Wednesday, December 13, 2023

एक महिला मजदूर ने किया कुछ ऐसा कि वहां के एक वन का नाम उनके नाम पर रख दिया गया

महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं। वह देश की सुरक्षा के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। चाहे वह देश के बॉर्डर पर दुश्मनों से लड़ना हो या देश के अंदर प्रकृति को सुरक्षित रखना हो। हर मोर्चे पर महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। ऐसी ही महिलाओं में से एक है ओडिशा के उल्सुरी गांव की रहने वाली सरोजिनी मोहंता (Sarojini Mohanta)। वह वन के देखभाल का काम करती हैं। – Sarojini Mohanta from Odisha, planted the trees on the barren land, in whose honor that forest was named Sarojini Van.

सरोजिनी को बंजर जमीन पर पेड़ों की रक्षा का काम दिया गया था

42 वर्षीय सरोजिनी एक दिहाड़ी मजदूर हैं, जो रोजाना 315 रुपये पर काम करती हैं। राज्य के वन विभाग द्वारा उन्हें जंगल की देखभाल के लिए रखा गया था। ओडिशा (Odisha) का बोनाई इलाका खनन प्रभावित क्षेत्र है, जिससे वहां जंगल पूरी तरह नष्ट हो चुका है। अब पेड़-पौधे की अहमियत को समझते हुए बोनाई वन विभाग ने यहां फिर से वृक्षारोपण मुहिम की शुरूआत की। सरोजिनी को यहां बंजर जमीन पर पेड़ों की रक्षा करने के लिए रखा गया।

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सरोजिनी ना केवल अपनी ड्यूटी पूरी की बल्कि उससे आगे बढ़कर कई काम किया। कम पूरा करने के बाद सरोजिनी पूरे इलाके में पौधे लगाना शुरू कर दी। साथ ही वह उन पौधों की पूरी देखभाल भी करती थी। सरोजिनी पौधे को जंगली जानवर से बचाने के लिए उसका घेराव भी करती थी। दिन-रात वह पौधा लगाने और उनकी देखभाल में ही जुटी रहने लगी। अक्सर ऐसा होता है कि हम कुछ करने से पहले यह सोचते हैं कि और लोग भी हमारे साथ या काम करें या फिर हम अकेले क्यों करें, परंतु सरोजिनी ने बिना ऐसा कुछ सोंचा और अकेले ही इलाके में पौधा लगाने का काम करती रही। – Sarjoni Mohanta from Odisha, planted the trees on the barren land, in whose honor that forest was named Sarojini Van.

2 साल में बंजर जमीन को बना दी हरा-भरा

यह सरोजनी की कड़ी मेहनत ही थी कि केवल 2 साल में बंजर पड़ा जमीन हरा-भरा बन गया। इसमें 3000 से अधिक फल देने वाले और बाकी जंगली पेड़ हैं। बोनाई वन विभाग के अफसर भी सरोजनी के इस कार्य को देख हैरान रह गए। उनके लिए बंजर जमीन को ऐसे हरे-भरे वन में तब्दील होता देख इस पर विश्वास करना मुश्किल था। उन्होनें सरोजिनी के इस मेहनत को सम्मानित करने के लिए इस वन (Forest) का नाम उनके नाम पर ‘सरोजिनी वन’ रख दिया है।

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सरोजिनी के नाम पर रखा गया वन का नाम

प्रधान मुख्य वन संरक्षक बताते हैं कि इस वन में लगाए गए 95 प्रतिशत पौधे पेड़ बनने में कामयाब हुए हैं और नामुमकिन सा लगने वाले कार्य को सरोजिनी ने मेहनत से मुमकिन कर दिया है। ओडिशा प्राकृतिक आपदा से प्रभावित राज्यों में से एक हैं और जानकारों के अनुसार इसका एक बड़ा कारण खनन या दूसरे उद्योग के लिए वनों की कटाई ही हैं। कम पेड़-पौधे होने के वजह से यहां तूफान और बाढ़ का खतरा हमेशा बना रहता है, जिससे यहां के जनजाति पर काफी असर पड़ता है। – Sarojini Mohanta from Odisha, planted the trees on the barren land, in whose honor that forest was named Sarojini Van.