शिक्षा की ज्योत से बच्चों की जिंदगी प्रकाशित करने व उनके सपनों को पंख देने का एक प्रयास है “शुरूआत-एक ज्योति शिक्षा की”
अशिक्षा हर समस्या की जननि है ! अशिक्षा के अंधियारे में बेहतर जीवन की परिकल्पना कतई नहीं की जा सकती ! अशिक्षा जैसी गहरी समस्या को दूर करने के लिए उत्तरप्रदेश के प्रयागराज के रहने वाले 20 युवाओं की टीम ने आज से लगभग 3.5 वर्ष पूर्व एक मुहिम की शुरूआत की “शुरूआत-एक ज्योति शिक्षा की” ! इसके तहत इन्होंने झुग्गी-झोपड़ी , स्टेशन , फूटपाथ पर रह रहे गरीब , सुविधा से वंचित व पिछड़े बच्चों को पढाना शुरू किया ! यह टीम अपनी मेहनत से निरन्तर शिक्षा का लौ जलाकर बेहद प्रभावी ढंग से बच्चों की जिंदगी प्रकाशित कर रहे हैं ! रेलवे स्टेशन , फूटपाथ व स्लम क्षेत्रों में कुल चार शिक्षा केन्द्रों की स्थापना कर 150 बच्चों की पढाई करवा रहे हैं ! वे लोग इन केन्द्रों को विद्यालयी संरचना के रूप में चलाते हैं ! चूकि पिछड़े वर्ग से आने वाले बच्चों के पास संसाधन का अभाव होता है इसलिए इन बच्चों की पढाई की पूरी जिम्मेदारी इन टीम के सदस्यों पर होती है !
Logically से बात करते हुए टीम सदस्यों ने बताया कि समाज के पिछड़े व शोषित बच्चों में शिक्षा संचार का कार्य कुछ लोगों से संभव नहीं है ! इसके लिए समाज के सक्षम लोगों को भी आगे आना होगा ! लोगों को जोड़ने व उनके इस कार्य में भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु 2018 में इनलोगों ने एक मुहिम की शुरूआत की
दीजिए एक बच्चे को शिक्षा ,जिससे कोई बच्चा ना माँगे भिक्षा !
इस मुहिम के तहत अब तक 60 व्यक्ति जुड़ चुके हैं और उन लोगों ने “शुरूआत” के चारो केन्द्रों में पढ रहे कुल 150 बच्चों में से 130 बच्चों को निजी विद्यालयों में पढाने की पूरी जिम्मेदारी ले ली है !
उच्च शिक्षा व बच्चों के लक्ष्यों पर फोकस
संस्थान में पढ रहे बच्चों के लक्ष्यों का खासा ध्यान रखा जाता है ! जो बच्चे जिस क्षेत्र में जाना चाहते हैं चाहे वह पढाई का हो , खेल का हो , तकनीक का हो , बच्चों को उसके अनुरूप पढाई व प्रशिक्षण दिया जाता है ! विद्यालयी पढाई पूरी करने के बाद उनकी उच्च शिक्षा की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है ताकि उन्हें सपनों को पूरा करने में कोई रूकावट पैदा ना हो !
महिलाओं की भागीदारी व प्रौढ शिक्षा
यह टीम महिलाओं को शिक्षा के माध्यम से सशक्त करने व उनके उत्थान हेतु हमेशा तत्पर रहती है ! टीम के सदस्यों ने बताया कि उनके द्वारा पढाए जा रहे कुल 150 बच्चों में से 110 लड़कियों की संख्या है ! प्रौढ शिक्षा के अंतर्गत ये लोग उम्रदराज लोगों को भी पढाते हैं जो पढने में इच्छुक होते हैं ! इनके इस कार्य की सफलता का द्योतक 70 वर्षीय राधा दादी हैं जिनमें जागृत पढाई की रूचि को टीम ने सराहा और इन्हें पढाना शुरू किया ! टीम के प्रयास के फलस्वरूप आज राधा दादी एक सफल शिक्षिका हैं !
उद्देश्य:-Logically से बात करते हुए टीम के सदस्यों ने अपने उद्देश्य के बारे में बताया कि आज के परिवेश और जीवन में सिर्फ पुस्तकी पढाई और परंपरागत पढाई करवाकर बड़ा परिवर्तन नहीं लाया जा सकता है ! शिक्षा में व्यवहारिकता लाना होगा ताकि शिक्षा से दूर बच्चों में पढाई की गहरी रूचि जागृत किया जा सके व प्रयोगात्मक शिक्षा जिसके माध्यम से बच्चों को नए-नए स्किल सिखाकर विभिन्न क्षेत्रों में उनकी काबिलियत को पंख दिया जा सके ! व्यवहारिक व प्रयोगात्मक शिक्षा से बच्चों को शिक्षित कर उन्हें इस काबिल बनाना कि वे सफलता के गगन में ऊँची से ऊँची उड़ान उड़ सकें !