अगर कोई इंसान अपनी जिंदगी मे सच्चे मन से कुछ करने की ठान ले तो उसे मंजिल तक पंहुचने में दुनिया की कोई ताकत नही रोक सकती। संप्रदा सिंह इसके जीते-जागते मिशाल हैं जिन्होंने बिहार राज्य से अपने काम की शुरुआत कर पूरे विश्व में एक सफल व्यवसाई बनने का मिसाल दिया।
इनका जन्म बिहार के जहानाबाद जिले मे हुआ था, ये किसान परिवार से थे और इनका सपना डाॅक्टर बनना था, घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर होने के बावजूद भी इनके पिता ने इनको पटना डॉक्टरी की तैयारी करने के लिए भेजा। काफी मेहनत के बावजूद भी यह परीक्षा में असफल रहे।
करोबार की शुरूआत
1953 में इन्होंने एक छोटी दवा दुकान से अपने करोबार की शुरुआत की जिसमें काफी मेहनत के बाद सफलता मिली, फिर1960 मे इन्होंने फार्मास्युटिकल्स डिस्ट्रिब्यूशन फर्म की शुरुआत की, जिसका नाम “मगध फार्मा” गया। ये अपनी दवाईयां बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों को देने लगे। इन्होंने सोंचा जब मै शून्य से शुरू कर एक सफल डिस्ट्रिब्युशन फर्म का निर्माण कर सकता हूँ तो क्यों नहीं एक ‘फार्मा ब्रांड’ का निर्माण बाज़ार के लिए भी करू। 1973 मे इन्होंने मुंबई मे खुद के द्वारा निर्मित कंपनी खोली जिसका नाम’ ऐल्केम ‘ है। 1989 मे इन्होंने टैक्सिम बनाया और इन्हें प्रसिद्धि मिली। टैक्सीम से मिली सफलता के कारण ये दवा निर्माता के नाम से पहचाने जाने लगे। टैक्सिम ने बाज़ार मे वर्चस्व कायम कर “ऐल्केम लेबोरेटरीज” को नया पहचान दिलाया।
फार्मास्युटिकल्स और न्यूट्रास्युटिकल्स को आज ‘एल्केम लेबोरेटरीज’ बनाती है। लगभग 30 देशों मे संप्रदा सिंह का कारोबार है। विश्व मे इनकी पहचान फार्मा सेक्टर के रूप मे होती है। इनकी गिनती अमीरों मे होती है। ये बिहार के पहले व्यवसाई हुए जिनका नाम करोड़पति वर्ग मे शामिल हुआ। फार्मा उद्योग के लिए इन्हे “ऑस्कर के समकक्ष एक्सप्रेस फार्मा एक्सीलेंस” अवाॅर्ड से भी नवाजा गया है। 2019 मे इनका निधन होने के बाद इनके करोबार का जिम्मा इनके भाई ने ली। कंपनी की कुल कमाई लगभग 74448.9 करोड़ सलाना है। संप्रदा सिंह के इस जज्बे और दृढ़ इच्छाशक्ति को Logically नमन करता है।
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