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दादा भी फ़ौज में थे, अब पोता भी चीनी सैनिकों के ख़िलाफ़ चल रहे जंग में हुआ शहीद: शहादत को नमन

अगर हम हमारे घर में शांति से जीवन बसर करते हैं तो देश के किसान और सैनिक को धन्यवाद करना चाहिए। एक अन्नदाता है तो दूसरे बॉर्डर पर होते आतंकी हमलों से देश की रक्षा करते हैं। फिलहाल भारत-चीन की सीमा (Indo-China Border) पर स्थिति सही नहीं चल रही। हमारे देश के राजस्थान राज्य के एक और सपूत देश और देशवासियों की रक्षा के लिए सीमा पर आंतकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए हैं।

18 हजार फीट ऊंची पोस्ट पर आतंकियों से लोहा लेते वीरगति को प्राप्त हुए

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के रहने वाले नायब सूबेदार शमशेर अली खान (Shamsher Ali Khan) भारत-चीन की सीमा (Indo-China Border) पर दुश्मनों से लोहा लेते अपने प्राण न्योछावर कर दिये हैं। गुरुवार सुबह सीमा पर पेट्रोलिंग के दौरान उन्हें आतंकियों के हरकत का अंदाज़ा लगा और उनसे लोहा लेते शमशेर अली पाइनिज पोस्ट पर वीरगति को प्राप्त हुए। इस पोस्ट की ऊंचाई करीब 18 हजार फीट है। शहीद का पार्थिव शरीर शुक्रवार 4 सितंबर को शाम तक उनके पैतृक गांव पहुंचने की संभावना है।

जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर परवेज हुसैन ने बताया कि शहीद नायब सूबेदार शमशेर अली खान उदयपुरवाटी उपखंड के गुढ़ागौड़जी के समीप बामलास पंचायत के हुकुमपुरा गांव के रहने वाले थे। शमशेर अली खान की शहादत की सूचना मिलते ही गांव में मायूसी छा गई। शहीद की पत्नी सलमा बानो बेसुध हो गईं। सीएम अशोक गहलोत ने शमशेर की शहादत को सलाम करते हुए उन्हें श्रद्धाजंलि दी है।

पिछली चार पीढ़ियों ने देश की सेवा की है, अगली पीढ़ी भी जाने को है तैयार

शमशेर अली खान 1997 में सेना में भर्ती हुए थे। अरुणाचल प्रदेश के टेंगा में 24 ग्रेनेडियर यूनिट में तैनात थे। उनके पिता-दादा सहीत पिछली चार पीढ़ियों ने देश की सेवा की है। अगली पीढ़ी यानि शमशेर अली खान के 16 और 12 वर्षीय बेटे भी अपने पिता की शहादत पर गर्व करते हुए सेना में भर्ती होने की बात कही है। उनके परदादा बागी खां, दादा फैज मोहम्मद और पिता सलीम अली भी सेना से रिटायर्ड हैं। उनके दादा ने पाकिस्‍तान के साथ वर्ष 1965 की जंग लड़ी थी।

The Logically देश के नायब सूबेदार शमशेर अली खान (Shamsher Ali Khan) को श्रद्धेय श्रद्धांजली अर्पित करता है।

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