शिक्षा का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। एक शिक्षा हीं है जो हमें सही और गलत के बारे में समझाता है और हमारा मार्गदर्शन करता है। यदि बात हो प्राईमरी शिक्षक की तो बच्चों में बेसिक ज्ञान और संस्कार की प्राप्ति उसी से होता है। सपने देखने पर बंदिशे नहीं होती हैं। सपने तो कोई भी देख सकता है। उस पर ऊंच-नीच, छोटा-बड़ा का कोई मूल्य नहीं होता है। परंतु सपने वहीं सच करते हैं जिन्हें सपने सोने नहीं देते।
आज हम आपकों ऐसी हीं एक प्राईमरी शिक्षक के बारे में बताने जा रहे हैं जो प्रतिदिन 36 किलोमीटर पैदल चलकर पढ़ाने जाती थीं। ऐसे में एक शिक्षक होते हुए भी यूपीएससी की तैयारी करना और IAS बनने का सफर आसान नहीं था। उसके बावजूद भी उन्होंने IAS बनने का ख्वाब देखा। अपने जीवन के सभी संघर्षों का सामना करते हुए वह एक IAS बनकर अपने सपने को सच कर दिया। उस प्राईमरी शिक्षक ने सभी के लिए नया मिसाल कायम किया है।
सीरत फातिमा (Seerat Fatima) उत्तरप्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj) के गांव जसरा (Jasara) की रहने वाली हैं। उनके पिता लेखपाल हैं। सीरत अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। बड़ी होने की वजह से उनके प्रति परिवार की अपेक्षाएं अधिक थीं। उनके पिता की आमदनी इतनी अच्छी नहीं थी जिससे पूरे घर का खर्चा-पानी सही से ही सके। इसलिए फातिमा ने जीवन अभाव में जिया। फातिमा का ख्वाब था कि वह पढ़-लिखकर एक बड़ा आधिकारी बने। परंतु घर के जिम्मेदारी ने उन्हें अपने सपने को पूरा करने में रोड़ा अटका दिया जिसकी वजह से सपने को हकीकत होने में समय लग गया।
फातिमा ने 12वीं कक्षा उतीर्ण करने के बाद B.SC किया। उसके बाद वह B.ED की उपाधि हासिल की। उसके बाद फातिमा का चयन प्राईमरी स्कूल में शिक्षक के रूप में हो गया। फातिमा ने बताया कि यदि वह इस नौकरी को स्वीकार नहीं करती तो उनके भाई-बहन को शिक्षा ग्रहण करने मे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता। इसलिए उन्होंने प्राईमरी शिक्षक की नौकरी में ज्वाइन कर लिया लेकिन अधिकारी बनने का सपना अब भी उनके साथ था।
फातिमा ने शिक्षक की नौकरी करने के साथ ही UPSC की तैयारी करने में जुट गईं। वे जब भी अपने साथी शिक्षक को बतातीं कि वह यूपीएससी की तैयारी कर रही है तो उनके साथी कहते थे कि इतने बड़े सपने मत देखो। उसके लिए कोचिंग करनी पड़ती है। ऐसे मे फातिमा के लिए दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग करना सम्भव नहीं था। उनके लिए प्राईमरी शिक्षक की नौकरी बहुत आवश्यक थी। इसलिए उन्होंने कहीं से कोई कोचिंग नहीं लिया और नौकरी के साथ हीं पूरी तैयारी कीं। फातिमा प्रतिदिन 36 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल का सफर तय करती थीं। ऐसे में दिन भर की थकान होने के बाद पढ़ाई करना सरल नहीं होता है। परंतु फातिमा ने अपने सपने को सच करने के लिए घोर परिश्रम किया।
यह भी पढ़ें :- अफसर बेटी की खाकी वर्दी पर लगे, अशोक स्तम्भ को निहारते पिता की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है
सीरत फातिमा ने टीचर ट्रेनिंग के साथ हीं यूपीएससी में दो बार प्रयास किया था। लेकिन असफल रहीं। उसके बाद उन्होंने पूरी तैयारी के साथ तीसरा प्रयास किया परंतु इस बार भी असफलता का स्वाद चखना पड़ा। इतनी बार निराशा हाथ लगने के बाद भी वह हिम्मत नहीं हारी और फिर से दुगुनी मेहनत के साथ तैयारी में जुट गईं। कहते हैं न मेहनत कभी बेकार नहीं जाता है उसका फल अवश्य मिलता है। फातिमा की मेहनत ने भी फल दिया वर्ष 2017 में अपने चौथे प्रयास में वह ऑल इंडिया 810वीं रैंक के साथ सफलता प्राप्त कीं। सफलता हासिल कर के उन्होंने अपने पिता के सपने को पूरा कर दिया। उनके पिता जब अपने महकमे में बड़े अधिकारी को कार्य करते देखते थे तो वह यह सोचते थे कि काश उनकी बेटी भी बड़ी अधिकारी होती। फातिमा ने पिता के इस सपने को पूरा कर दिया। वह इंडियन एंड ट्रैफिक सर्विस मे कार्यरत हैं। उन्होंने अपनी सफलता की खुशी स्कूल में बच्चों को मिठाई खिलाकर बांटी।
वीडियो में देखें सीरत फातिमा का शिक्षक से आईएएस ऑफ़र बनने तक का सफर
सीरत फातिमा का विवाह भी हो चुका है परंतु फातिमा ने अपने सपने को अभी भी जिंदा रखा है। उन्होंने सपने से कभी समझौता नहीं किया। यूपीएससी क्लियर करने के बाद भी वह अपने रैंक को सुधारने और उंचा पद प्राप्त करने के लिए अगले प्रयास के लिए लगातार कठिन मेहनत कर रही हैं।
The Logically सीरत फातिमा के अदम्य साहस, कठिन मेहनत और सच्ची लगन को हृदय से सलाम करता है।