बचपन से हम यही सुनते आ रहे हैं कि पेड़ हमारे लिए बहुत मायनें रखते हैं क्योंकि हवा, छाया और फल देने के अलावा ये पेड़ जीवनदायनी ऑक्सीजन भी रिलीज़ करते है। दरअसल इस विषय पर चर्चा का कारण 10 जनवरी 2020 में 356 पेड़ों को काटनें के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लगाई गई एक याचिका है, जिसपर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे (CJI – S.A. Bobde) की अध्यक्षता वाली पांच विशेषज्ञों की समिति नियुक्त की थी। समिति द्वारा लिये गए निर्णय को SC ने 4 फरवरी 2021 को सार्वजनिक करते हुए सबको चौंका दिया है क्योंकि समिति ने अपने इस एतिहासिक निर्णय द्वारा किसी पेड़ के लिए आर्थिक मूल्य (Monetary Value) निश्चित कर दिया है जिसके अनुसार एक पेड़ की आयु को 74,500 रुपये से गुणा करते हुए उसकी कीमत एक करोड़ रुपये (1 Crore Rupees) तय की गई है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पिछले साल जनवरी में भारत और बांग्लादेश के बीच जाने वाले NH-112 जो कि बारासात से लेकर पैट्रा-पोल तक जाता है उसकी चौढ़ाई को बढ़ानें के लिए और पांच रेलवे ओवर-ब्रिज को दोबारा से बनाने के लिए लगभग 356 पेड़ों को काटने संबंधी याचिका पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान तत्कालीन SC जज ने कहा कि ये केस उस दुविधा को दर्शाता है जिसमें एक तरफ आर्थिक विकास है और दूसरी तरफ पर्यावरण संबधी पतन, जिसमें से हमें सही को चुनना है। तमाम बातों के चलते सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सपर्ट पैनल को नियुक्त करने की बात कही और CJI एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच विशेषज्ञों की समिति बनाने का आदेश दिया गया।
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पांच जजों की बेंच में लिया गया फैसला
मामले की सुनवाई के लिए SC ने भारतीय मुख्य न्यायधीश(CJI) एसए बोबडे( S.A. Bobde) की अध्यक्षता में पांच विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की जिसमें निशिकांत मुखर्जी (प्रबंध निदेशक, टाइगर सेंटर), सोहम पांड्या (सचिव और ग्रामीण केंद्र में कार्यकारी निदेशक), सुनीता नारायण(निदेशक, विज्ञान और पर्यावरण केंद्र), बिकास कुमार माजी (सहायक मुख्य अभिंयता, आरओबी इकाई, पश्चिम बंगाल सरकार) और निरंनजिता मित्रा (प्रभाग वन अधिकारी, उत्तर 24 परगना) शामिल हैं। इन सभी लोगों ने 356 पेड़ों को काटने की इस याचिका पर सुनवाई के दौरान एक पेड़ की आयु का मूल्याकंन करते हुए उसकी आर्थिक कीमत तय की है।
पेड़ की उम्र X 74,500 रुपये = पेड़ का मौद्रिक मूल्य
हालांकि फरवरी 2020 में इस पांच विशेषज्ञों की समिति नें अपना निर्णय दे दिया था लेकिन एक साल बाद 4 फरवरी 2021 को SC ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक पेड़ के आर्थिक मूल्य पर टिप्पणी करते हुए कहा कि एक पेड़ की आयु को 74,500 रुपये से गुणा करने पर जो कीमत आएगी वही उस पेड़ की आर्थिक कीमत मानी जाएगी। बता दें कि भारत में ऐसा पहली बार हुआ है जबकि किसी पेड़ के लिए उसकी आर्थिक कीमत तय की गई है।
पेड़ की उम्र X 74,500 रुपये = पेड़ का मौद्रिक मूल्य वाला सुझाव कहां से आया
किसी पेड़ का आर्थिक मूल्य तय करने की स्थिति के पीछे का तर्क देते हुए SC द्वारा नियुक्त कमिटी कहती है – “यदि हम केवल किसी एक पेड़ द्वारा मिल रही ऑक्सीजन की कीमत का ही अनुमान लगाएं तो यही 45,000 रुपये के करीब होगी इसके अलावा उस पेड़ से मिलने वाले बायोफर्टिलाइज़र्स 20,000 रुपये के होंगें, इसके अलावा एक पेड़ अपनी लाइफ में जो भी पोषक तत्व, माइक्रोन्यूट्रीशनस् और खाद देता है इन सभी को मिलाकर यदि देखा जाये तो एक पेड़ की कीमत 1 करोड़ रुपये तक पहुंचती है, ऐसे में एक जिंदा पेड़ की कीमत किसी भी प्रोजेक्ट से यकीनन बहुत ज़्यादा हो जाती है”
कमिटी ने पेश किये पेंड़ों के आर्थिक मुल्यांकन संबंधी अन्य तर्क
पांच विशेषज्ञों वाली इस कमिटी ने न केवल पेड़ो की मोनेटरी वल्यू बतलाई बल्कि यह भी तर्क दिया कि यदि किसी पेड़ का जीवनकाल (Life Span) 100 सालों से अधिक है तो उसकी कीमत एक करोड़ रुपये से भी अधिक हो जाएगी। ऐसे में जितना फायदा एक प्रोजेक्ट को विकसित करने में आएगा उससे कही ज़्यादा नुकसान इन पेड़ो को काटनें और वातावरण को नुकसान पहुंचानें से आपको झेलना पड़ेगा। कमिटी ने यह भी तर्क दिया कि पूर्व में पेड़ों को केवल उनसे मिलने वाली लकड़ी की कीमत(timber value) के आधार पर आंका जा रहा था उस पेड़ का वातावरण पर क्या सकारात्मक असर होता है इसके बारे में कभी सोचा ही नही गया।
356 पेड़ों को काटे जाने की स्थिति में चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत
उपरोक्त तमाम आधारों व तर्कों पर कमिटी ने 356 पेड़ों की कटाई होने की स्थिति में जो कीमत निकाली है वो तकरीबन 220 करोड़ रुपये के आस-पास पहुंचती है।
समिति ने सुझाये पेड़ काटने के विकल्प
हाई-वेज़ के लिए पेड़ काटे जाने के मद्देनज़र कमिटी ने कुछ विकल्प भी दिये हैं जैसे – हाई-वेज़ के लिए पेड़ न काटकर वाटर-वेज़ या रेलवे लाइन का इस्तेमाल करते हुए पहले से ही इस्तेमाल हो रहे हाई-वेज़ को बढ़ाए जाने की दिशा में प्रयास करें या फिर एक अन्य उपाय यह है कि उन्हीं पेड़ो को आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए रिलोकेट किया जाये। साथ ही कमिटी ने यह भी कहा कि यदि किसी पेड़ के 5 स्पलिंगस मतलब उसको बतौर पांच छोटे पौधे बनाकर लगा देने का विकल्प देखा जाये तो 100 वर्ष से अधिक आयु वाले पेड़ के लिए ऐसा करना संभव नही होगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इन विकल्पों की सराहना करते हुए केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और मामले में शामिल एक एनजीओ से इन विकल्पों पर शीघ्र ही विमर्श भी मांगा है।