Wednesday, December 13, 2023

अपने छत पर खेती कर, 500 गमलों में बिना केमिकल का इस्तेमाल किए लगाए हैं 40 तरह के फूल और सब्जियां

आय दिन लोगों का झुकाव ऑर्गेनिक फार्मिंग के तरफ बढ़ता जा रहा है। ये सही भी है, क्योंकि इसमें केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता। इससे हमें स्वास्थ्य भोजन तो मिलता हीं है, साथ ही कमाई भी हो जाती है और सब्जी और फल के लिए बाजार पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।गार्डनिंग का ये शौक लोगों के लिए फायदेमंद बनता जा रहा है।

ऐसे ही गार्डनिंग का शौक हैदराबाद के एक दंपति श्रीनिवास और पद्मा पिन्नाका की है। जिन्होंने अपने छत को अर्बन फार्म में बदल दिया है। पद्मा को हमेशा से हीं गार्डनिंग का बहुत शौक रहा है। लेकिन पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण वे अपनी बालकनी में कुछ पौधे लगाकर अपना शौक पूरा किया करते थे। उन्होंने बहुत बार सोचा अलग-अलग किस्मों के पौधे लगाने के बारे में लेकिन फिर सवाल उठता कहां? श्रीनिवास को भी एक बड़ा टेरेस गार्डन का शौक था, लेकिन जगह की कमी के कारण वे ऐसा कर नहीं पाए। फिर 2014 में भी नए घर में शिफ्ट हुए। जहां उन्हें अपने मन मुताबिक गार्डनिंग के लिए जगह मिली।

आज श्रीनिवास और पद्मा दोनों मिलकर अपने टेरेस पर फल, फूल और सब्जियों की 40 तरह की किस्मों के लगभग 500 पौधे लगा रखे हैं। और पद्मा इन पौधों का ध्यान बहुत कम लागत में रख लेते हैं। पद्मा बताती हैं कि पौधों में पानी देने की जिम्मेदारी उनकी है और बाकी पौधों का ख्याल रखना उन्हे कीड़े-मकोड़ों से बचाना, इन सारी बातों का ध्यान श्रीनिवास को रखना होता है। पद्मा ने हर एक गमले के नीचे एक बर्तन लगा रखा है ताकि जो भी एक्स्ट्रा पानी गमले से निकले वो इकट्ठा हो सके। पौधों को दिन में सिर्फ 150 लीटर पानी की ही आवश्यकता होती है। गर्मी के दिनों में पद्मा पौधों को केन भर कर पानी देने की बजाय दिन में दो-तीन बार पानी के स्प्रे करटी हैं। जिससे पानी की बचत भी हो जाती है।

श्रीनिवास और पद्मा पिन्नाका द्वारा लगाए गए खूबसूरत गार्डन को वीडियो में देखे –

उन्होंने बताया कि वे अपने गार्डन के लिए “सर्किल आफ लाइफ” का इस्तेमाल करती हैं। गार्डन से मिलने वाले फल और सब्जियों के पत्तों से वे जैविक खाद बना उसे पौधों में डालते हैं। छत बहुत ज्यादा बड़ा नहीं होने के कारण वे गमलों के अंदर गमले रखकर कई सारे पौधे लगाते हैं। बड़े गमलों में छोटे-छोटे दो तीन गमले रखते हैं जिससे उन्हें पानी भी सिर्फ सबसे ऊपर वाले गमले में देना होता है। अन्य गमलों तक पानी इसी गमले के जरिए पहुंच जाता है।

पद्मा बताती हैं कि वे सोशल मीडिया से नए-नए तरीके से एक्सपेरिमेंट करते रहती है, लेकिन कोशिश ये होती है कि तरीका चाहे जो भी हो बिल्कुल जैविक और रसायन मुक्त हो। और इन्हीं तरीकों से कई सारे फल और सब्जी उगा रहे हैं। उनके गार्डेन में पांच के आम के पेड़, दो किस्म के अंगूर, एवोकैडो, नारियल, केला, पपीता, ड्रैगन फ्रूट, मलेसिया सेब, शिमला सेब, कटहल, कृष्णा फल, बेल, स्ट्रॉबेरी, इमली, अनार, मौसंबी, निम्बू व संतरे के पेड़ हैं। इसके अलावा सब्ज़ियों में टमाटर, बैंगन, हरी मिर्च, करेला, खीरा, ब्रोकली, तोरी, भिन्डी, फ्रेंच बीन्स, अदरक, हल्दी और हरी पत्तेदार सब्ज़ियां हैं। पद्मा और श्रीनिवास बताते हैं उनकी हफ्ते में 4-5 दिन की खाने की ज़रूरतें उनके गार्डेन से हीं पूरी हो जाती हैं।


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जैसे-जैसे गार्डन बढ़ने लगा वैसे आस-पड़ोस के लोगों ने भी इनसे मिलकर फार्मिंग के टिप्स लेना शुरू कर दिए। पद्मा बताती हैं कि वे दिन में अर्बन फार्मिंग का टिप्स देने के लिए 20-25 कॉल लिया करती थीं। फिर उनके बेटे ने उन्हें यूट्यूब चैनल बनाने का सुझाव दिया। पद्मा ने जून 2019 में “पतलो पल्लेतुरु बाय पिन्नाका पद्मा” के नाम से यूट्यूब चैनल शुरू किया जो तेलगू भाषा में है। और अभी 77 हजार से भी ज्यादा फॉलोअर हैं। जिस पर पद्मा सभी को फॉर्मिंग का टिप्स देती हैं। वे बताती हैं कि गर्मी के दिनों में मल्चिंग, पूरे साल खाद और मल्टी क्रॉपिंग जैसे तकनीकों को अपनाकर पौधों को पूरे साल हरा भरा रखा जा सकता है।

पद्मा कहती हैं कि- “मेरी यही कोशिश है कि जितने लोगों तक हो सके मैं अपने ज्ञान को पहुंचा सकूँ और इसके लिए यूट्यूब एक बेहतर माध्यम है। 54 वर्षीय पदमा और नौकरी से रिटायर श्रीनिवास छोटी से छत को मिनी फार्म में बदलने का तरीका सभी को सिखा रहे हैं। और साथ ही इस गार्डेनिंग में इनका भी मन लगा रहता है। एक पौधे से दूसरे पौधे पर जाना, उन्हें दिन में दो बार पानी देना और इन्हें बढ़ते हुए देखना ये सारी चीजें इन्हें खुशी देती हैं। और साथ ही इन्हें इस बात से भी तसल्ली मिलती है कि वे अपने बच्चों को जैविक तथा रसायन मुक्त सब्जी और फल खिला रहे हैं, जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए उत्तम है।