स्वस्थ्य जीवन जीने के लिये जैविक और मूलभुत भोजन बहुत आवश्यक है। भोजन सभी प्रकार के जीवों के जीने का आधार है। आजकल हर कोई खुद का व्यवसाय करना चाहता है। कई लोग अपने व्यवसाय के जरिए लोगों की मदद भी कर रहे हैं और अच्छी-खासी कमाई भी कर रहें हैं।
आज हम आपको ऐसी ही एक रोचक कहानी बताने जा रहें हैं। इस कहानी के पात्र ने 3 लाख रूपये की बचत कर एक ऑर्गेनिक फूड कंपनी की शुरुआत की और आज उससे 40 लाख का टर्नओवर हो रहा है।
यह कहानी है सिद्धार्थ संचेती की। इन्होंने जब खेतों का दौरा किया तो उन्हें मिट्टी की गुणवत्ता में भारी कमी देखने को मिली। इस घटना ने उन्हें जैविक खेती व्यवसाय शुरु करने के लिये मजबुर किया, जो स्थायी रूप से स्वस्थ कृषि खाद्य पदार्थों का उत्पादन करता है।
सिद्धार्थ संचेती ने वर्ष 2009 में एग्रोनिक फूडस की शुरुआत की। यह एग्रोनिक फूड्स जोधपुर में स्थित है। यह कम्पनी 40 हजार किसानों के साथ संगठित ऑर्गेनिक फार्मिंग करने में सक्षम है। यह कंपनी ऑर्गेनिक रूप से उगाये जाने वाले मसालों, जड़ी-बूटियों, अनाजों, मैदा, कोल्डप्रेस्ड तेलों की सीरीज का प्रोडक्शन करती है।
सिद्धार्थ ने बताया कि उस समय ऐसा करने वाली अधिक कंपनिया नहीं थी। वर्तमान में वह 40 हजार किसानों के साथ मिलकर जैविक खाद्य उत्पादन के लिये काम करतें हैं। उनके उत्पाद केवल केरल जैविक उत्पादों और हार्वेस्टर से आता है। जो सब प्रमाणित होता है और मिट्टी की प्रोफाइल और जीव विविधता को संरक्षित करने में भी सहायता करता है।
योरस्टोरी के साथ सिद्धार्थ संचेती के इंटरव्यू की एक झलक।
YS: कम्पनी को शुरु करने के लिये संसाधनों को कैसे इकट्ठा किया? और इसमें कितना निवेश किया?
इस सवाल के जवाब में सिद्धार्थ ने कहा कि शुरु के 3 वर्ष बहुत संघर्ष भरा था। लोगों को इस बारें में जानकारी नहीं थी कि यह क्या है। इस कार्य के लिये सोर्सिंग, सर्टिफ़िकेट, ट्रांसपोर्टेशन आदि कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।
YS: एग्रोनिक का बिजनेस मॉडल क्या है?
सिद्धार्थ ने इसके जवाब में बताया कि हमारा पहला कदम पारंपरिक से जैविक और एक किसान सहकारी समिति जे गठन से भूमि का रुपांतरण है। अपनी उपज का उत्पादन खेत स्तर से होता है। इसके बाद, किसानों को बड़े स्तर पर प्रशिक्षित करतें है। किसान मांग के अनुसार फसल को उगाते हैं और उस फसल को हम खरीद लेते हैं। अपनी सुविधाओं में संसाधित करतें है और उन्हें आयातकों, वितरकों के लिये पैक किया जाता है।
उन्होंने बताया कि वे ‘बिना किसी सवाल’ वाली रिटर्न पॉलिसी पर कार्य करतें है। ग्राहक गुनवता के सम्बंध में किसी भी उत्पाद को वापस कर सकता है। यह रिटर्न लिसी सभी उनके सभी खरीददारों के लिये लागू है।
YS: आपके भिन्न-भिन्न ऑर्गेनिक फूड प्रॉडक्ट्स कौन-कौन से है और वे सभी दूसरों से भिन्न क्यूं है?
इस सवाल के जवाब में संचेती ने कहा कि वे ऑर्गेनिक रूप से उगाये जाने वाले मसालों, जड़ी-बूटियों, अनाजों, मैदा, कोल्डप्रेस्ड तेलो आदि का निर्माण करतें है। इसके साथ ही बतया कि उनके जैविक खेती प्रक्रिया किसी भी रासायनिक और सिंथेटिक उर्वरकों और संरक्षक का उपयोग नहीं करती है। प्रक्रिया पूरी तरह से स्वस्छ है और हर कदम पर निगरानी रखी जाती है। उन्होंने कहा कि हमारे पास BRC और HACCP जैसे कई खाद्य और गुणवत्ता प्रमाणपत्र है। इन सभी कारकों का ध्यान रखते हिये कीमत थोड़ी महंगी है लेकिन ग्राहक बिना किसी संकोच के प्रोडक्ट्स का पेमेंट करतें हैं।
YS: कृषि उत्पाद बढ़ने और किसानों को बेचने से कैसे फायदा होता है।
सिद्धार्थ ने बताया कि हम किसान के पूरे उपज को खरीदते है। इसलिए उन्हें किसी भी बिचौलिये के पास जाने या उन्हें अपनी उपज बेचने की चिंता नहीं करनी चाहिए। बाजार मूल्य के शीर्ष पर एक प्रीमियम का भुगतान किया जाता है जिससे अधिक किसान जैविक खाद्य पदार्थ उगाने के लिये आगे आये।
पारंपरिक खेती में किसान अधिक रासायनों के संपर्क में आने के वजह से उन्हें त्वचा और सांस सम्बंधी बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं। जैविक तरीका प्राकृतिक है और यह किसी भी प्रकार से किसानों को हानी नहीं पहुंचाता है।
YS: आपके लक्षित दर्शक कौन है और उन तक पहुंचने की रणनीति क्या है?
बी 2 बी मोर्चे पर लक्षित दर्शकों में जैविक खाद्य आयातकों, फूड प्रोसेसर, वितरक, खुदरा विक्रेताओं, चाय ब्लेनडर्स, स्वास्थ्य खाद्य भण्डार और खाद्य सेवा उद्योग शामिल है। उन्होंने बताया कि, सोसल मिडिया पर अपनी पोस्ट के माध्यम से ग्राहकों को उसी के बारें में शिक्षित किया जाता है। उन्होंने कहा कि रिटेल के लिये वेबसाइट है और हमारे पास Amazon, Qtrove, MensXP, LLB, TataClip, Luxury और Brown Living की भी मौजूदगी है।
YS: कोरोना वायसर ने एग्रोनिक को कैसे प्रभावित किया और भविष्य की क्या योजनायें है?
इसके जवाब में सिद्धार्थ ने बताया कि ऑर्गेनिक फूड इन्डस्ट्री के लिये, कोविड-19 काफी मौके लेकर आया है। इसके वजह से लोगो ने अपने सेहत पर ध्यान देना शुरु कर दिया है। लेकिन यह बहुत दुख की बात है कि लोगों को सेहत पर ध्यान देने के लिये उन्हें महामारी का सामना करना पड़ रहा।
दुनिया भर में भारतीय मसालों और जड़ी-बूटियों की मांग कई गुना बढ गईं है
उन्होंने बताया कि, 2020-21 में 100%, 2021-22 में 60% तथा 2022-23 में 40% की मांग बढ़ने की आशा है। इस वर्ष के किये विस्तार की योजनाओं में भारत में एक नई प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करना सम्मिलित है। संचेती अच्छा वितरण और बाजार में प्रवेश के लिये उत्तरी अमेरिका और युरोप में गोदामों का निर्माण करने की चाह रखते है। इसके साथ ही किसान आधार को 50 हजार तक बढ़ाना और भूमि स्तर पर राज्य सरकारों और गैर सरकारी संगठनों को शामिल करने की भी चाह रखते हैं।