भारत का इतिहास दानवीरों से भरा पड़ा है। कई ऐसे लोग इस धरती पर जन्म लिए जिन्होंने गरीब और जरुरतमंद लोगों के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया है। हालकि आज भी हमारे बीच कई ऐसे लोग मौजूद हैं, जो खुद से पहले दूसरो की जरूरत को समझते हैं। अगर आपको ऐसी इंसानियत देखनी है तो गया के जीबी रोड स्थित एक छोटी सी चाय की दुकान पर जाएं, यहां आपको इंसानियत का एहसास होगा। उस व्यक्ति ने अपनी पूरी जिंदगी परमार्थ के लिए लगा दी। दूसरों के लिए जीने वाले उस व्यक्ति का नाम संजय चंद्रवंशी (Sanjay Chandravanshi) है। – A family that has been helping people since the last five generations.
लोगों की मदद करने के लिए घर तक बेच दिए
आपको बता दें कि संजय ने गरीबों की सेवा करते हुए अपना घर तक गिरवी रख दिया। इसके अलावा जिस महाजन से संजय ने पैसे लिए थे, उसके पैसे चुकाने के लिए उन्होंने अपनी इकलौता गाड़ी और घर को उसी महाजन के हाथों सौंप दिया। हालांकि उसके बाद भी इंसानियत की प्रतिमूर्ति बने संजय चंद्रवंशी स्वयं नहीं बल्कि अपने परदादा झंडू राम, पिता बनवारी राम और स्वयं संजय चंद्रवंशी के साथ-साथ उसका पुत्र गौतम चंद्रवंशी पत्नी अनीता देवी सभी मिलकर इंसानियत के मार्ग पर आगे चल रहे हैं।
पूरा परिवार करता है लोगों की मदद
संजय अपने पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे के साथ गया में रहते हैं। उनका परिवार अपने कार्य से चर्चा का विषय बना हुआ है। उनकी एक छोटी सी चाय की दुकान है, जहां वह अपने बेटे के साथ मिलकर मुफ्त में चाय पिलाते हैं, वह भी बिस्किट के साथ। यही वजह है कि संजय की दुकान पर गरीबों की भीड़ जमा रहती है। जाड़े के दिनों में संजय गरीबों के लिए कम्बल जैसे कई अन्य चीजों का इंतजाम करते हैं। संजय बताते है कि गरीबो की मदद के लिए अगर मुझे अपना किडनी भी बेचना पड़े तो वह बिना सोचे बेच देंगे। – A family that has been helping people since the last five generations.
खुद गरीबों को चाय बनाकर पिलाते हैं
संजय को गरीबों की सेवा करके बहुत खुशी मिलती है और वह अपने छोटी सी कमाई से भी बहुत खुश हैं। ना केवल संजय बल्कि उनकी पत्नी भी गरीबों को खाना बनाकर खिलाती है। साथ ही उनका बेटा खुद गरीबों को चाय बनाकर पिलाता है, जो अभी बी.कॉम की पढ़ाई कर रहा है। संजय चंद्रवंशी गया जिला के अति उग्रवाद नक्सल प्रभावित क्षेत्र इमामगंज प्रखंड के केंदुआ गांव के रहने वाले हैं।
पांच पुश्तों से चला आ रहा है दान करने की परम्परा
संजय चंद्रवंशी के परदादा झंडू राम और दादा श्री राम के अलावे पिता बनवारी राम अपने पिछले तीन पुश्तों से इंसानियत की मिसाल पेश करते रहे हैं। अब इसी परंपरा को संजय और उनके पुत्र गौतम चंद्रवंशी आगे बढ़ा रहे हैं। दानवीर कर्ण की ही तरह यह परिवार भी पांच पुश्तों से दान कर रहा हैं। संजय आज भी विकट परिस्थितियों में लोगों की मदद करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। उनका यह प्रयास हर किसी के लिए प्रेरणा है। – A family that has been helping people since the last five generations.