यूपीएससी की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। कहते हैं कि इस परीक्षा को पास करने वाला हर कैंडिडेट कठिन तपस्या में तप कर आता है । परीक्षा को पास कर अफसर बने हर कैंडिडेट की अपनी एक कहानी होती है जिससे लाखों युवाओं को प्रेरणा मिलती है। इस परीक्षा को पास करने के लिए बहुत ही कठिन मेहनत करनी पड़ती हैं, यह बात हम सब जानते हैं। जरूरी नहीं कि इस परीक्षा को पास करने वाला हर विद्यार्थी पढ़ने में बहुत ही तेज रहा हो। कभी कुछ ऐसे भी रहे जिनके अपने स्कूल की परीक्षाओं में बहुत ही कम मार्क्स आए, तो कुछ ऐसे भी है जो फेल भी हुए। लेकिन इस परीक्षा को पास करने का सपना देखने वाला हर कैंडिडेट कठिन मेहनत और दृढ़ निश्चय से परीक्षा को पास करता हैं। आज की कहानी भी कुछ इसी तरह की शख्सियत रखने वाली रुक्मणि रायर की हैं।
छठी कक्षा में फेल हो गई थी
रुक्मणि रायर( Rukmani rayer) जब छोटी थी तब ही इन्हे डलहौजी के एक बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया गया था। रुक्मिणी को उस स्कूल में सब से घुलने मिलने में समय लग रहा था और इसका प्रभाव रुक्मिणी के पढ़ाई पर भी पर रहा था। यही कारण था कि रुक्मणि छठी कक्षा में फेल हो गई।
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निराशा में चली गई
छोटी सी उम्र में मिली इस असफलता से रुक्मणि डिप्रेशन में चली गयी थी। इन्होंने सबसे बात करना बंद कर दिया था । अपने माता-पिता और दोस्तो से भी यह कटी-कटी सी रहने लगी थी। रुक्मणि रायर बताती है कि वह इस घटना के बाद बहुत मज़बूती से आगे बढ़ी। इस असफलता ने उन्हें निराश ज़रूर किया पर वह इससे हारी नही। इसके बाद इन्होंने कड़ी मेहनत से सारे एग्जाम अच्छे नंबरो से टॉप किया।
यूपीएससी में दूसरा स्थान पाया
रुक्मणि ने टाटा स्कूल ऑफ सोशल साइंस से सोशल इंटरप्रेन्योर की पढ़ाई की । इसके बाद उन्होंने कई एनजीओ के साथ काम किया। रुक्मणि यही नही रुकी, लोगो की सेवा करने के मकसद से उन्होंने लोकसेवा की परीक्षा पास करने का मन बनाया। इसकी तैयारी के लिए उन्होंने राजनीति विज्ञान और सोशियोलॉजी को विषय के रूप में चुना।
2011 में लोकसेवा की परीक्षा में बिना कोचिंग के उन्होंने पूरे देश मे दूसरा स्थान प्राप्त किया। इस तरह से रुक्मणि रायर (Rukmani rayer) सबके लिए उदाहरण बन गई।
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