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तिरुपति के संदीप बिना मिट्टी के उगा रहे सब्जियां, शुरू किया अपना ‘शहरी खेत’

भारत में त्याग और तपस्या का दूसरा रूप किसानों को ही माना जाता है। एक किसान ही है, जो जीवन भर मिट्‌टी से सोना उत्पन्न करते रहते है। अब भारत के बहुत से युवा भी इस क्षेत्र में अपना कैरियर बना रहे हैं। उनमें से एक तिरुपति (Tirupati) के रहने वाले 23 वर्षीय संदीप कन्नन (Sandeep Kannan) हैं। संदीप के वजह से ही तिरुपति के निवासियों को पौष्टिक, स्वच्छ और कीटनाशक मुक्त पत्तेदार सब्जियां मिल रही है। – Sandeep Kannan from Tirupati is growing vegetables through hydroponic farming.

Sandeep Kannan from Tirupati is growing vegetables through hydroponic farming

हाइड्रोपोनिक खेती के जरिए उगा रहे है सब्जियां

एक और जहां संदीप के सभी साथी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। वहीं संदीप ने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU) से अपनी बीएससी (BSC) कृषि पूरी करने के बाद एक ‘शहरी खेत’ की स्थापना की। संदीप थानापल्ले में अपनी आधा एकड़ कृषि भूमि पर खेती शुरू किए। वे पॉलीहाउस हाइड्रोपोनिक खेती (Hydroponic Farming) के जरिए सब्जियों की खेती कर रहे हैं।

हाइड्रोपोनिक खेती से उगाए गए सब्जियों में ज्यादा पोषक तत्वों होते है

संदीप अपने खेत में लेट्यूस, पालक, लाल अमरनाथ, काले तुलसी, ब्रोकोली, पाक चोई (चीनी गोभी) और कुछ पत्तेदार सब्जियों की खेती करते है। हैं। संदीप कन्नन (Sandeep Kannan) बताते है कि पॉलीहाउस हाइड्रोपोनिक खेती का उपयोग करके उगाई जाने वाली सब्जियां पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं और जैविक खेती के माध्यम से उगाए गए उत्पादों की तुलना में फाइबर भी अधिक मात्रा में होता है।

कम लागत में किया जा सकता है हाइड्रोपोनिक खेती

हाइड्रोपोनिक खेती कम लागत में होती है तथा इसमे पौधों को तापमान नियंत्रित प्रणाली में उगाया जाता है, जो उनके विकास के लिए पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान करता है। संदीप कहते है कि पारंपरिक कृषि पद्धतियों के विपरीत हाइड्रोपोनिक खेती में मिट्टी रहित खेती शामिल है, जिससे किसानों को अपने निवेश पर बेहतर उपज प्राप्त हो सकती है। शुद्ध कपों में पौधा बोने के बाद, उस पौधों को मानव निर्मित वातावरण में 45 से 60 दिनों तक बढ़ने दिया जाता है और फिर पौधे कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।

हाइड्रोपोनिक्स खेती में कीट मारने वाले पौधों का प्रतिशत न्यूनतम है

संदीप के अनुसार हाइड्रोपोनिक कृषि उपज को गुणवत्ता और मात्रा के मामले में जैविक खेती से परे माना जाता है। जैविक खेती में किसान कीटों को मारने के लिए बेकिंग सोडा, हाइड्रोजन पेरोक्साइड और नीम के तेल का उपयोग करते हैं, लेकिन हाइड्रोपोनिक्स खेती में कीट मारने वाले पौधों का प्रतिशत न्यूनतम है क्योंकि यह मिट्टी रहित खेती है और इसमें एक नियंत्रित वातावरण शामिल है। – Sandeep Kannan from Tirupati is growing vegetables through hydroponic farming.

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डोर-डिलीवरी के माध्यम से उपलब्ध करा रहे

संदीप कन्नन (Sandeep Kannan) बताते है कि हाइड्रोपोनिक खेती के माध्यम से उगाई जाने वाली सब्जियों की बैंगलोर, चेन्नई और हैदराबाद जैसे मेट्रो शहरों में ज्यादा मांग होती है। तिरुपति में लोग धीरे-धीरे इसे स्वस्थ भोजन के एक हिस्से में शामिल कर रहे है। संदीप अपने खेत में उगाए गए पौधों को सुपरमार्केट में और शहर में डोर-डिलीवरी के माध्यम से उपलब्ध करा रहे है।

संदीप छात्रों को हाइड्रोपोनिक्स खेती की तकनीक सिखा रहे है

संदीप उन छात्रों के लिए ज्ञान साझाकरण केंद्र का स्रोत बन गए है, जो किसान बनने की इच्छा रखते हैं। संदीप उन्हें अपने फार्महाउस का दौरा प्रदान करते हैं और साथ ही पॉलीहाउस हाइड्रोपोनिक्स खेती की तकनीक सिखाते हैं। संदीप की सफलता देख युवाओं में किसान बनने की इच्छा जाग रही है। । – Sandeep Kannan from Tirupati is growing vegetables through hydroponic farming.

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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