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राजस्थान की मरुस्थल में ऑर्गेनिक खेती कर कमा रही हैं 25 से 30 लाख रूपये सालाना: मुख्य’मंत्री भी तारीफ कर चुके हैं

‘जो दिल ना लगे उसे कह दो बाय बाय’
कुछ वर्षो पहले आयी फिल्म डिअर ज़िंदगी बहुत ही प्रेरणादायक फिल्म है हमे बहुत से पाठ सिखाती है और ये गाना तो मुझे बहुत प्रिय है और सही भी कहा है जिस काम मे दिल नहीं लगता वो मत करो।  आप जहाँ  हो वहा खुश नहीं हो तो रास्ता बदल लो हमेशा दिल की सुनो और  वही काम करो जो तुम्हे ख़ुशी दे अक्सर हम सभी के जीवन में ऐसा समय आता है जब हमे अपने परिवार की जिम्मेदारियों को ध्यान में रखकर काम करना पढता है और हम अनचाहे वो काम करते रहते है फिर हम धीरे धीरे अपने सपनो को भूल जाते है आप हमेशा वही काम करो जो आपको पसंद है आप पहाड़ या पेड़ नहीं जो चल नहीं सकते अपना रास्ता बदलो और जिस काम में मन लगे वही करो  फिर देखना आपको कभी काम ही नहीं करना पड़ेगा और अपने आप रास्ता बन जाएंगे। 

यह बात राजस्थान के सीकर जिले की एक महिला किसान के ऊपर बिल्कुल ठीक बैठती है। आज हम बात कर रहे है संतोष देवी खेदड़ की जिन्होंने हमेशा अपने दिल की सुनी है और वह काम किया जो उनको पसंद था। उनका खेती के प्रति जुनून व अपनापन उनके बचपन से ही था दिल्ली से 5वी तक कि पढ़ाई करने के बाद वह गांव आ गयी और घरवालो के साथ रहकर खेती के गुर सीखती थी। संतोष खेदड़ बताती है मुझे शहर कुछ खास पसंद नही आता था ना ही पढ़ाई में ज्यादा मन लगता था। मुझे खेती बाड़ी शुरू से ही पसंद थी मुझे यह काम करके बहुत खुशी मिलती थी। उनकी काम के प्रति लगन, समर्पण, प्रेम व मेहनत से वह सालाना 25 से 30 लाख रुपये तक कमा लेती है।

संतोष खेदड़ का परिचय

संतोष खेदड़ राजस्थान के सीकर जिले के बैरी नामक गाँव मे रहती है। उनका जन्म 25 जून 1974 को हुआ। उनके पिताजी के पास भी 20 बीघा जमीन थी पर वह पुलिस की नॉकरी में चले गए। वह पारंपारिक तरीको से लेकर हाईटेक तकनीकों से खेती करती है इसमें उनके पति रामकरण खेदड़ व उनके बच्चे भी पूरा साथ देते है। संतोष खेदड़ 12 साल की उम्र से ही सीख रही है खेती के गुर। उन्होंने 10वी तक पढ़ाई की।

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यूँ हुई शुरुआत

संतोष का यूँ तो बचपन से ही खेती से नाता है परंतु 2008 में उन्होंने खेती में कदम रखा। संतोष खेदड़ के पति रामचरण खेदड़ पहले होमगार्ड की नॉकरी करते थे जहाँ रामकरण जी नॉकरी करते थे वहां बहुत सारे अनार के पेड़ थे उसी को देखकर उन्हें आईडिया आया और दोनों पति पत्नी ने मिलकर खेती की शुरूआत की।

आसान नही थी राह

The Logically से बात करते समय संतोष खेदड़ बताती है मेरे लिए यह राह बिल्कुल भी आसान नही थी। मरुस्थल जैसी बंजर खेती पर अनार की खेती करना नामुमकिन सा था क्योंकि अनार व सेब की खेती ठंडे इलाको में कई जाती है पर मुझे घर की आर्थिक स्तिथि को सुधारने के लिए कुछ तो करना ही था। उस समय मेरे पति होमगार्ड की नॉकरी करते थे और उनको 3000 रुपये तनख्वाह मिलती थी ऐसे में तीन बच्चों का पालन पोषण करना और घर चलाना आसान नही था लेकिन जब 2008 में घर का बटवारा हुआ तो खर्च और बढ़ गया उनके हिस्से में 1.25 एकड़ जमीन आयी फिर उन्होंने 2008 में अनार की खेती करना शुरू किया इसके लिए उन्हें उनकी भैंस को भी बेचना पढ़ा।

मिल चुके है कई पुरस्कार

संतोष खेदड़ ने महिला किसानों में अपनी एक अलग ही पहचान बना ली है। राजस्थान सरकार ने व कृषि मंत्रालय में नवीन तकनीकी अपनाने के लिए 1 लाख रूपये पुरस्कार दिया व भारत के उपराष्ट्रपति व राजस्थान की CM ने उन्हें जैविक खेती के लिए सम्मानित किया साथ ही उन्हें 2018 व 2019 में भी उदयपुर व बीकानेर से अवॉर्ड मिले।

शेखावटी कृषि फार्म खोला

संतोष खेदड़ ने एक कृषि फार्म खोला जहां वह अपने कार्य से संबंधित लोगो को प्रशिक्षण देती है और खेती में नए नए गुर का इस्तेमाल करके खेती को आगे कैसे बढ़ाना है, देखभाल कैसे की जाती है, मिट्टी को उपजाऊ कैसे बनाया जाता है व नई कटिंग तकनीक आदि के बारे में सिखाती है। हर रोज उनसे सीखने 15 से 20 किसान आते है जिनके लिए खाना भी वह खुद ही बनाती है साथ ही उन्होंने अपने फार्म में रेस्ट रूम्स भी बनवाए हुए है। संतोष जी कहती है मुझे लोगो की मदद करने में बहुत खुशी मिलती है अच्छा लगता है उन सबके लिए यह सब काम करके।

की नई मिसाल कायम

जैसा कि हम सब ने फिल्मो, किस्सो, कहानियों में देखा व सुना है कि बेटी के जन्म होते ही माता पिता उसके भविष्य के लिए पैसा जोड़ना पहले शुरू कर देते है पर इसके ठीक विपरीत संतोष खेदड़ ने किया उन्होंने अपनी बेटी की शादी की जिसमे सामान, फर्नीचर, चुल्हा – चाकी नही दी बल्कि 500 अनार के पौधे दिए और बरातियों को दो दो अनार के पौधे दिए।

संतोष खेदड़ व रामकरण खेदड़ जी अपनी मेहनत, लगन, ईमानदारी व काम के प्रति समर्पण से लोगो को प्रेरणा दे रहे है वह प्रति वर्ष अनार व सेब की खेती से अच्छी खासी कमाई कर लेते है और किसानों को खेती के गुर, सौर ऊर्जा व नवीन तरीको से खेती कैसे की जाती है आदि सिखाते है सच मे यह दोनों हम सभी लोगो को बहुत प्रभावित करते है व प्रेरणा देते है। हम आपके प्रयासो की सराहना करते है और आप दोनों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है।

दिल्ली विश्वविद्यालय से एम ए और ट्रांसलेशन कर चुकी है अनु साहित्य में विशेष रुचि रखती हैं। इनकी रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं तथा वेबसाइटों पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में फ्रीलांसर राइटर, एडिटर, प्रूफरीडर तथा ट्रांसलेटर का कार्य कर रही हैं।

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