कुछ लोग अपनी इमानदारी से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो जाते हैं। उनमें किसी भी चीज का लालच नहीं होता। आज हम एक ऐसी महिला की बात करेंगे, जिसने लॉटरी के 6 करोड़ रु. के टिकट को उसके खरीददार के घर पहुंचा दिया। आज के समय में ज़्यादातर लोग अपने स्वार्थ के लिए दुसरों को नुकसान पहुंचाते हैं परंतु विक्रता समीजा (Vikreta Sameeja) की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद भी वह इमानदार हैं और प्रसंशा योग्य भी हैं।
समीजा ने दिया अपनी इमानदारी का परिचय
एक लॉटरी विक्रेता समीजा (Vikreta Sameeja) ने मोहन (Mohan) को फोन पर एक लॉटरी टिकट बेच दिया था। इस टिकट की 6 करोड़ रुपये की लॉटरी निकल गई। समीजा ने इमानदारी का परिचय देते हुए इतनी बड़ी रकम लॉटरी जीतने वाले चंद्रन चेतन (Chandran Chetan) तक पहुंचाने का फैसला किया। वह खुद गाड़ी चलाकर लॉटरी जीतने वाले के घर पहुंची और उन्हें इसकी जानकारी दी। समीजा उन्हें टिकट देकर वापस घर चली आई, तब से उन्हें बधाई देने के लिए कॉल आ रहा है।
पार्ट टाइम करते है लॉटरी बेचने का काम
समीजा कहती हैं कि टिकट खरीदने वाला इस गेम को भले ही ना समझे, परंतु हम चाहते हैं कि जीतने वाले को उसकी रकम मिलनी चाहिए। उनका कहना है कि हम शुरू से ही ईमानदार हैं और जानते हैं कि हमारे ग्राहक मेहनत की कमाई के पैसे से टिकट खरीदते हैं। 37 साल की समीजा दो बच्चों की मां हैं।राजागिरी अस्पताल के पास वह पार्ट टाइम लॉटरी बेचने का काम करती हैं। इसे पहले समीजा और उनके पति सरकारी प्रेस में काम करते हैं। साल 2011 में दोनों ने साथ मिलकर बिजनेस की शुरुआत की, उनके यहां 5 कर्मचारी काम करते हैं।
समीजा ने 6 करोड़ रु. का टिकट जीतने वाले को लौटाया
कुछ दिन बाद उनकी जॉब चली गई तो घर चलाने के लिए दोनों ने साथ मिलकर फूल फ्लेज में बिजनेस खोल लिया। कोविड के समय में उन्हें बहुत नुक्सान हुआ। इस दौरान उन्होंने अपने स्टॉफ तक निकाल दिए। इसी बीच उनकी मां को कैंसर डाइग्नोज हो गया। इन सबके बाद भी उन्होंने इमानदारी का ही मार्ग चुना, जिससे हर तरफ उनकी तारीफ हो रही है। जिस लॉटरी टिकट को वह अपने फायदे के लिए रख सकते थे, उसे उन्होंने ग्राहक को लौटा दिया। उन्होंने 6 करोड़ रु. का टिकट जीतने वाले को लौटा दिया।