आज के दौर में महिलाएं पुरुषों के कदम में कदम मिलाकर चल रही हैं। समाज की दशा और दिशा दोनों को सुधारने में महिलाएं भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। वे सिर्फ घर को ही नहीं संभालती बल्कि जरूरत पड़े तो अपने घर के साथ वह देश और गांव को भी विकसित कर यहां भी उजाला लाती हैं। शहर में पली-बढ़ीं , या पढ़ने वाली लड़कियों के बारे में अक्सर सुना जाता कि यह लड़की तो शहरों में पढ़ाई कर रही है, ये गांव की वेश-भूषा या जीवन के बारे में क्या जानेगी?? आज हम आपको जिस लडक़ी के बारे में बताएंगे वह डॉक्टरी की पढ़ाई कर गांव आई और वहां की सरपंच बनकर वहां की पूरी दिशा ही परिवर्तित कर दी। आइये जानते हैं उस लड़की शहनाज खान के बारे में…
शहनाज खान (Shahnaaz Khan) राजस्थान (Rajasthan) के एक गांव से ताल्लुक रखती हैं। वह गांव की सरपंच बनी हैं। उनके यहां सरपंच के लिए उप चुनाव का निर्वाचन हुआ तो उसमें शहनाज ने अपने विपक्ष में खड़े हुए व्यक्ति को 195 वोटों से परास्त कर उसमें जीत हासिल की है।
शहर में पली-बढ़ी हैं
शहनाज एमबीबीएस की शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। उनका लालन-पालन शहर में ही हुआ है और यह गांव के बारे में बहुत कम जानती हैं। जब गर्मी की छुट्टियां हुआ करतीं तो वह अपने गांव आया करती थीं। लेकिन अब यह पूरी तरह से अपने गांव को बदलने में लगी हैं।
पढ़ाई जारी रख अपनी जिम्मेदारी भी निभा रहीं
मेवात क्षेत्र एक ऐसा इलाका है जहां लड़कियों को घर से बाहर यहां तक कि पढ़ाई करने के लिए भी नहीं भेजा जाता। क्योंकि वहां अपराध अधिक मामले में होते हैं। वहां शहनाज ने जो कर दिखाया है वह सच में आश्चर्यजनक है। वह एक पढ़ी-लिखी लड़की होने के साथ-साथ गांव की जिम्मेवारी संभालने में तत्पर रही हैं। वह अपने पद को संभालते हुए अपनी शिक्षा को भी जारी रखी हैं।
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लड़कियों को शिक्षा के लिए करेंगी तैयार
वह सबसे पहले शिक्षा के क्षेत्र में काम करेंगी। उनका कहना है कि मैं पहले “बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ” जैसे नारा के महत्व को समझाकर लोगों को इसके लिए तैयार करूंगी। ताकि वह सभी समझ पाए कि बेटी और उसके लिए शिक्षा कितनी जरूरी है। उनका मानना है कि हरियाणा राजस्थान या फिर उत्तर प्रदेश के गांव वाले क्षेत्रों में अधिकतर राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक मामले में यह सारे राज्य पीछे हुए हैं और मैं इस पिछड़ेपन को दूर कर इसे विकसित करना चाहती हूं। ताकि यहां सभी इस बातों के महत्व को समझ पाएं। उन्होंने यह बताया कि हमारे लिए सड़क बिजली और पानी मुख्य जरूरत तो है हीं साथ-साथ हमें अपने स्वास्थ्य के बारे में भी अधिक ध्यान देना चाहिए जो कि मैं सभी को करके दिखाऊंगी और बताऊंगी भी।
दादाजी भी थे सरपंच
शहनाज ने यह निर्णय क्यों लिया की वह सरपंच बनेगी। इसके बारे में उन्होंने बताया कि मेरे दादाजी पहले इस गांव के सरपंच रह चुके हैं। लेकिन किसी कारणवश 2017 में उन्हें निर्वाचन क्षेत्र के लिए स्थान नहीं मिला और उनकी याचिका खारिज कर दी गई। तब उनके परिवार और गांव वालों ने चुनाव के बारे में बातें शुरू की। इसी दौरान सबने बोला कि क्यों ना मुझे सरपंच के पद के लिए खड़ा किया जाए।
पढ़ाई को जारी रख सरपंच पद के कार्यभार को संभालकर जन उत्थान के कार्यों को करने के लिए The Logically शहनाज को ढेर सारी शुभकामनाएं देता है और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।