आजकल लगभग हर देश में प्लास्टिक एक समस्या बन गया है। ज़्यादातर सामान प्लास्टिक के थैला में ही पैक्ड रहता है। प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जिसका विघटन नहीं होता है। यह ना ही मिट्टी में विघटित होता है, ना ही जल में। यह एक नॉन-बायोडिग्रेडेबल पदार्थ है। ऐसे में यह एक बहुत हानिकारक पदार्थ है जो जल, मिट्टी और वायु प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है। सभी लोग प्लास्टिक का इस्तेमाल करते है, फिर फेंक देते। कोई यह नहीं सोचता कि आख़िर इस प्लास्टिक का होता क्या है या किस तरह से ये हमारे पर्यावरण को नुक़सान पहुंचा रहें हैं। हमारे आस-पास प्लास्टिक के बहुत सारे सामान है। जैसे- प्लास्टिक की बोतल, फर्नीचर, खिलौने, पॉलीथीन, इत्यादि। कई लोग फिक्रमंद होते हैं। वे इस बारे मे सोचते हैं कि पर्यावरण को प्रदूषित करने में प्लास्टिक की बहुत ज़्यादा भूमिका है।
उनमें से ही एक है मणिपुर (Manipur) के इंफाल में रहने वाले सदोक्पम के इटोबी (Itobi Singh) सिंह और उनके पिता सदोक्पम गुनाकांता (Sadokpam Gunakaantaa)। इन लोगों ने इसके बारे में सोचा और वातावरण को स्वच्छ रखनें की कोशिश में लग गये और इसके बारे में वह व्यवसाय करने का मन बना लिए। इटोबी सिंह सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज से कम्पयूटर एप्लीकेशन में स्नातक की डिग्री लिए हैं।
मणिपुर में रिसाइकल प्लांट नहीं होने के कारण इटोबी सिंह और गुनाकांता ने प्लास्टिक के कचरे को जमा कर के दिल्ली और गुवाहाटी जैसे शहरों में जहां प्लास्टिक रीसाइक्लिंग प्लांट है वहां भेजने लगे। साल 2007 में सदोक्पम और इटोबी सिंह ने डेढ़ लाख रुपए से एक कम्पनी की शुरुआत की। उस कम्पनी का नाम जे एस प्लास्तिकस रखा गया। साल 2010 में उन्होनें प्लास्टिक के कचरे को रीसाइक्लिंग प्लांट तक भेजने के लिए एक नयी मशीन लगाई, जिसको कम्प्रेश कर के आगे भेजा जा सके। इस प्लास्टिक के कचरे से उन्होनें रीसाइक्लिंग कर के वहां के रहने वाले लोगों के लिए पाइप, टब, गमले और घर के सजावट की सामान जैसे उपयोगी वस्तुएं बनाने लगे। आज इस कम्पनी का कारोबार 10 साल में डेढ़ लाख तक पहुंच चुका है।
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मणिपुर में 120 प्रकार के प्लास्टिक की पहचान हुई है। इसमें से 30 प्रकार के प्लास्टिक का रीसाइक्लिंग मणिपुर में ही होता है। शेष बचे हुए प्लास्टिक को कम्प्रेश कर के दिल्ली, गुवाहाटी जैसे शहरों में भेजा जाता है। इटोबी का मानना हैं कि प्लास्टिक इको सिस्टम के लिए बहुत खतरनाक है। गुनाकांता ने इटोबी को बताया कि उन्हें प्लास्टिक के रीसाइक्लिंग के बारे में लोगों को जागरूक करना होगा और इसके प्रति सजगता बरतनी होगी। उन्हें दूसरे जगह को प्रदूषित होने से बचाव करना होगा और लोगों को भी इस बारे में समझाना चाहिए। ऐसा करने से जल और प्राकृतिक संसाधन भी स्वच्छ और सुरक्षित रहेंगे।
The Logically ऐसे लोगों को नमन करता हैं, जो प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में सोचते हैं और उनसे पर्यावरण के बचाव का उपाय करतें हैं।