Monday, December 11, 2023

रेडिमेड कपड़े की दुकान टूटी तो संगीता ने मशरुम की खेती शुरू की, आज 25-30 हज़ार तक हर महीने कमाती हैं

अधिकतर यह देखा गया है कि जब इंसान के कमाने के सारे रास्ते बंद हो जाते है तो वो खेती करने को सोचता है। खेती से कम लागत में अच्छी कमाई किया जा सकता है। ऐसे ही आज एक महिला की बात करेंगे, जब इनके परिवार के पास कमाने का कोई रास्ता नही था तब इन्होंने मशरूम की खेती करने को ठानी। आज मशरूम की खेती (Mushroom Farming) कर आसानी से अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही है और अन्य महिलाओं के लिए भी एक सशक्त के रूप के उभरी हैं।

कौन है वह महिला

संगीता गुप्ता (Sangeeta Gupta), बिहार के रोहतास (Rohtas) की रहने वाली है। इनके परिवार की एक रेडीमेड दुकान थी, जिसके सहारे इनके परिवार की पालन-पोषण हुआ करती थी। लेकिन एक दिन ऐसा आया जब उनकी एकमात्र कमाई का जरिया वह रेडीमेड दुकान टूट गया, जिसके वजह से इनके कमाने के सभी रास्ते बंद हो गए। घर की आर्थिक स्थिति सही नही होने के कारण बच्चों की पढ़ाई में बाधा पड़ने लगी। एक दिन ऐसा आया, अपनी बेटी को इंजिनीरिंग कराने के लिए संगीता को अपने सारे गहने बेचने पड़े।

Sangeeta Gupta

कैसे आया मशरूम की खेती (Mushroom Farming) का सुझाव?

वर्ष 2012 में, संगीता को अखबार के माध्यम से मशरूम उत्पादन के बारे में पता चली। तभी उनके मन मे एक आशा की किरण जगी। उन्होंने तय कर लिया कि उनको मशरूम की खेती करनी है। इसकी खेती से जुड़ी जानकारी के लिए उम्मीद के साथ वह कृषि अनुसंधान केंद्र गई। वहां से उन्होंने मशरूम की खेती से जुड़ी सभी जानकारियां एकत्रित की। मशरूम की खेती की शुरुआत उन्होंने सिर्फ़ 30 बैग के साथ की। लागत के अनुसार उनको खूब मुनाफा हुआ। बाद में उन्होंने बैग की संख्या बढ़ाकर 500 तक कर दी।

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कितना कर लेती है कमाई?

मशरूम की खेती से हर महीना संगीता लगभग 25 से 30 हज़ार रुपया जुटा लेती है। कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा संगीत को काफ़ी सहयोग दिया जाता है जिसके कारण वह अब आचार, लड्डू और पापड़ इत्यादि भी बना रही हैं। अब संगीता अपने परिवार का पालन-पोषण में कोई कमी नही आने देती।

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गांव की अन्य महिलाओं को भी किया सशक्त

संगीता, आज सशक्त महिला के रूप में समाज मे उभरी है। साथ ही साथ गांव की दूसरी महिलाओं को भी सशक्त बनाने का काम कर रही हैं। उन्होंने गाँव में एक ग्रुप भी बनाया है, जिसमे 20 से अधिक महिलाएँ शामिल हैं। इस ग्रुप की सभी महिलाएं आचार, मिठाई, मुरब्बा, पापड़ इत्यादि बनाने का काम करती है और इसको बाजार में बेचा भी जाता है। इस ग्रुप की सभी महिलायें महीना में 12 से 18 हज़ार रुपया की कमाई आसानी से कर लेती है।