हमारे समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो खुद अपने मिशन में कामयाब नहीं होने के बावजूद भी दुसरो के मिशन में कामयाबी के लिए ढाल बन जाते हैं। आज हम बात करेंगे एक ऐसे शख्स कि जो खुद सेना के लिए मेरिट प्राप्त करने में विफल रहे लेकिन वे दुसरे को सेना में भर्ती के लिए “ओडिशा मैन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट” (Odisha main trainning institute) खोले हुए है। अब वह 70 युवाओं को सेना बलों में भर्ती होने में मदद करते हैं।
कौन है वह शख्स :-
अपने छात्रों द्वारा लोकप्रिय रूप से “नायक सर” कहे जाने वाले “सिलु नायक” (Silu Nayak) मूल रूप से उड़ीसा (Odisha) के रहने वाले हैं। उन्होंने सशस्त्र बलों की परीक्षाओं के लिए युवाओं को तैयार करने में मदद करने के लिए अपने जीवन का मिशन बना लिया है।
कब से लगे हैं अपने मिशन में :-
पिछले पांच वर्षों से “सिलु नायक” (Silu Nayak) ओडिशा (Odisha) के अरखडू (Arkhadu) जिले में एक नदी के किनारे स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर रहे है। अपने छात्रों द्वारा लोकप्रिय रूप से “सिलु नायक” (Silu Nayak) को “नायक सर” (Nayak Sir) कहा जाता है, उन्होंने सशस्त्र बलों की परीक्षाओं के लिए युवाओं को तैयार करने में मदद करने के लिए अपने जीवन का मिशन बना लिया है। इसके लिए उन्होंने ‘महागुरु बटालियन’ ( Mahaguru batalian) संस्थान की स्थापना की है, जो अपने जिले और आस-पास के गाँवों में छात्रों को दाखिला देता है। “नायक” ने स्वयं विभिन्न भारतीय सेना की परीक्षाएँ दीं, लेकिन उत्तीर्ण नहीं हो सके। भले ही उन्होंने “ओडिशा औद्योगिक सुरक्षा बलों” (ओआईएसएफ) के लिए अर्हता प्राप्त की, जो 2016 में ओडिशा पुलिस के अंतर्गत आता है, उन्होंने इसमें शामिल नहीं होने के लिए चुना। उन्होंने तय किया कि सुरक्षा बलों में शामिल होने के बजाय, वह अपने जिले के युवाओं को सशस्त्र बलों की परीक्षाओं की तैयारी में मदद करेंगे। अब तक, उन्होंने 300 युवाओं को प्रशिक्षित किया है, जिनमें से 70 सशस्त्र बलों में शामिल होने में कामयाब रहे हैं। उनके संस्था के छात्रों में से 18 भारतीय सेना में, तीन भारतीय वायु सेना में और छह भारतीय नौसेना में कामयाब हुए हैं बाकी दूसरों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बलों और सीमा सुरक्षा बलों के लिए कामयाबी प्राप्त की हैं।
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खुद के बारे में क्या कहते हैं सिलु नायक (Silu Nayak) :-
अपने बारे में बताते हुए नायक सर कहते हैं कि, जब मैं सशस्त्र बलों की प्रवेश परीक्षा को क्लीयर नहीं कर पाया, तो मुझे लगा कि मेरे गांव में नौकरी के अवसर सीमित हैं, और सेना में शामिल होना उन तरीकों में से एक है जिसके माध्यम से हम सुरक्षित नौकरियां प्राप्त कर सकते हैं। जब वह प्रवेश परीक्षाओं को पास नहीं कर पाए, तो वह दो से तीन महीने तक लक्ष्यहीन भटकते रहे। हालांकि, कुछ ही समय बाद वह एक अध्ययन योजना लेकर आए, जिससे युवाओं को नौकरियों के लिए ऐसी प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने में मदद मिलेगी।
प्रशिक्षण संस्थान के बारे में बात करते हुए नायक ने कहा, मैं अपने दिन की शुरुआत शारीरिक दक्षता में उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करके करता हूं। मैं यह सुनिश्चित करता हूं कि वे अक्सर खेल खेलें और नियमित रूप से अभ्यास ड्रिल करें क्योंकि इससे उन्हें शारीरिक परीक्षा के दौर को खत्म करने में मदद मिलेगी। मैं उन्हें ‘करंट अफेयर्स’ और ‘सामान्य ज्ञान’ भी सिखाता हूं। दोनों राउंड में अच्छा प्रदर्शन करने से निश्चित रूप से उनके चयन की संभावना बढ़ेगी। इससे उन्हें प्रतियोगिता परीक्षा में आगे रहने में मदद मिलती है।
छात्रों का करते हैं मार्गदर्शन :-
अपने छात्रों में से एक “विकाश मोहंती” (Vikash Mohanti) की कहानी को याद करते हुए नायक बताते हैं कि, वह अपने वरिष्ठ माध्यमिक परीक्षाओं को खत्म करने के बाद क्या करना है इसके बारे में दिशाहीन था। नायक ने सेना की परीक्षा में बैठने से पहले उन्हें दो साल तक प्रशिक्षण दिये। बाद में उन्होंने परीक्षा पास कर ली और अब भारतीय सेना सिग्नल रेजिमेंट में हैं। उनके जिले के छात्र नायक को नौकरी की तैयारी में सहायता करने के लिए आभार व्यक्त करते हैं। “नायक” अपना ज्यादातर समय युवाओं को अपने संस्थान में प्रशिक्षण देने में बिताते हैं। वह सुनिश्चित करते है कि उन्हें कठोर प्रशिक्षण मिले ताकि वे प्रवेश परीक्षा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें। उनके अधिकांश छात्र पड़ोसी गांवों के निवासी हैं और क्लास में भाग लेने के लिए प्रतिदिन आया करते हैं।दूर-दराज के जिलों से आने वाले छात्रों के लिए नायक आवास और भोजन दोनों ही मुफ्त प्रदान करते है।
प्रधानमंत्री “मोदी” (Modi) ने भी कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उनकी प्रशंसा की
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उनकी प्रशंसा की गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मन की बात’ में वर्णित अपनी जीवन कहानी को देखकर नायक अभिभूत हो गये। मोदी से अपनी प्रशंसा सुनकर वह अपने मिशन को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित कि हुए। अब पड़ोसी जिलों के छात्रों ने भी उन्हें पहचानना शुरू कर दिया है और उनकी सराहना करते हैं।वह कहते है कि, मैं अधिक युवाओं तक पहुंचना चाहता हूं और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन करना चाहता हूं।
दुसरे के कामयाबी को अपना लक्ष्य बनाया :-
”नायक” का कहना है कि, वे अपने जिले के युवाओं को प्रशिक्षित करके, उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य पाया है। वह हमेशा एक सामाजिक क्षेत्र में काम करना चाहता थे और एक संस्थान चलाने से उन्हें संतुष्टि महसूस होती है।”