बेकार और फ़ालतू लगने वाले वस्तुओं से भी उपयोगी व ख़ूबसूरत चीज़ें बनाई जा सकती है। जैसे सभी व्यक्तियों में एक-न-एक विशेष प्रकार का गुण होता है। वैसे ही घर में पड़ी बेकार वस्तुओं में भी कुछ न कुछ काम लायक छिपा होता है। जिन वस्तुओं को हम अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कूड़ा-कचरा समझ कर फेंक देते हैं, उसे भी सुंदर रूप देकर घर को सजाया जा सकता है या बाज़ार में बेचा जा सकता है। जी हां.. ये कहानी वाराणसी की रहने वाली शिखा शाह की है, जिन्हें प्रकृति से बेहद प्यार है।
एन्वॉयरमेंटल साइंस की छात्रा हैं, शिखा; प्रकृति से करती हैं बेहद प्यार
शिखा शाह (Shikha Shah) एन्वॉयरमेंटल साइंस (Environmental Science) की छात्रा हैं। इन्होंने दिल्ली (Delhi) से एन्वॉयरमेंटल साइंस मे ग्रेजुएशन किया है। ग्रेजुएशन करने के बाद शिखा एक बड़ी कंपनी में नौकरी की। काम पर आते-जाते अक्सर लोगों का पर्यावरण के प्रति संवेदनहीन व्यवहार देखती। प्रकृति से बेहद प्यार होने की वजह से लोगों का यह रवैया इन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं आता। इसलिए इन्होंने कुछ ऐसा व्यवसाय करने के बारे में सोचा जिससे लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़े। साथ ही ज़रूरतमंदों को नौकरी भी मिल सके। शुरुआत में इन्होंने अपने घर से निकलने वाले कचरे का इस्तेमाल कर कई उपयोगी व ख़ूबसूरत चीज़ें बनाई। फिर इन्होंने अपनी एक कंपनी शुरू की। नाम रखा स्क्रैपशाला।
कई लोगों को दी रोज़गार; अब वे पहले ज़्यादा ख़ुश व संतुष्ट हैं
कंपनी शुरू करने के बाद अपने इस मुहिम और व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए शिखा नगर निगम के बेकार पड़े कचरे को बीस हज़ार रूपए में खरीदी। आधे दर्ज़न से अधिक बेरोज़गार और हुनरमंद लोगों को रोज़गार भी दी। इनकी कंपनी में काम करने वाले कारीगर प्रदीप और मुरारी का मानना है कि अब उनकी कमाई भी पहले की अपेक्षा अधिक हो रही है। पहले जो कुर्सी और चारपाई बीनने का काम करते थे, अब वे पुराने टायर को बीन कर उसे कुर्सी की तरह बनाकर पर्यावरण संरक्षण हेतु काम कर रहें हैं और पहले से बेहतर पैसे भी कमा रहें हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को सफल और काशी को ख़ूबसूरत बनाने में शिखा और उनके कंपनी के सदस्य लगे हुए हैं। वे जब काशी की तमाम गन्दी दीवारों में रंग भरते हैं तो स्थानीय लोग भी जुड़कर उनकी सहायता करते हैं।
कचरे को रिसाइकिल कर बनाई वस्तुओं की होती है, ऑनलाइन बिक्री
अब शिखा का व्यापार भी बढ़ने लगा है। कचरे को रिसाइकिल कर ऐसा ख़ूबसूरत आकार दिया जाता है कि लोग भी अचंभित रह जाते हैं। उन्हें यकीन ही नहीं होता कि बेकार वस्तुओं को इतना सुन्दर रूप दिया जा सकता है। इनके द्वारा बनाई वस्तुओं को अब फेसबुक और स्नैपडील के द्वारा बेचा भी जाता है। अपनी इस मुहिम को आगे बढ़ते हुए शिखा शहर के तमाम स्थानों पर अपना आउटलेट खोलना चाहती हैं। वह अपनी वर्कशॉप के लिये नई जगह भी तलाश रही हैं।
मोदी के स्टार्टअप इंडिया और मेक इन इंडिया से प्रेरणा लेकर कचरे को रिसाइकिल कर काशी को सवांरने की शिखा की यह कोशिश सराहनीय है। पर्यावरण के प्रति प्यार और समाज में स्वच्छता का अभूतपूर्व उदहारण प्रस्तुत करने के लिए The Logically शिखा शाह (Shikha Shah) को शत-शत नमन करता है।