हमारे देश में किसानों के बीच ऑर्गेनिक फार्मिंग का चलन तेजी से बढ़ते हुए नजर आ रहा है। ऑर्गेनिक फार्मिंग से किसानों को अच्छा खासा लाभ मिल रहा है एवं साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी है। आज हम आपको एक ऐसे किसान के विषय में बताएंगे जिन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाकर अपना नाम प्रगतिशील एवं सफल किसान की श्रेणी में दर्ज किया है।
प्राकृतिक खेती का बढ़ा प्रचलन
अपने एवं देशवासियों के हित की भलाई के लिए हमारे देश के किसान प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता कायम रहती है एवं ये हम सभी के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी है। इस खेती में गाय के गोबर, बीजामृत, वर्मिकंपोस्ट, वर्मीवाश, गोमूत्र, जीवामृत, घनामृत, गोमूत्र आदि का उपयोग किया जाता है। इस प्राकृतिक उर्वरक की मदद से हमारे मिट्टी की सेहत के साथ-साथ फसलों के उत्पादन का स्रोत भी बढ़ रहा है। इसीलिए आज किसान इस खेती को अपनाकर इसमें नए नवाचार भी कर रहे हैं। -Natural Farming By Satish Kumar from Gurugram
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किसान सतीश कुमार
प्राकृतिक खेती में सफलता हासिल करने वाले जिस किसान के विषय में हम बात कर रहे हैं वह गुरुग्राम से ताल्लुक रखते हैं। उनका नाम सतीश कुमार है। उन्होंने अपने फॉर्म में फल तथा सब्जियों की बुआई की है एवं उन्हें तैयार करने के लिए वह प्राकृतिक उर्वरक का निर्माण कर रहे हैं। वह खेती के अतिरिक्त पैसा कमाने के लिए फार्म पॉन्ड का निर्माण भी किए हैं जहां सोलर पैनल भी लगा हुआ है। वह बताते हैं कि खेती करना एक ऐसा कार्य है जिससे हमेशा हमें कुछ ना कुछ सीखने को मिलता रहता है। वह एडवांस तकनीक को अपनाकर खेती करना पसंद करते हैं। -Natural Farming By Satish Kumar from Gurugram
वीडियो देखें:-👇👇
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— Dept. of Agriculture & Farmers Welfare, Haryana (@Agriculturehry) January 4, 2023
ऐसे होता है उर्वरक का निर्माण
उनका मानना है कि आप गांव में खेती तो करिए परंतु कोशिश करते रहिए कि आप सोशल मीडिया, इंटरनेट, टीवी या यूट्यूब के अतिरिक्त बागवानी विभाग एवं सरकारी संस्थान के कोंटेक्ट में रहे क्योंकि यहां से आपको बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। इस खेती के लिए गाय के गोबर, बीजामृत, वर्मिकंपोस्ट, वर्मीवाश, गोमूत्र, जीवामृत, घनामृत, गोमूत्र आदि को मिश्रित कर कम्पोस्ट बनाया जाता है। -Natural Farming By Satish Kumar from Gurugram
होता है अधिक लाभ
वह बताते हैं कि अगर आप केमिकल युक्त खेती करते हैं तो इसके लिए एक लिमिटेशन होनी चाहिए। लेकिन अगर आप प्राकृतिक खेती करें तो इससे खेती में बैलेंस बना रहता है। वह अपने फसलों के लिए स्केटिंग एवं मल्चिंग विधि का भी उपयोग करते हैं जिससे उन्हें लगभग 4 गुना अधिक फायदा मिलता है। उनकी आम 140 प्रति किलोग्राम, चीकू 100 प्रति किलोग्राम बिकते हैं। अपने फसलों को बेचने के लिए उन्हें बाजारों का चक्कर नहीं काटना पड़ता बल्कि वह फोन पर ही बुक हो जाते हैं। उनके फार्म में बहुत से पेड़ हैं। प्राकृतिक खेती से वह लाखो रुपए कमा रहें हैं। वह मात्र आम से 80 हज़ार रुपये की कमाई कर लेते हैं। -Natural Farming By Satish Kumar from Gurugram