार के माध्यम से निसंदेह हजारों लोग अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं। उनका कहना है कि युवा वर्ग कृषि को इज्जत और सम्मान का क्षेत्र नहीं समझता है लेकिन यह उनकी गलत धारणा है। यदि वे इस क्षेत्र में आते हैं तो रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के साथ-साथ वे अच्छा-खासा पैसा भी कमा सकते हैं साथ हीं कई लोगों को रोजगार भी मुहैया करा सकते हैं।

सरकार के द्वारा किसानों को दी जा रही सुविधाएं बेहद सराहनीय है लेकिन इसके साथ किसान को हर वक्त सरकार की मदद की ओर ध्यान ना देकर उन्हें अपनी खेती की ओर ध्यान लगाना चाहिए। जब आप एक सफल किसान बन जाते हैं तो सरकार सामान्य रूप से मिलने वाली योजनाओं के साथ-साथ अन्य रूप में भी आपका मदद करती है। डीडी किसान से बातचीत में अपना उदाहरण देते हुए कर्नल सुभाष चंद्र देसवाल कहते हैं कि मैंने शुरू में सरकार से कोई मदद नहीं ली, लेकिन एक बार सफल होने के बाद मैंने जब मदद मांगी तो सरकार की तरफ से पूरा सहयोग और योगदान मिला।

रिटायर्ड कर्नल सुभाष चंद्र देसवाल जी ने जिस तरीके से गाजर की खेती कर उसे एक अलग मुकाम पर पहुंचाया है वह अन्य किसानों के लिए प्रेरणाप्रद है। The Logically रिटायर्ड कर्नल सुभाष चंद्र देसवाल जी के प्रयासों को नमन करता है।

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