एक-दूसरे की मदद करना मनुष्य की प्रवृति है। लेकिन कुछ लोग ही इस प्रवृति को अपनाते हैं। हर कोई अपने-अपने कार्य मे व्यस्त है, दूसरों की सहयता करने के लिये फुर्सत नहीं मिलती है। लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जो दूसरों की ही मदद को अपना पेशा बना लेते हैं। किसी भी जीव के लिये भोजन बहुत महत्त्वपूर्ण है। लेकिन हमें अक्सर देखने को मिलता है कि कई बेसहारा लोग अपना दिन या रात भूखे ही गुजारते हैं। लेकिन दूसरें की सहयता करने वाली ऐसी ही एक महिला हैं सरिता कश्यप, जो भूखे को स्कूटी पर राजमा चावल खिलाती है, जिनके पास पैसे नहीं है उन्हें मुफ्त में भी भोजन कराती है। सरिता कश्यप दिल्ली की रहनेवाली हैं।
IAS अवानिश ने एक तस्वीर शेयर करतें हुए लिखा है, “ये है पश्चिम विहार दिल्ली दिल्ली की सरिता, पिछ्ले 20 वर्षों से अपनी स्कूटी पर ‘राजमा चावल’ का स्टॉल लगाती हैं। यदि किसी के पास पैसे नहीं है तो भी वे किसी को भूखा नहीं जाने देती है। फुर्सत के पल में वे बच्चों को पढ़ाती भी है।”
मिली जानकारी के मुताबिक सुनीता कश्यप एक ऑटोमोबाईल कंपनी में कार्य करती थी। लेकिन बिते कुछ सालों से नौकरी छोड़कर सिंगल मदर सुनीता स्कूटी पर स्टॉल लगाती है। जिनके पास पैसे नहीं होते है उन्हें सुनीता मुफ्त में भोजन कराती है। सरिता कहती हैं, “खा लो, पैसे जब होंगे तब दे देना।” वो गरीब बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ राजमा-चावल भी खिलाती हैं। उनका कहना है, “कमाई तो होती रहेगी लेकिन भूखे लोगों को खाना खिलाने की जो खुशी होती है, वो खुशी किसी और काम में नहीं होती है।” यह बात सही भी है एक भूखे को भोजन कराने में जो सुख और शांति की अनुभूति होती है, वह शायद ही किसी अन्य कार्य मे होगी।
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सरिता इस काम को शुरु करने के बारे में बताती है कि, एक दिन वे राजमा-चावल बनाकार स्कूटी पर रखीं और पिरागढी बेचने के लिये पहुंच गईं। आरंभ मे उन्होंने चिन्तन किया कि यदि कोई खरीद कर खायेगा तो ठीक है, नहीं तो वापस घर चली लौट आऊंगी। लेकिन पहले ही दिन सरिता को बहुत अच्छा परिणाम मिला। लोगों ने पसंद से खाया, पैसा भी दिया तथा पैक भी करवाया। वहां से उनके इस काम की शुरुआत हुईं। वे रोज पिरागढ़ि में मैट्रो स्टेशन के पास एक पेड़ के नीचे स्टॉल लगा राजमा-चावल बेचने लगी।
सरिता कश्यप द्वारा किए गए कार्यों को आप दिए गए वीडियो में देख सकते है
फिर सरिता ने देखा कि बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो पैसों के अभाव में भूखे प्यासे रहने को मजबूर हैं। ऐसे लोगों को इन्होंने मुफ्त में खाना खिलाने का फैसला किया। वे अपनी बेटी को भी पढ़ा रही है। उनकी बेटी कॉलेज म पढ़ाई करती है। सरिता आसपास के गरीब बच्चों के लिये स्कूल ड्रेस, किताबें और जुटे भी खरीद कर देती है।
सरिता कश्यप (Sarita Kashyap) द्वारा किया जा रहा यह कार्य बहुत ही सराहनीय है। इस कार्य को करने के लिये The Logically सरिता कश्यप को सलाम करता है।