भले ही आज समाज के हरेक क्षेत्र में आधुनिकता का वास हो गया हो लेकिन, ब्रह्रांड व जीवन में ईश्वर के अस्तित्व को न कभी पूर्व में नकारा गया था और न ही भविष्य में कभी अनदेखा किया जाएगा। विशेषकर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शों और जीवन चरित्र को समझने व आत्मसात करने के प्रति आज की युवा पीढ़ी में भी खासा रुझान देखा जा रहा है। जिसके चलते वो भगवान श्री राम पर रिसर्च करते हुए पीएचड़ी(PHD) की डिग्री तक हासिल कर रहे हैं।
भगवान श्रीराम और रामायण (Lord Shri Ram and Ramayan) पर व्यापक मात्रा में शोध(Research) कर रहे ऐसे ही रिसर्च स्टूडेंट्स के लिए श्रीराम नगरी अयोध्या(Ayodhya) स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय(Dr. RamM\ Manohar Lohia Awadh University) में बने ‘श्री राम शोध पीठ’ के भीतर एक बड़े पुस्तकालय (Library in Shri Ram Shodh Peeth) की व्यवस्था की जा रही है। जिससे लाभ ग्रहण करते हुए छात्र बेहतरीन ढ़ग से अपने शोधकार्य को अंजाम दे पाएंगे।
इस लाइब्रेरी में होंगी विभिन्न भाषाओं की रामायण
पीएचडी कर रहे छात्रों द्वारा रामायण और श्रीराम के जीवन चरित्र को समझने के लिए बड़े स्तर पर किये जा रहे शोध कार्यों को सफल परिणाम देने के लिए वर्तमान में अवध स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय में बने ‘श्री राम शोध पीठ’ में प्राचीन ग्रंथों, पुस्तकों और विभिन्न भाषाओं की रामायण के साथ-साथ देश-विदेशों में रखी पांडुलिपियों का बड़ा पुस्तकालय बनाने पर काम शुरु हो गया है।
भगवान श्रीराम संबंधी पुस्तकों की कमी की वजह से शोध छात्रों को परेशानी होती थी
यूं तो कई सालों से ‘श्रीराम शोध पीठ’ में रिसर्च स्टूडेंट्स भगवान श्री राम पर शोध करते हुए PHD की डिग्री हासिल कर रहे हैं। फिर भी रिसर्च वर्क के दौरान हमेशा से ही छात्रों द्वारा लाइब्रेरी में संबंधित पुस्तकों की कमी को लेकर शिकायते रही हैं। दूसरी बात, अभी तक सरकार से सहयोग न मिलने की वजह से भी लाइब्रेरी का अधिक विकास नही हो पाया था। ऐसे में भारत में सर्वाधिक पूजे जाने वाले श्रीराम के आदर्शों को समझने के लिए उठाया गया यह कदम निःसंदेह ही सराहनीय है।
शोध कार्य को नवीन रुप देने के लिए लिया गया फैसला
अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर के निर्माण का काम शुरु हो गया है। जिसकी वजह से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी भारी इज़ाफा हुआ है। इन हालातों में सरकार और प्रशासन द्वारा, पर्यटन विकास के साथ-साथ भगवान श्रीराम पर शोध कार्य को भी लेकर कई तरीके की नवीन योजनाएं बनाई जा रही है।
श्रीराम पर रिसर्च वर्क करने के लिए देश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी अवध में होगी
साल 2005 में अन्य कोई लाइब्रेरी न होने की स्थिति में डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में ‘श्रीराम शोध पीठ’ की स्थापना की गई थी। यहीं से राम पर रिसर्च करने वाले स्टूडेंट्स पीएचडी की डिग्री हासिल कर रहे हैं। वर्तमान में अवध यूनिवर्सिटी ‘श्रीराम शोध पीठ’ देश की सबसे बड़ी लाइईब्रेरी स्थापित करने वाली है। जिसमें भगवान राम संबंधी सभी भाषाओं की किताबें, ग्रंथ, विभिन्न भाषाओं की रामायण और पाडुलिपियों को संकलित करते हुए राम के आदर्शों और जीवन चरित्र का सही ढ़ग से अध्ययन किया जा सकेगा।
आदिकाल से चले आ रहे सिक्कों का भी संग्रहालय बनाया जाएगा
‘श्रीराम शोध पीठ’ के समन्वयक प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह (Ahay Pratap Singh Co Ordinator of Shri Ram Shodh Peeth) के अनुसार – “‘श्रीराम शोध पीठ’ देश का पहला रिसर्च सेंटर है, जहा प्रभु श्रीराम पर रिसर्च हो रही है, वर्तमान में यहां देश की सबसे बड़ी लाइब्रेरी बनाने पर विचार किया जा रहा है, इतना ही नही उत्तर प्रदेश में जिस भी काल के अभी तक सिक्के मिले हैं, उनको संग्रहित करते हुए उनका म्यूज़ियम बनाने की दिशा में भी काम चल रहा है”
‘श्रीराम शोध पीठ’ के विस्तार व प्रांगण में राम मंदिर बनने की भी है संभावना
प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह का कहना है कि – “हमारा प्रयास है कि प्रदेश सरकार से आर्थिक सहयोग मिलने की स्थिति में ‘श्रीराम शोध पीठ’ के प्रांगण में एक राम मंदिर बनवाया जाये और पीठ का विस्तार भी करवाया जाये, ताकि जब भी श्रृद्धालु अयोध्या में रामलला के दर्शन को आयें तो एक बार डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के श्रीराम शोध पीठ को देखने भी अवश्य आयें। जिससे उनको भगवान राम से संबंधित पुस्तकों, ग्रंथों और रामायण का ज्ञान मिलेगा साथ ही पुराने सिक्कों के ज़रिये वे प्राचीन सभ्यता को भी समझ सकेंगे।“