जीवन को बेहतर जीने के लिए मनुष्य का शरीर स्वस्थ्य होना बेहद जरुरी है। यदि कोई मनुष्य शरीर के किसी भाग से अपाहिज हो तो जीवन जीने मे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। किसी एक भाग से विकलांग होने पर जीवन जीना फिर भी थोड़ा आसान है। लेकिन क्या एक ऐसी बीमारी जिसमे समय के साथ शरीर के सभी हड्डियां टूट रही हो, खुद का एक भी कार्य करना बेहद कठिन हो, उसमें जीवन जीना सरल है? ऐसी बीमारी में सुचारु रूप से जीवन जीना बेहद संघर्षपूर्ण होता है। लेकिन यदि हौसला बुलंद हो तो शायद विपत्ति भी घुटने टेक देती है।
आज हम आपको एक ऐसी बेटी के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारें में जानकर सभी को हैरानी होगी। लेकिन उस बेटी की यह कहानी सभी को जीवन जीने के लिये प्रेरणा देती है। आईए जानते हैं उस बेटी के संघर्षपूर्ण जीवन के बारे में।
सबल परवीन (Sabal Paraveen) बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) की रहनेवाली हैं। उनकी उम्र 21 वर्ष है। उनकी माता का नाम गजाला है तथा पिता का नाम मोहम्मद शाहिद अनवर है। परवीन एक ऐसी बीमारी से ग्रसित हैं, जिसमें हड्डियां एकदम कमजोर हो जाती हैं जिसकी वजह से वह टूटने लगती हैं। वह एक जेनेटिक डिसआर्डर है जिसे ऑस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्ता के नाम से जाना जाता है। परवीन के शरीर में 90% से अधिक हड्डियां टूट चुकी हैं। हड्डियां टूट जाने के वजह से परवीन अपना कोई भी कार्य खुद से नहीं कर सकने के कारण अपने आप को लाचार महसूस करती हैं। परवीन का हिलना-डुलना भी मुमकिन नहीं है।
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शरीर के 90% हड्डियां टूटने के बाद भी परवीन के इरादे बुलंद है। उन्होंने कभी भी अपने आप को विकलांग नहीं माना है। वह बताती हैं कि लोग उन्हें करुणा भारी निगाहों से देखते हैं। परवीन का जन्म एक साधारण बच्चे की तरह हीं हुआ था, लेकिन आहिस्ते-आहिस्ते उनके शरीर में परिवर्तन होना आरंभ हो गया।
परवीन की मां ने बताया कि जन्म के समय से हीं परवीन की त्वचा बहुत पतली थी। उनकी हड्डियां बहुत कमजोर है। अनेकों डॉक्टरों से दिखाया गया परंतु कोई लाभ नहीं हुआ। परवीन के सुबह जगने से रात के सोने तक उनकी बहनें उनका ख्याल रखती हैं। उनके माता-पिता भी बहुत साथ देते हैं।
परवीन को कई बार ऐसा लगता है कि शरीर किसी पिंजरे की तरह है। ऐसे में परवीन के पिता उनके हौसले को बढ़ाते हैं। वह परवीन को एक गाना सुनाते हैं जिसके बोल कुछ इस तरह से है…सबसे बड़ी सौगात है जीवन, नादान हैं तो जीवन से हारे।
सभी को जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि इतनी सारी कठिनाइयों का सामना करने के बाद भी परवीन ने पढाई किया है। उन्होंने इण्टरमीडिएट की परीक्षा भी दिया है। परवीन ने राइटर की सहयता से यह इम्तिहान दिया है।
परवीन ने जीवन में इतना कुछ होने के बाद भी हार नहीं मानी। उनके बुलंद हौसले और जीवन जीने के जुनून को The Logically शत-शत नमन करता है।