राजस्थान के अजमेर शहर की रहने वाली 34 वर्षीय अल्ट्रा रनर सूफिया खान (Ultra Runner Sufiya Khan) ने 4035 किलोमीटर दौड़कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) में अपना नाम दर्ज करवाया है। सूफिया ने यह दूरी अपने Mission Hope के चलते कश्मीर से कन्याकुमारी तक 87 दिन, 2 घंटे और 17 मिनट में दौड़कर पूरी की है। सूफिया के इस मिशन का उद्देश्य 22 शहरों में जाना और लोगों से मिलकर उन्हें मानवता,एकता,शांति और समानता का संदेश देना। सूफिया ने इस दूरी को 100 दिन में पूरा करने का फैसला किया था, जिसे उन्होंने 13 दिन पहले ही हासिल कर दिखाया और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड को अपने नाम कर लिया।
मिशन का नाम ‘होप’ ही क्यों (Mission Hope)
सूफिया ने अपने मिशन के जरिए देशवासियों को मानवता, एकता, शांति और समानता का संदेश देना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अपने मिशन का नाम होप (HOPE) कुछ यू रखा
H – Humanity (मानवता)
O – Oneness (एकता)
P – Peace (शांति)
E – Equity (समानता)
कौन है गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली महिला
सूफिया का जन्म अजमेर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। जब सूफिया 16 वर्ष की थी तो उन्होंने अपने पिता को खो दिया था। इसके बाद सूफिया की मां ने उन्हें पढ़ा-लिखाकर बड़ा किया। वह बचपन से ही ऊंची उड़ान भरने के सपने देखा करती थी और आगे चलकर सूफिया ने एयरलाइन कंपनी में ड्यूटी ऑफिसर की नौकरी भी की, लेकिन उन्होंने कुछ समय बीतने के बाद नौकरी छोड़ दी, क्योंकि वह रनिंग पर फोकस नहीं कर पा रही थी।
साल 2018 में सूफिया ने ग्रेट इंडियन गोल्डन ट्रायएंगल प्रतियोगिता में की 720 किलोमीटर की दूरी महज 16 दिनों में पूरी की थी, जिसके लिए उनका नाम इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (Indian Book of Records) पर दर्ज किया गया। सूफिया ने देश में एकता, शांति और भारत की संस्कृति बचाने का संदेश देने के लिए मिशन होप को शुरू करने का फैसला किया था, जो अब पूरा हो चुका है।
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हर स्थान से मिला सूफिया को सम्मान
इस रिकॉर्ड के लिए सूफिया खान को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Guinness World Record) का सर्टिफिकेट दिया जा चुका है और कुछ दिनों में ही उनका नाम इस बुक में दर्ज हो जाएगा। सूफिया का कहना है कि वह अपने मिशन होप के दौरान जिस भी शहर से गुजरी, वहां के लोगों ने उनका दिल से स्वागत किया और उनके साथ दौड़ में शामिल भी हुए। बड़े बुजुर्गों ने सूफिया के साथ अपनी बेटी जैसा बर्ताव किया और देखभाल भी की। खासकर जब वो चलने की स्थिति में भी नहीं थी, तब लोगों ने फरिश्तों की तरह सहायता कर उनकी रक्षा की।
लोगों का शुक्रियादा करती हैं सूफिया
सूफिया खान अपने मिशन के दौरान प्रोत्साहना देने, दौड़ में निस्वार्थ भाव से शामिल होने, मदद करने और सुरक्षा देने वाले सभी लोगों का शुक्रिया अदा करती है। सूफिया कहती है की यह सिर्फ उनकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि इसे पाने के लिए उन सभी का समान योगदान है, जिन्होंने दिल से उनका साथ दिया और वो इस उपलब्धि को उन्हीं लोगों को समर्पित करना चाहती है।