हर व्यक्ति शुद्ध और स्वास्थ्यजनक सब्जियों या अन्य पदार्थों का सेवन करना चाहता है जिससे वह हष्ट पुष्ट और तन्दुरुस्त रहे। बात अगर दूध की हो तो देखा जाए तो दूध में भी मिलावट हो रही है। इसमें पेंट और डिटर्जेंट की मिलावट के कारण हमें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बात की जानकारी FSSAI द्वारा किये गए परिक्षण में पता चली है। यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जो अपने सुबह की शुरुआत चाय से नहीं बल्कि दूध से करती है। लेकिन जब यह अपना नगर छोड़ शहर में गईं तो उसे मिलावटी दूध मिलने लगा। इन्होंने आगे चलकर दूध का स्टार्टअप किया जिसमें सिर्फ शुद्ध दूध ही मिलता है। इस लड़की का नाम है शिल्पी सिन्हा।
आइये पढ़तें हैं शिल्पी सिन्हा के बारे में
साल 2012.. जब शिल्पी अपने जन्म भूमि को छोड़ बेंगलुरु शिक्षा प्राप्त करने के लिए गई। उन्हें शिक्षा प्राप्त करने के दौरान एक ऐसी चुनौती का सामना करना पड़ा जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। शिल्पी सिन्हा (Shilpi Sinha) झारखंड (Jharakhand) से सम्बन्ध रखतीं हैं। शिल्पी आज “The Milk India Company” की फाउंडर है। जब यह पढ़ाई करने बेंगलुरु (Bangaluru) गई तो यह दिन की शुरुआत दूध पीकर किया करती थी। लेकिन दुःखद बात यह थी कि यहां गाय का शुद्ध दूध नही बल्कि मिलावटी दूध मिलता था। उसी दौरान उन्होंने निश्चय कर लिया कि मैं एक ऐसी कंपनी का निर्माण करूंगी जो शुद्ध दूध दें। फिर इन्होंने वर्ष 2018 में अपने इस कंपनी की स्थापना की।
मिलता है शुद्ध दूध
शिल्पी की “द मिल्क इंडिया कंपनी” गाय का पियोर दूध सभी को ऑफर करता है। इस दूध को ना ही पाश्चिकरण (Pasteurization) विधि से गुजरना पड़ता है ना ही ऐसी कोई प्रक्रिया होती है जिससे इसमें थोड़ी भी मिलावट हो। यह दूध कच्चा होता है। इनकी यह कंपनी सर्जपुर (Sarjapura) में स्थित है। यह अपने दूध को 62 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से सभी को बेचती है। यह गाय का शुद्ध दूध होता है जिसे पीने से कैल्शियम (Calcium) प्राप्त होता है जो हड्डियों के लिए लाभदायक है।
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दैहिक कोशिका की संख्या से होती है दूध की पहचान
शिल्पी ने यह जानकारी दिया है कि जितनी दैहिक कोशिकाओं की संख्या कम होगी इसके अनुसार यह पता लगाया जा सकता है कि दूध उतना ही शुद्ध है। दैहिक कोशिका की संख्याओं की जांच करने के लिए मशीन का उपयोग होता है। यह चाहती है कि जो हमारे छोटे बच्चे हैं वह ज्यादा दूध पीते हैं और उनके शरीर के लिए शुद्ध दूध की आवश्यकता है। इनके पास ज्यादातर ऑर्डर 9-10 महीने के बच्चों के लिए ही आता है। लेकिन यह इन्हें इंतजार करने के लिए कहती है और जब तक अच्छी तरह डॉक्टरों से इनके बारे में जानकारी ना इकट्ठा कर ले तब तक इन्हें डिलीवरी नहीं देती। फिर इन्हें सही मात्रा के हिसाब से उपयोग को बताती हैं।
करना चाहती हैं किसानों के साथ कार्य
इन्होंने किसानों के साथ कार्य करने के लिए तमिलनाडु (Tamilnadu) और कर्नाटक (Karnataka) के 20 से भी अधिक गांव का चक्कर लगाया। फिर इन्होंने अच्छी तरह जानकारी देकर इन्हें अपने साथ सम्मिलित किया। शुरुआती दौर में इन्हें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी चुनौती तो यह थी कि इन्हें तमिल और कन्नड़ भाषा का ज्ञान नहीं था जिससे इन्हें अपनी बात समझाने में दिक्कत हुई। पशुओं की देखभाल के लिए उन्होंने “तत्काल चिकित्सा और पशु चिकित्सा सहायता” प्रदान किया। एक बात का आश्चर्य इन्हें तब हुआ जब इन्होंने पाया कि किसान पशुओं को फसल खिलाने के बजाय जो रेस्टोरेंट का कचरा था वह खिला रहे थे। इन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए वहां के किसानों से बात की और उन्हें समझाया कि अगर हम इन्हें रेस्टोरेंट का कचरा खिलाएंगे तो दूध कभी भी स्वस्थदायक और शुद्ध नहीं होगा। जिससे हमें और हमारे बच्चों को हानि पहुंचेगी। फिर इन्होंने इन किसानों से यह वादा किया कि इन्हें इसकी कीमत दी जाएगी ताकि यह शुद्ध दूध दे सके। तब से यहां के किसानों ने गायों को मक्का खिलाना शुरू किया और अब यह गाय कचरे की वजह मक्का खाती हैं एवं शुद्ध दूध प्रदान करती हैं।
अधिक समस्या दूध निकालने और इन्हें पैक करने में हुई
शिल्पी ने यह जानकारी दी कि इन्हें सबसे बड़ी समस्या दूध निकालने और उसे पैक करने में हुई। क्योंकि यह कार्य सुबह के 3:00 बजे का था और इस वक्त कोई भी व्यक्ति इस कार्य के लिए उपलब्ध नहीं था। शुरुआती दौर में जब यह खेतों पर काम करने जाया करती थी तो अपने साथ मिर्च पाउडर और चाकू रखा करती थीं ताकि कोई उनके साथ गलत व्यवहार करें तो उसका डटकर मुकाबला कर सकें। उन्होंने बताया कि यह लगभग 3 वर्षों से इस कार्य से जुड़ी है और अपने परिवार से दूर रहकर यह कार्य कर रही हैं। लेकिन उन्हें एक बात की खुशी है कि लोग इनके दूध की शुद्धता की वजह से इन्हें अच्छी तरह जान रहे हैं। वर्तमान में यह बहुत से किसानों को अपने साथ जोड़ चुकी है और वह भी इस कार्य से बहुत खुश हैं।
वैसे तो उन्होंने अपने कार्य की शुरुआत मात्र 11 हजार से की थी। लेकिन आज इस दूध की सप्लाई की मदद से यह पैसे तो कमा रही है साथ-साथ लोगों का आशीर्वाद भी प्राप्त कर रही हैं। इनके पास एक बच्चे की माँ आई जिन्होंने अपने बच्चे के स्वस्थ होने की पूरी जिम्मेवारी इन्हें दी। उन्होंने बताया कि इनका बच्चा जो पहले दूध पीता था उसके कारण वह कुपोषण का शिकार हो चुका था। लेकिन जब उसे गाय का शुद्ध दूध प्राप्त होने लगा तब से वह पूर्णतः स्वस्थ हो गया।
शुद्ध दूध का कार्य शुरू कर लोगों को स्वस्थ रखने के साथ अधिक व्यक्तियों को इससे जोड़ने के लिए The Logically शिल्पी को सैल्यूट करता है और अपने पाठकों से अपील करता है कि वे भी शुद्ध दूध का सेवन करें ताकि स्वस्थ रहें।