शिक्षा हीं एक ऐसा माध्यम है, जो हमें सफलता की ओर अग्रसर करता है तथा संसार में हमें श्रेष्ठ बनाता है। इसी शिक्षा को प्राप्त करने के लिए हमारे देश के ना जाने कितनी युवाओं ने कितनी परेशानियों का सामना किया है, लेकिन सभी मुसीबतों को पार कर आज वह ऐसा मुकाम प्राप्त कर चुके है कि वह अन्य लोगों के लिए प्रेरणा के पात्र बन गए हैं। कुछ लोगों को पढ़ाई का ऐसा जनुन होता है कि वह इसके लिए किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं। – Shyam Rankawat walk 15 kilometers to study himself, now he giving free education to poor children by opening a school Duggu ki Pathshala.
15 किलोमीटर दूर पैदल चलकर प्राप्त किए शिक्षा
ज्यादातर छात्र एक बार असफल होने पर पढाई ही छोड़ देते है, लेकिन कुछ ऐसे भी है जो अपनी असफलता से हार मानने के बजाए आगे बढ़ते है। दरसल आज हम श्याम रांकावत (Shyam Rankawat) की बात कर रहे है, जिसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब होने के बावजूद भी उनके परिजनों ने खूब मेहनत करके उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाई l श्याम शिक्षा प्राप्त करने के लिए हररोज़ 15 किलोमीटर दूर पैदल चलकर पढ़ने जाते थे।
मां और बड़ी बहन मजदूर कर श्याम को पढ़ाए
आपको बता दे कि 1 महीने की उम्र में श्याम (Shyam Rankawat) अपने पिता को खो दिए, जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल खराब हो गई। किसी भी तरह उनकी मां और बड़ी बहन कड़ी मेहनत कर परिवार का गुजारा करती थी, लेकिन उन्होंने श्याम के पढाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनका मानना था कि अगर श्याम अच्छी पढ़ाई करेंगे, तो उनकी गरीबी मिट जाएगी तथा वह दूसरे गरीब लोगों को भी शिक्षित कर सके।
गरीब बच्चों की सहायता करने का किया संकल्प
बहन और मां कि उम्मीद पर खड़े उतरने के लिए श्याम ने भी कम मेहनत नहीं की, उन्होंने पढ़ने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। वह स्कूल की पढ़ाई के लिए 15 किलोमीटर दूर पैदल चलकर पढ़ने के लिए जाते थे l पढ़ाई पूरी कर वह माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक बन गए और शिक्षक बन कर उन्होंने गरीब बच्चों की सहायता करने का फैसला किया। उसके बाद श्याम सुमेल गांव के बढ़िया में Middle Class तक English Medium की Free Education देने लगे। – Shyam Rankawat walk 15 kilometers to study himself, now he giving free education to poor children by opening a school Duggu ki Pathshala.
“डुग्गू की पाठशाला” नामक स्कूल की स्थापना
श्याम गरीब और पिछड़े बच्चों को Free Education देने के लिए एक स्कूल खोले, जिसका नाम उन्होंने ” डुग्गू की पाठशाला ” रखा है। वह इस स्कूल में 3 घंटे पढ़ाते हैं और उसके बाद गांव के लोगों को Bank तथा Stock Market की भी जानकारी देते हैं ताकि उन्हें Bank और Stock Market के बारे में पूरा ज्ञान हो। श्याम का मानना है कि बच्चों की नींव बचपन से हीं मजबूत होनी चाहिए क्योंकि नींव मजबूत होगी तब हीं आगे चल कर पढ़ाई में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी।
श्याम के दोनो बेटे भी स्कूल में पढ़ाते है
आपको बता दें कि श्याम के पोते का नाम डुग्गू (Duggu) है इसीलिए उन्होंने अपने स्कूल का नाम अपने पोते के नाम पर ही “Duggu Ki Pathshala” रख दिया है। श्याम के दो बेटे हैं, उनका एक बेटा बैंक में नौकरी करता है और दूसरा Stock Market से संबंधित कार्य करता हैं। श्याम के दोनो बेटे भी उनके साथ ” Duggu Ki Pathshala” में गरीब बच्चों को पढ़ाते है। यह तीनों मिलकर बच्चों को आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार करते है।
बच्चों को दी जाती है मुफ्त में किताबें
डुग्गू की पाठशाला में पढ़ने के लिए छात्रों की भर्ती Super 30 Group से होती हैं। इस पाठशाला में ज्यादातर गरीब तथा कमजोर आय वर्ग के बच्चे शामिल हैं l इस स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों को खेल सामग्री , पाठ्यसामग्री तथा इंग्लिश स्पोकन की किताबें दी जाती हैं ताकि उनकी पढ़ाई अच्छे से हो पाए। बहुत से बच्चों की घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वह पढ़ने के लिए किताबें खरीद सकते, तो इस प्रकार के बच्चों को यहां पर मुफ्त में किताबें दे दी जाती हैं और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दिया जाता है। – Shyam Rankawat walk 15 kilometers to study himself, now he giving free education to poor children by opening a school Duggu ki Pathshala.