कुछ लोगों का ये मानना है कि हमारे ज़िंदगी में 1 रुपए का क्या महत्व??? 1 रुपए से तो हम ऐसा कोई आवश्यक समान भी नहीं खरीद सकते जिसकी हमें जरूरत है। लेकिन 1 रुपए का महत्व उन बच्चों से पूछिए जो 1-1 रुपए इकट्ठा कर अपने गुल्लक भर लेते हैं और 1 रुपए से हजारों रुपए तक का सफर तय कर लेते हैं। उनके द्वारा इकठ्ठा किया गया ये 1रुपए किसी खजाने से कम नहीं होता।
इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसी महिला से रू-ब-रू कराने वाले हैं जिन्होंने अपने 1 रुपया मुहिम के तहत हजारों बच्चों की जिंदगी खूबसूरत बना दी और उनके जिंदगी में खुशियां बिखेर दी।
हमारे यहां पुराणों से ही एक शिक्षक को गुरु का दर्जा दिया गया है। गुरु वो है जो हमें सही मार्ग दिखाए, लोगों की कद्र तथा इज्जत करना सिखाए और अपने लक्ष्य के पथ पर चलने के लिए अटल रहना सिखाए। लेकिन ये आवश्यक नहीं है कि जो शिक्षक हमें स्कूल या गुरुकुल में मिले वही हमें ज्ञान देंगे, बल्कि जिस व्यक्ति से हमें ज्ञान मिले या फिर जो हमें शिक्षा के महत्व को बताए और पढ़ाई के लिए जागरूक करे वो भी हमारा शिक्षक ही है।
सीमा वर्मा (Seema Varma)
उन्हीं लोगों में से एक हैं सीमा वर्मा (Seema Varma) जो एक शिक्षक तो नहीं लेकिन उनकी तुलना शिक्षक के रूप में किया जाए तो भी कम है। उन्होंने अपने परिश्रम और ज्ञान के बदौलत हजारों बच्चों की जिंदगी संवारी है और उन्हें शिक्षा का महत्व बताकर जिंदगी में कामयाबी के पथ पर अग्रसर रखा है। आइए जानते हैं कि कौन हैं सीमा वर्मा और क्या है उनके “1 रुपया मुहिम” का मतलब।
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— Seema Verma(सीमा वर्मा) (@SimaVerma007) May 11, 2022
सीमा वर्मा (Seema Varma) छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा सम्पन्न करने के बाद वकालत की तरफ जोड़ दिया और वह इसकी पढ़ाई करने में लगी हैं। साथ ही वह उन बच्चों की जिंदगी सवार रही हैं जो कभी पैसे की कमी के कारण अपना पढ़ाई पूरा नहीं कर पाते थे या फिर उन्हें शिक्षा के विषय मे ही पता नहीं था।
आईए जानते हैं इस “1 रुपया मुहिम” के बारे में
दरअसल सीमा वर्मा (Seema Varma) का “1 रुपया मुहिम” गरीब बच्चों की सहायता के लिए है। सीमा वर्मा लोगों से एक रुपए लेकर उसे इकट्ठा करके रखती हैं ताकि इससे जरूरतमंद की सहायता हो सके। उन्होंने अपने “1 रुपया मुहिम” से कई बच्चों की जिंदगी में खुशियां लाई है। इस 1 रुपया को इकट्ठा करके उन्होंने लाखों रुपए की मदद उन बच्चों की है जो कभी उच्च शिक्षा इसलिए हासिल नहीं कर पाए क्यूंकि उनके पास पैसे नहीं थे। उनके इस कार्य के लिए लोग उनकी काफी सराहना भी कर चुके हैं।
सीमा वर्मा (Seema Varma) ने अपने 1 मुहिम से लगभग 5 वर्षों में 14000 से भी अधिक विद्यालयों में बच्चों की पढ़ाई के लिए किताब और कॉपी आदि वितरण करवाया है। वह अपनी पढ़ाई के साथ-साथ 34 विद्यालयों के छात्रों की पूरी जिम्मेदारी उठाती है। उनका ये मानना है कि जब तक ये छात्र 10वीं के बाद 12वीं की पढ़ाई संपन्न कर नहीं लेते तब तक मैं इनका खर्चा उठूंगी।
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कहां से मिला ये “1 रुपया मुहिम” का आइडिया
हलांकि सीमा वर्मा (Seema Varma) का यह कार्य बहुत लोगों को पसंद नहीं आता है और लोग उन्हें भिखारी का तवज्जो देते हैं। परंतु वह लोगों की बातों को नहीं सुनती और उन्हें जो करना होता है वही करती हैं। उन्हें यह 1 रुपया मुहिम का तरकीब “मोहम्मद मदन मोहन मालवीय” से मिला था। वह महामन मदन मोहन मालवीय वही है जिन्होंने एक रुपए चंदा लेकर कर इकट्ठा किया और फिर इससे काशी हिंदू विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया। सीमा ने इस मुहिम की शुरुआत वर्ष 2016 में की थी और शुरुआत में उन्होंने मात्र 395 रुपए इकट्ठा किए थे जिसे उन्होंने एक छात्रा के विद्यालय का फीस जमा किया। उसी वक्त से यह कार्य उन्होंने जारी रखा है और आज हजारों बच्चों की जिंदगी बदल दी है।
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