हमारे समाज मे पुरुष और महिलाओ के काम बांटे हुए है। महिलाओ को कुछ काम के सीमा में बांधा गया हैं। समाज की आम धारणा है कि कुछ काम महिलाओ के लिए नही है जैसे सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी। कुछ समय पहले तक कोई यह सोच भी नही सकता था कि महिलाएं भी सिक्योरिटी गार्ड हो सकती हैं पर आज महिलाये बेफिक्र हो कर यह नौकरी कर रही हैं। इस आईडिया के पीछे है श्रावणी पवार( Shravani Pawar)।
श्रावणी पवार कर्नाटक के हूबली में पली-बढ़ी हैं। इन्होंने अपनी पढ़ाई सोशल वर्क विषय मे की हैं। पढ़ाई खत्म करने के बाद कुछ दिन तक इन्होंने एक NGO में काम किया जहां इन्हें ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को जोड़ कर एक स्वयम सहायता समूह बनाना था। इस काम के दौरान श्रावणी ने महिलाओ की ज़िंदगी को समझा और उनकी परेशानियों को देखा। श्रावणी ने महसूस किया कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अधिक काम करती है पर उन्हें वह इज़्ज़त नहीं दी जाती हैं। तब श्रावणी ने फैसला किया कि वो इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएंगी।
महिलाओ को सिक्योरिटी गार्ड बनाने का विचार आया
श्रावणी पवार ने एक देशपाण्डे फाउंडेशन की सोशल इंट्रप्रेनशिप की फेलोशिप जॉइन की। इसके आखिरी दिन सबको अपने स्टार्टअप का आईडिया देना था। बहुत सोचने के बाद श्रावणी ने महिलाओ को सिक्योरिटी गार्ड की ट्रेनिंग देने का सोचा।
दो साथियों ने इस काम मे साथ बीच मे ही छोड़ा
श्रावणी का यह सफर आसान नही था। जब इन्होंने इस सफर की शरुआत की तब इस काम मे इनकी दो साथी थी। एक साथी स्टार्ट अप का रजिस्ट्रेशन करने के पहले ही हट गई और दूसरी साथी ने एक साल बाद संगठन छोड़ दिया।
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सेफ हैंड 24×7( Safehands24×7) की शुरुआत
श्रावणी ने 2009 में अपने संगठन की नींव रखी। उस वक़्त उनके साथ 6 लड़कियां थी। यह श्रावणी की मेहनत और दृढ़ संकल्प का परिणाम है कि आज यह संगठन 800 से ज़्यादा लड़कियों को सिक्योरिटी गार्ड की ट्रेनिंग दे चुका हैं। ट्रेनिंग के बाद इन महिलाओं को नौकरी भी दी जाती हैं। स्कूल, कॉलेज, सोसाइटी में यह महिलाये बतौर सिक्योरिटी गार्ड नौकरी करती हैं। यह महिलाए दिन में गार्ड की नौकरी करती है और रात के लिए इन्होंने कुछ लड़कों को ट्रेनिंग दी हुई हैं।
क्लाइंट महिलाओ को सिक्योरिटी गार्ड रखने को तैयार नही थे
श्रावणी बताती हैं कि ट्रेनिंग देने के बाद महिलाओ को नौकरी दिलाने में बहुत परेशानी आयी। कोई भी क्लाइंट महिलाओ को रखने के लिए तैयार नही था। तब श्रावणी उन्हें समझाती की एक महीने रख के देखिए अगर परेशानी हुई तो फिर किसी लड़के को भेज देंगे। पहले तो लडकिया ही तैयार नही थी सिक्योरिटी गार्ड बनने के लिए। पर आज जिस यूनिफॉर्म को पहनने से महिलाओ को दिक्कत थी वही यूनिफार्म पहन कर वह महिलाएं गर्व से भर जाती हैं।
श्रावणी के परिवार को उनके काम पर आपत्ति थी
श्रावणी बताती हैं कि जब उन्होंने यह स्टार्टअप शुरू किया तब उनके परिवार को इस काम के बारे में पता भी नही था। जब उनकी एक साथी ने उनका साथ छोड़ा तब परिवार को पता चला। माता-पिता ने श्रावणी को साफ मना कर दिया था इस काम के लिए पर श्रावणी कहा हार मानने वाली थी। उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और हूबली आकर रहने लगी। कुछ महीने बाद उनके भाई उनके पास आए और उन्हें वापस घर चलने को कहा। श्रावणी ने अपने काम के कारण शादी ना करने का फैसला लिया था पर सच्चा हमसफ़र मिलने पर उन्होंने शादी कर ली। आज श्रावणी दो बच्चों की माँ हैं।
हाऊसकीपिंग की भी ट्रेनिंग दे रही हैं
श्रावणी अपने संगठन के माध्यम से अब महिलाओ को हाउस कीपिंग सर्विस की भी ट्रेनिंग दे रही हैं। महिलाओ को ट्रेन कर के वह इन सबको जॉब भी दिलाती हैं।
TED Talk में अपनी बातो से सबका दिल जीत लिया
श्रावणी को पुणे के एक टेड टॉक में अपनी बात कहने के लिए इनवाइट किया गया था। श्रावणी उस समय प्रेग्नेंट थी । टेड टॉक के दिन के दो दिन बाद श्रावणी की डिलीवरी डेट थी। सब ने मना किया इसके बावजूद श्रावणी ने टेड टॉक में भाग लिया और उनकी डिलीवरी भी निश्चित डेट पर ही हुई।
श्रावणी पवार( Sharvani Pawar) ने महिलाओ को सीमा के बाहर निकलकर आत्मनिर्भर बनना सिखाया हैं। समाज की परवाह ना करके इन्होंने महिलाओ को अपनी परवाह करना सिखाया हैं। अगर आप श्रावणी पवार से सम्पर्क करना चाहते है तो support@safehands24×7.com पर ईमेल कर सकते है या 9591985611 पर कॉल कर सकते हैं।