Home Environment

Cow Dung Products: रायपुर का शख्स गाय के गोबर से बनता है चप्पल, बैग जैसी अनेकों चीज़ें, सालाना 36 लाख होती है कमाई

गांवों में गोबर के ढेर और गोबर से बने उपले या कंडे आम बात है, वहीं खेतों में भी गोबर का इस्तेमाल खाद के रूप में किया जाता है। कुछ लोगों ने गोबर से ईंट और सीमेंट आदि बनाकर किसानों को नई राह देने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षन में भी भूमिका निभा रहे हैं।

इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के एक शख्स ने गोबर का प्रयोग करके भिन्न-भिन्न आइट्मस बनाने का कारोबार शुरु करके सालाना 35 लाख रुपये की आमदनी कमा रहा है।

कौन है वह शख्स?

हम बात कर रहें हैं छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर के रहनेवाले रितेश अग्रवाल (Ritesh Agrawal) की, जो पेशे से एक पशुपालक है। रायपुर से स्कूली शिक्षा पूरी करने के वाद रितेश ने 2003 में स्नातक की पढाई पूरी की और एक कम्प्नी में नौकरी करने लगे। लेकिन नौकरी में मन नहीं लगने के कारण कई जॉब्स चेंज किए और अन्ततः वर्ष 2015 में उन्होंने नौकरी छोड़ने और पशुपालन करने का फैसला किया। उन्होंने सबसे पहले गौशला और गौ सेवा से जुड़े कार्य शुरु किए. उस दौरान उन्होंने गाय के गोबर से प्रोडॉक्ट (Cow Dung Product) बनाने का काम बगी शीख लिए थे। इसके लिए रितेश ने जयपुर और हिमाचल प्रदेश में प्रशिक्षण लिया था।

उसके बाद रितेश अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से शुरू किए गए गौठान मॉडल से जुड़कर काम करने लगे। उसमें उन्होंने गाय के गोबर से चप्पल, बैग्स आदि उत्पाद बनाएं और लोगों को इसकी ट्रेनिंग भी दी।

ritesh agrawal makes cow dung products like chappal bag

“एक पहल” संस्था बनाती है गोबर प्रोडक्ट

साल 2017 में रितेश ने गाय के गोबर (Cow Dung) का इस्तेमाल करके विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए “एक पहल” (Ek Pahal Organization) नामक संस्था की स्थापना की। गोबर से चप्पल बनाने के लिए चूना गोबर पाउडर और कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों को एक साथ मिलाकर तैयार किया जाता है।

बता दें कि 1 किलोग्राम गोबर से तकरीबन 10 चप्पले तैयार की जा सकती हैं जो 4 घंटे बारिश में भीगने के बावजूद भी खराब नहीं होती हैं। वही इन चप्पलों को धूप में सुखाकर भी दोबारा से प्रयोग में लाया जा सकता है। ये पैरों को ठंडक पहुंचाने का काम भी करती है।

यह भी पढ़ें :- Google की नौकरी छोड़ युवक ने पर्यावरण के लिए कदम उठाया, 39 झीलों और 98 तालाबों को पुनर्जीवित कर डाले

अबीर-गुलाल भी बनाती है यह संस्था

“एक पहल” नामक सन्स्था में चप्प्लों के अलावा गोबर का इस्तेमाल करके अबीर-गुलाल भी बनाया जाता है। इसके लिए सबसे पहले गोबर को धूप में अच्छी तरह सुखा कर उसे पाउडर में परिवर्तित किया जाता है उसके बाद उसमें फूलों की सूखी पत्तियों का पाउडर धनिया पाउडर और हल्दी पाउडर को मिलाया जाता है। -Cow Dung Product made by ritesh agrawal founder of Ek pahal organization.

रितेश अग्रवाल (Ritesh Agrawal) की सन्स्था एक पहल से अनेकों लोग जुड़े हुए हैं जो गोबर से अनेकों उत्पाद निर्मित करते हैं। बता दें कि रितेश वहां के स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देते हैं, जिसके बाद उन्हें काम पर रख लिया जाता हैं। दूसरे शब्दों मे कहें तो रितेश स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने का काम कर रहे हैं। उनकी संस्था द्वारा तैयार प्रोडॉक्ट की मांग राज्य के अलावा अन्य कई राज्यों में भी तेजी से बढ़ रही है। इस कारोबार से रितेश को सालाना 36 लाख रुपये की आमदनी होती है।

मुख्यमंत्री भी कर चुके हैं रितेश द्वारा तैयार प्रोडक्ट

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा साल 2022 के बजट को गोबर से बने ब्रीफकेश में पेश किया था। इस बैग को रितेश और उनकी सन्स्था ने 10 दिनों में तैयार किया था।

रितेश के अनुसार, प्लास्टिक की चीजों का अधिक इस्तेमाल होने से पर्यावरण तेजी से प्रदूषित हो रहा है। इसके अलावा गायें भी प्लास्टिक को खा लेती हैं, जिससे वह उनके पेट में जाकर चिपक जाता है और गाय को बीमारी हो जाती है। ऐसे में गाय के गोबर से निर्मित चीजों का इस्तेमाल करने से प्लास्टिक प्रदूषण कम होगा और गायों की सेहत भी खराब नहीं होगी।

सकारात्मक कहानियों को Youtube पर देखने के लिए हमारे चैनल को यहाँ सब्सक्राइब करें।

Exit mobile version