वर्तमान में ज्यादातर लोगों का रुझान कृषि और पेड़-पौधे के तरफ बढ रहा है। पेड़-पौधे और कृषि कार्य से जुड़ना हर तरह से हमारे लिए फायदेमंद है। कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो हमें आत्मनिर्भर बनाता है और दूसरों को भी रोजगार मुहैया कराता है। सभी किसान अपने-अपने तरीके से अलग-अलग फसलों की खेती करना चाहते हैं और कर भी रहे हैं। कृषि क्षेत्र में नये-नये तकनीक का भी विस्तार हो रहा है, जिसका भरपूर फायदा हमारे देश के किसान उठा रहें हैं।
अभी तक हम यही जानते हैं कि खेती और फसल उगाने के लिये खाद, मिट्टी और पानी की आवश्यकता होती है। बिना खाद और मिट्टी के फसल उगाना संभव नहीं है। लेकिन आज हम आपकों एक ऐसी ही विधि के बारें में बताने जा रहें है जिसकी सहयता से पौधे को उगाने के लिये मिट्टी की जरुरत नहीं होती है, सिर्फ पानी में ही पेड़-पौधे को आसानी से उगाया जा सकता है।
बिना मिट्टी के पौधे उगाने की तकनीक।
जैसा की हम सभी जानते है, टेक्नोलॉज़ी का विस्तार दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है। ऐसी कई सारी तकनीक उभर कर सामने आ रही है जिससे हमारे देश के लोगों को काफी मदद मिल रही है। वैसी ही एक तकनीक है, हाईड्रॉपोनीक्स विधि। इस तकनीक की मदद से कोई भी बहुत सरलता से मिट्टी के इस्तेमाल किये बिना सिर्फ पानी में पौधे को उगा सकता है। हमारे देश भारत में इस तकनीक को बढ़ाने का बीड़ा उठाया है, श्रीराम गोपाल ने।
श्रीराम गोपाल का परिचय
श्रीराम गोपाल (Shree Ram Gopal) चेन्नई (Chennai) के रहनेवाले हैं। इनकी उम्र 34 वर्ष है। श्रीराम ने इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिकस से स्नातक की उपाधि हासिल की है। स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कालेडोनियन बिजनेस स्कूल से युनाइटेड किंगडम से मास्टर्स की डिग्री हासिल किया। उनके पिता का नाम गोपालकृष्णन है। गोपालकृष्णन की फोटो प्रोसेसिंग और प्रिंटिंग की मशीन बनाने की कई फैक्ट्रियां थी। लेकिन स्वास्थ्य खराब और बिजनेस में कमी होने की वजह से वर्ष 2007 में कारखाना को बंद कर दिया गया। उनकी कई फोटो लैब्स भी थी। श्रीराम को कॉलेज के टाईम से ही हाई एन्ड कैमरा का बेहद शौक था। इसलिए उन्होंने अपनी पढाई पूरी करने के बाद चेन्नई में हाई एन्ड कैमरा की दुकान खोलने के बारे में सोचने लगे।
5 वर्ष पूर्व श्रीराम गोपाल एक IT कम्पनी में कार्यरत थे। उस वक्त उनके एक मित्र ने उन्हें यूट्यूब पर हाईड्रॉपोनीक्स से सम्बंधित विडियो दिखाया। उस विडियो ने श्रीराम को बेहद प्रभावित किया। श्रीराम का मानना है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, लेकिन मौजूदा स्थिति में हाइड्रॉपोनिक्स विधि का सहयोग लेना बेहद जरुरी हो गया है। हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या और दिन-प्रतिदिन शहरों के विकास के कारण खेती करने योग्य भूमि का स्तर घटते जा रहा है। यहां तक कि खेतों की सिंचाई के लिये भी पानी की पूरी व्यवस्था नहीं हो पाती है।
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श्रीराम का कहना है कि भारत में कृषि और उद्योग दोनों भिन्न-भिन्न क्षेत्र है। लेकिन यदि कृषि को ही उद्योग मान लिया जाये तो समय के साथ कामयाबी हासिल किया जा सकता है। श्रीराम ने बताया कि बिना मिट्टी के पौधे को उगाने का प्रशिक्षण लेने के लिये उन्होंनें पेरूगुण्डी में अपने पिता की बंद पड़ी फैक्ट्री के रूफटॉप का प्रयोग किया। उनके इस कार्य में उनके पिताजी ने भरपूर सहयोग दिया। सभी जानते हैं, पेड़-पौधे हमारे स्वास्थ्य के बहुत अधिक फायदेमंद है। पौधे की वजह से श्रीराम के पिताजी की स्थिति में भी सुधार होने लगा।
अपने पिता के स्वास्थ्य में सुधार होते देख श्रीराम ने निर्णय किया कि वह इसी क्षेत्र में जरूर कुछ बड़ा करेंगे। इस क्षेत्र में कार्य करने के लिये उन्होंनें हाइड्रॉपोनिक्स के क्षेत्र में कार्य कर रही विदेशी कम्पनियों से बातचीत की। ताकी वह सिर्फ हाइड्रॉपोनिक्स विधि से सम्बंधित ही जानकारी दे जिसे वे उसे अपने देश मे रिप्रिजेंट कर सके और खुद ही निवेश भी करें। विदेशी कम्पनियों से मिलने के बाद तकनीकी शिक्षा के सहयोग से श्रीराम ने खुद 5 लाख रुपये का निवेश कर एक कम्पनी की शुरुआत की। उन्होंने उस कम्पनी का नाम “फ्यूचर फार्म्स” रखा। श्रीराम की मेहनत रंग लाई और सिर्फ 5 वर्षों में ही कम्पनी को 2 करोड़ का टर्न ओवर हुआ।
श्रीराम ने बताया कि उनकी कम्पनी 300% दर से हर वर्ष बढ़ते जा रही है। इस कम्पनी का टर्न ओवर साल 2015-16 मे 38 लाख रुपये था जबकि वर्ष 2016-17 मे यह बढ़कर 2 करोड़ हो गया था। इस कंपनी में 60 नवयुवक अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। श्रीराम अभी तक इस कम्पनी में 2.5 करोड़ का निवेश कर चुके हैं। इस कम्पनी में 11 लोग मिलकर 10-15 लाख रुपये निवेश किये हैं। उन 11 लोगों को कोई निश्चित राशि नहीं मिलती है। वे सभी 12 लोग कम्पनी के शेयर में हिस्सेदार हैं।
हाइड्रॉपोनिक्स के बारें में ज्यादा जानकारी देते हुये श्रीराम ने बताया कि यह एक ऐसा तकनीक है जिसकी सहयता से कोई भी मनुष्य अपने फ्लैट और घर में मिट्टी का इस्तेमाल किये बिना पौधे और सब्जियां उगा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि पानी में लकड़ी का बुरादा, बालू और कंकड़ डाला जाता है। पौधे को हमेशा पोषक तत्व मिलता रहे, उसके लिये उसमें एक विशेष तरह के घोल को डाला जाता है। पौधे में ऑक्सिजन देने के लिये पतली नाली और पम्पिंग मशीन का प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक की सहयता से उपज के लिये साधारण खेतों की तुलना में 90% पानी का इस्तेमाल कम होता है। इसमें कीटनाशक का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं होता। इस तकनीक की सहयता से उत्पादन भी अधिक होता है।
ट्रांसपेरेंसी मार्केट रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल हाइड्रॉपोनिक्स का बिजनेस वर्ष 2016 में 6,934.6 Million डॉलर था। वहीं आने वाले वर्ष 2025 तक 12,106 Million डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। हाइड्रॉपोनिक्स की एक कीट की कीमत 999 रुपये से लेकर 69,999 रुपये तक है। कम्पनी वेबसाईट पर इसी मूल्य पर बेचती है। 200 से 5000 स्क्वायर फीट हाइड्रॉपोनिक्स फॉर्म बनाने मे लगभग 1 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक लागत आता है।
The Logically श्रीराम गोपाल को हाइड्रॉपोनिक्स तकनीक का विस्तार करने के लिये शुक्रिया अदा करता है।