Sunday, December 10, 2023

खुद का पॉकेट मनी जमा कर गरीब बच्चों को कपड़े और पढ़ने का समान दे रहे हैं यह युवा: सिद्धम

यदि मन में किसी के प्रति सच्ची भावना हो तो किसी की मदद कभी भी और कहीं भी की जा सकती है। सहायता करने के कई तरीके और रूप होते हैं। कुछ लोग गरीबों को खाना खिला कर मदद करतें हैं तो वहीं कुछ लोग पढ़ने वाले बच्चों की मदद करतें हैं। आपने कहानियां तो बहुत सुनी होगी लेकिन यह कहानी अलग है। आइए आज हम आपकों एक ऐसी संस्था से रुबरु करवाते हैं जो गरीब बच्चों के लिये जरुरी और मुलभुत साधनों को मुहैया करवाते हैं।

"सिद्धम" नाम का एक सेवा संगठन है। इस संगठन की शुरुआत राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर के रहनेवाले कुछ युवाओं ने मिलकर की है। उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने वाले कुछ छात्रों ने इस पहल की शुरुआत साल 2016 में की था। इन सभी छात्रों के नाम इस प्रकार हैं:- अभिजित सिंह, सिद्धार्थ सोनी, नरेंद्र सिंह नरुका, गौरव वर्मा, भगवती लाल, प्रद्युम्न सिंह, हर्षवर्धन सिंह चौहान, गजेंद्र सिंह और प्रियांशु सिंह। ये सभी छात्र कॉलेज से पास हो गयें है लेकिन इनकी यह कोशिश अभी भी जारी है। इन छात्रों से प्रेरित होकर कुछ और भी लोग इस मुहीम से जुड़ गये हैं। 

उदयपुर (Udaipur) के बारे में तो हम सभी जानतें ही हैं। यह शहर टूरिज़्म के लिये एक बेहतर विकल्प है। यहां का दृश्य बहुत ही लुभावना है लेकिन इस शहर के आसपास के गांवों की स्थिति अच्छी नहीं है। सिद्धम अभियान के बारें में सिद्धार्थ सोनी (Siddhartha Soni) ने बताया कि कॉलेज के दिनों में वह अक्सर उदयपुर के आसपास के जगहों पर घुमने के लिये जाते थे। एक ट्रिप पर वह ढिंकली गांव गयें थे। वहां वे लोग घुमते हुए उस गांव के सरकारी स्कूल में चले गयें। वह समय शीत ऋतु का था। उनलोगों ने स्कूल के बच्चों से बातचीत की। सिद्धार्थ और उनके दोस्तों ने देखा कि स्कूल के बच्चों के पैरों में चप्पल, जुता नहीं था। यहां तक की कितने बच्चों ने स्वेटर तक अर्थात गर्म कपड़े भी नहीं पहने हुयें थे। यह सब देखकर सिद्धार्थ और उनके मित्रों ने निश्चय किया कि वे सब थोड़े-थोड़े पैसे एकत्र कर उन बच्चों के लिये गर्म कपड़े और जुते, चप्पल लेकर आयेंगे। 

करीब 2 महीने बाद सिद्धार्थ अपने ग्रुप के साथ 35 जोड़ी जूते लेकर उस स्कूल में दुबारा गयें और बच्चों में बांट दिया। जूते देखकर बच्चे बहुत ख़ुश हुयें। बच्चों की खुशी देखकर उनलोगों ने इस काम को बरकरार रखने का फैसला किया और इस मुहीम को सिद्धम नाम दे दिया। इस मुहीम के द्वारा उनका लक्ष्य जरुरतमंद बच्चों की मदद करना था।

इस अभियान की शुरुआत ढिंकली (Dhinkali) गांव से हुई था लेकिन आज वर्तमान में यह अभियान 11 गांवों तक पहुंच गया है। इन 11 गांवों में 20 सरकारी स्कूल का दौरा हो चुका है।

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इस मुहीम के बारें में उन्होंने आगे बताया कि आरंभ में बच्चों को यूनिफॉर्म, स्टेशनरी, जूते-चप्पल जैसी और भी अन्य सुविधाएं उप्लब्ध कराया गया। उसके बाद बच्चों से बातचीत करने के बाद उनके अन्य परेशानियों के बारें में जानकारी मिलती थी। उदाहरण के लिये पानी और बिजली की सही ढंग से व्यवथा नहीं थी। उन्होंने बताया कि कुछ बच्चे मिड-डे मिल की भी शिकायत करतें थे।

इन सभी समस्याओं से निपटने के लिये सिद्धम टीम ने स्कूल प्रशासन और जरुरत के मुताबिक ग्राम पंचायत से भी बात-चीत की। सिद्धम के कोशिश के वजह से लगभग 5 स्कूलों में बिजली की उचित व्यवस्था किया गया। उसके बाद उनके द्वारा स्कूल के मिड-डे मिल की क्वालिटी की जांच-पड़ताल शुरु हो गई। स्कूल प्रशासन को बच्चों के सही खाने-पीने को लेकर जागरुकता अभियान भी चलाया गया। इतना ही नहीं सिद्धम ग्रुप के द्वारा हेल्थ चेकअप कैंप भी लगाया जाता है।

सिद्धम ग्रुप की कोशिश का विस्तार स्कूल के बाद गांव के कच्ची बस्तियों तक हो गया है। इस ग्रुप का कहना है कि कई बार वह बच्चों के पेरेंट्स से मिलतें हैं और समझाते हैं कि बच्चों की शिक्षा बहुत जरुरी है। बच्चों को स्कूल जाने से नहीं रोकना चाहिए। यह बच्चे ऐसे जगह से आते हैं जहां आज भी लोग जंगल से लकड़ियां चुनकर उसे बेचते हैं और उसी से अपना जीवन-यापन करतें हैं। सिद्धम ग्रुप चाहता है कि शिक्षा के प्रति बच्चों का रुझान बढ़े ताकी बच्चें स्कूल से कॉलेज तक की शिक्षा ग्रहण कर सकें। वह बच्चों से कहतें हैं कि यदि वे सब मन लगाकर पढ़ाई करेंगे तो उनका कॉलेज में भी दाखिला करवाया जायेगा।

फंडिंग के बारें में उनका कहना है कि पहले इस टीम के मेम्बर अपने पॉकेट से बचत किया करते थे। अब टीम के फंडिंग के अलावा क्राउडफंडिंग भी किया जाता है।

सिद्धार्थ का कहना हैं कि बहुत से गांवों में उन्हें अपने काम के दौरान लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता हैं। सभी गांवों में कुछ दबंग या नेता बने लोग घूमते रहतें हैं और उनका कहना होता है कि यदि कुछ करना है तो पहले अनुमति लेना पड़ेगा तब कार्य होगा। कई बार गांव के सरपंच भी परेशान करतें हैं। वह कहतें हैं यदि गांव में कुछ बांटना है तो हमें बुलाईये और हमारा सम्मान कीजिये।

सिद्धम ग्रुप बहुत ही नेक कार्य कर रहा हैं। यह बहुत ही सराहनीय है। यदि आप भी सिद्धम ग्रुप से मिलकर दूसरें की मदद करना चाहतें हैं तो आप भी कपड़े, किताबें, स्कूल बैग आदि समान को उन तक पहुंचा सकतें हैं। दिये गये नंबर पर कॉल कर आप उनसे संपर्क कर सकतें हैं। 8955335588, 9649057572 आप उनसे फेसबूक पेज पर भी जुड़ सकतें हैं।

The Logically सिद्धम ग्रुप के नेक कार्य के लिये उन्हें हृदय से नमन करता हैं और अपने पाठकों से अपील करता है कि वह यथासंभव इस अभियान में हिस्सा लें।