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नौकरी छोड़ने के बाद लोगों ने दिए ताने, बंजर जमीन को बना दिया ऐसा कि दूर से देखने आते हैं लोग

कहा जाता है अगर मन में हौसला हो और किसी भी काम को शिद्धत और लगन से करने की ठान लिया जाए तो वह काम अंततः सफल हो ही जाता है। आज हम आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बताएंगे जो व्यक्ति अपनी अच्छी खासी नौकरी को छोड़ देता है और गांव में आकर अपने बंजर जमीन में तालाब खुदवा कर उसी में मछली पालन करके लाखों रुपए की कमाई करने लगता है।

सिद्धार्थ राय (Sidharth Ray)

सिद्धार्थ राय (Sidharth Ray) उत्तरप्रदेश (Uttarpradesh) के गाजीपुर (Gazipur) के रहने वाले हैं। वह एक मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं। सिद्धार्थ के पिता के मृत्यु पहले ही हो गई थी। सिद्धार्थ के मां ने इन्हें पढ़ाया-लिखाया और अपने पूरे परिवार को संभाल कर रखा। सिद्धार्थ राय ने 2012 में एमबीए किया। वह पढ़ने लिखने में काफी तेज तर्रार थे। इन्हें गोल्ड मेडल भी मिला एमबीए कर लेने के बाद सिद्धार्थ को मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब मिल गई। सिद्धार्थ इस मल्टीनेशनल कंपनी में 2 साल काम करने के बाद इन्हें रेलवे भवन में नौकरी लग गई। और इस नौकरी में इन्हें अच्छी खासी तनख्वाह मिल रही थी लेकिन सिद्धार्थ को यह काम करने में मन नहीं लग रहा था। इन्होंने 5 साल इस नौकरी को किया। इसके बाद फिर वह इस नौकरी को छोड़कर अपने गांव वापस आ गए। सिद्धार्थ अपने गांव आकर के अपने बंजर जमीन पर कुछ अलग करने के बारे में सोच लिया।

उन्होंने अपने बंजर जमीन पर तालाब खुदवाया और दो गाय भी पाल लिए। सिद्धार्थ के इन सब चीजों को देखकर गांव के लोगों ने इनका काफी मजाक उड़ाया। इनके परिवार वाले भी इनका यह काम देख कर के काफी असंतुष्ट थे। इनके परिवार वाले इन्हें काफी ताने मारते थे। वे कहते थे कि एक गोल्ड मेडलिस्ट बेटा गोबर उठा कर के परिवार के इज्जत खराब कर रहा है। परंतु सिद्धार्थ के मन में तो कुछ अलग ही चल रहा था। उन्होंने ठान लिया था कि हमें अपने जिंदगी में कुछ अलग करना है। इसीलिए उन्होंने लोगों की बात को अनसुना करके अपना कदम बढ़ाते चले गए।

सिद्धार्थ (Sidharth Ray) बताते हैं कि सिर्फ पैसा कमाना ही जिंदगी का मकसद नहीं होता। मेरे पास अच्छी खासी नौकरी थी और हम अच्छे पैसे कमा रहे थे। मेरे घरवाले मेरे नौकरी से काफी खुश थे परंतु हम अपनी जिंदगी में कुछ ऐसा बदलाव करना चाहते थे। जिससे मेरे काम से लोगों का भला हो। मेरे दिमाग में कुछ ऐसा चल रहा था। इसीलिए हमने साल 2019 में नौकरी छोड़ दी। और अपने गांव वापस आकर इस बंजर जमीन पर अपना कारोबार शुरू कर दिया।

सिद्धार्थ (Sidharth Ray) बताते हैं कि वे अपनी बंजर जमीन पर एक छोटे से हिस्से में तालाब खुदवाया और उस तालाब में कुछ मछलियां डाल दिए। इसी तालाब के बगल में एक झोपड़ी बनवाई जिसमें दो गाय खरीद कर इन झोपड़ियों में बांध दिए। इन सब चीज को देख कर के हमारे घर वाले और गांव के लोग हमें पागल कहने लगे। वे लोग कहते थे कि मेरे दिमाग में गोबर भरा हुआ है। जिसकी वजह से मैंने अच्छी खासी नौकरी को छोड़ कर के यहां गांव में आकर गोबर उठा रहा हूं। परंतु मैंने उन लोगों की बात को ना तो बुरा माना‌ और ना ही उन लोगों की बातों पर मैंने ध्यान दिया। मुझे पता था कि हम क्या कर रहे हैं और यह करने से हमें क्या लाभ हो सकता है। अपने मन में हौसला लेकर हम अपने काम को करते रहे।

उन्होंने बताया कि मुझे आगे चलकर पता चला कि तालाब में सिर्फ मछली पालने से कुछ नहीं होगा। मछली पालने के अलावा मुझे और भी कुछ करना पड़ेगा। मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि तालाब में मछली पालने के साथ-साथ बत्तख भी पाल सकते हैं और बत्तख के अंडे से अच्छी कमाई हो सकती है। सबसे खास बात यह है कि बत्तख पालने से बत्तख के बेस्ट से मछलियों को भोजन भी मिल जाएगा और पानी भी साफ रहेगा। इसके लिए मुझे अलग से पैसा खर्च करना नहीं पड़ेगा। फिर मैंने तालाब में बत्तख पालने का काम शुरू कर दिया। बत्तख पालने से मुझे काफी फायदा हुआ और कमाई भी अच्छे होने लगी।

सिद्धार्थ (Sidharth Ray) ने बताया कि इस काम को करने से मुझे अच्छी आमदनी हो रही थी मेरे तलाब में मछली बत्तख तो थे ही इसके अलावा गाय की भी संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी जिसकी वजह से मुझे अच्छी आमदनी हो रही थी परंतु सब कुछ अच्छा चलने के बाद बीच में कोरोना आ गया जिसकी वजह से सब कुछ बंद हो गया। कोरोना काल में कुछ दिनों तक मैं काफी परेशान रहा परंतु कुछ दिनों के बाद इस परेशानी का हल भी निकाल लिया। इन्होंने बताया कि कोरोना के समय में लोग बाहर की चीजों को खाने से काफी डरते थे जिसकी वजह से लोग बाहर से कोई भी सामान नहीं लाते थे, खास करके दूध। फिर मैंने अपनी गाय के दूध को कांच की बोतलों में पैक करके होम डिलीवरी शुरू कर दी। मेरी यह तरकीब चल गया और लोग हमसे दूध खरीदने लगे फिर मैंने खुद की गाय के दूध के अलावा दूसरे किसानों से भी दूध लेकर के अपना व्यवसाय बढ़ाया। मेरी कमाई अच्छी होने लगी। इसके साथ साथ मैं जीन किसानों से मैं दूध लेता था जिससे उनकी भी आमदनी होने लगी। सिद्धार्थ बताते हैं कि मेरे पास 18 गाय हैं। और मेरे से लगभग 122 से भी ज्यादा किसान जुड़ चुके हैं और मैं हर दिन सैकड़ों लीटर दूध की मार्केटिंग करता हूं।

सिद्धार्थ (Sidharth Ray) बताते हैं कि मैंने अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ाने के बारे में सोच लिया उन्होंने बताया कि मुझे पशुओं से काफी लगाव था। मैं मछली, बत्तख, गाय के साथ-साथ बकरी घोड़ा ऊंट भी रख लिया इन सब पशुओं को पाल लेने के बाद मैंने अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाया लोग हमारे गांव में छुट्टियां मनाने आने लगे। लोग जब अपनी छुट्टियां हमारे गांव में मनाने आते थे तब वे लोग मछलियों और बत्तख उनको दाना खिलाते थे और घुड़सवारी भी करते थे। फिर मैंने सोचा की इन सब से हमें अपनी कमाई का जरिया और भी बढ़ जाएगा तो मैंने हर चीज के लिए टिकट का रेट फिक्स कर दिया। और मुझे इससे आमदनी होने लगी धीरे-धीरे लोगों के हमारे इस व्यवसाय के बारे में पता चला तो लोग अलग-अलग जगह से आते थे। जब मैंने देखा कि लोग हमारे इस चीज को देखने के लिए काफी दूर से आ रहे हैं और काफी मात्रा में आ रहे हैं तो मैंने इन लोगों के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन में बदलने के बारे में सोच लिया। इसके बाद मैंने तालाब के बीच में एक मकान बनवाया और उस मचान को अच्छे से सजा दिया। जिससे लोग उसे देखकर काफी आकर्षित होने लगे और अपने बर्थडे पार्टी एनिवर्सरी मनाने यहां आने लगे लोगों का यह सेलिब्रेशन प्वाइंट बन गया।

सिद्धार्थ (Sidharth Ray) बताते हैं कि शहर के लोग होटल मैरिज गार्डन जैसे जवानों को छोड़ कर के जंगलों या पहाड़ों में शादियां करने जा रहे हैं। तब मुझे दिमाग में आया कि मैं भी इस जगह को वेडिंग डेस्टिनेशन मैं डेवलप कर सकता हूं। इसके बाद मैंने तालाब के आसपास एक वेडिंग डेस्टिनेशन बनाया। इस वेडिंग डेस्टिनेशन को बनाने में मैंने नित्या सीमेंट का इस्तेमाल ना करके इसे नेचुरल तरीके से मैरिज हॉल में तब्दील कर दिया। यह देखने में काफी आकर्षित सुंदर लग रहा था। जिसकी वजह से लोग यहां शादियां करवाने आने लगे। हमारे यहां देश के अलग-अलग राज्यों से लोग शादियां करवाने आते हैं। जिससे मुझे अच्छी खासी कमाई हो जाती है। और अब इस जगह को बुकिंग करने के लिए लोगों को पहले से ही बुकिंग करना पड़ता है।

इसके साथ साथ सिद्धार्थ (Sidharth Ray) ने यहां एक नेचुरल तरीके से रेस्टोरेंट भी खोल रखा है। इस रेस्टोरेंट में जैविक तरीके से खाना बनाया जाता है। लोग दूर-दूर से इस रेस्टोरेंट में खाना खाने आते हैं और इस खाने से निकले वेस्ट का इस्तेमाल बत्तख और मछलियों के भोजन के लिए किया जाता है। सिद्धार्थ ने 2 बीघे जमीन को एक गांव के रूप में बदल दिया है और इस गांव का नाम खुरपी रखा है। इस गांव में बहुत सारी सुविधाएं मिलती है। इन सब चीजों के साथ साथ वे दूध, घी, मिट्टी के बर्तन जैसे प्रोडक्ट की मार्केटिंग यहीं से करते हैं।

सिद्धार्थ (Sidharth Ray) बताते हैं कि हम अपनी इस कमाई से बेसहारा लोगों की सेवा करते हैं। हमने गरीब लोगों को बुजुर्ग और अनाथ बच्चों को रहने के लिए घर भी बनवा रखा है और इन लोगों को यहां अच्छे तरीके से देखरेख की जाती है। इसके अलावा हमने हे प्रभु की रसोई भी बनवा रखी है जिसमें हम प्रतिदिन गरीब लोगों को फ्री में खाना खिलाते हैं और उनके रहने का व्यवस्था भी फ्री में होता है। हम प्रतिदिन प्रभु की रसोई से लगभग 500 लोगों का खाना मुफ्त में देते हैं।

सिद्धार्थ (Sidharth Ray) बताते हैं कि हमारे लोग गरीबों को रेलवे स्टेशन झुग्गी झोपड़ी में जाकर भोजन देते हैं इसके अलावा हम अनाथ बच्चों को पढ़ाई लिखाई तथा और भी अन्य चीजों का खर्च हम खुद करते हैं।

सिद्धार्थ राय (Sidharth Ray) को यह काम देखते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और यूपी के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी उनकी काफी तारीफें कर चुके हैं और सिद्धार्थ राय को इस काम को करने के लिए कई बड़े सम्मान और पुरस्कार भी मिला है।

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