Saturday, July 6, 2024

भारत का ऐसा एकलौता गांव जहां के महिलाओं को 3 बार मिल चुका है पद्मश्री सम्मान

पेंटिंग वह कला है जिसके माध्यम से किसी भी चीज, इंसान या जीवों की तकलीफ, खुशी और उसकी काबिलियत तक बयां हो सकती है। पेंटिंग के क्षेत्र में मधुबनी पेंटिंग का नाम सभी ने सुना होगा। आज बात मधुबनी पेंटिंग को विश्वपटल पर पहचान देने वाली तीन ऐसी महिलाओं की जिन्होंने खुद की काबिलियत और कौशल से मधुबनी पेंटिंग को एक ब्रांड बना दिया। जीतवारपुर भारत का एकमात्र गांव है जहां की तीन महिलाओं को पद्मश्री सम्मान मिला है।

इनकी पेंटिंग्स देश ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका और अन्य विदेशों में प्रदर्शनी के लिए लगा है। कला के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने के लिए उन तीनों महिलाओं को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आईए जानते हैं उनके बारे में…

sita devi painting

सीता देवी

सीता देवी (Sita Devi) का जन्म सुपौल (Supaul) जिले में हुआ और इनका इंतकाल इनके पीहर जितवारपुर (Jitwarpur) में हुआ। इन्होंने अपनी कला को जगदम्बा देवी (Jagdamba Devi) के साथ मिलकर निखारा। इनका प्रोत्साहन भास्कर कुलकर्णी (Bhaskar Kulkarani) ने किया क्योंकि वह जानते थे कि इनका कार्य अच्छा है और यह आगे बहुत कुछ करेंगी। एक रिपोर्ट के अनुसार इनके परिवार के एक सदस्य ने बताया कि इनकी पेंटिंग विदेशों में प्रदर्शनी के लिए लगी है। इनको अपने कार्य के लिए 1981 में पद्मश्री सम्मान मिला था और वर्ष 2005 में इनका इंतकाल हो गया।

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जगदम्बा देवी गांव की पहली महिला जिन्हें पद्मश्री मिला

जगदंबा देवी (Jagamba Devi) की शादी बहुत कम उम्र में कर दी गई थी। इन्हें कोई संतान प्राप्ति नहीं हुई इस कारण यह अकेले रहकर उब चुकी थीं। इसलिए इन्होंने अपने अकेलेपन को दूर करने के खातिर एक कार्य करना शुरू किया। वह था दूसरों के घरों को डेकोरेट करना। इनके भतीजे ने यह जानकारी दी कि यह लोगों के घर में जाकर शादी, जनेऊ, गृह प्रवेश और शुभ काम के दौरान दीवारों पर पेंटिंग किया करती थीं और इससे जो भी कुछ मिलता है इसे अपना गुजारा करतीं थीं। जब अकाल उपरांत भास्कर कुलकर्णी गांव में आए और वह इनकी कला को देखकर अचंभित रह गये। “इंदिरा गांधी साहित्यिक सलाहकार” पुपुल जयकर ने जगदम्बा के कार्यों को विकसित करने के लिए उनका साथ दिया। वर्ष 1975 में उन्हें पद्मश्री सम्मान प्राप्त हुआ और 1984 में इनका इंतकाल हो गया।

Jitwarpur

बौआ देवी ने पेंटिंग को दिया बङा आयाम

वैसे तो बौआ देवी (Baoa Devi) की शादी मात्र 12 साल की उम्र में ही हुई लेकिन एक बात की खुशी थी कि उनके परिवार वालों ने उनका हर एक कदम पर साथ दिया। जिस कारण वह मधुबनी पेंटिंग के कार्य से जुड़ी रहीं। इन्होंने जानकारी दी कि वर्ष 1970 में उनकी एक पेंटिंग के लिए लगभग डेढ़ लाख रुपए मिला। जब यह ससुराल आईं तो आने के उपरांत वह जगदंबा देवी से मिली और इनके साथ पेंटिंग का कार्य करने लगीं। आगे यह अपनी पिक्चरों को कैनवस पर तैयार करने लगीं। इनकी एक पेंटिंग विश्व प्रसिद्ध हुई, जो अमेरिका में हुए आतंकी हमले का था। इन्होंने इस पेंटिंग गगनचुंबी इमारत को कोबरा से जकड़े हुए बनाया था। इन्हें अपनी कला के लिए पद्मश्री मिला है।

अपनी कला का प्रदर्शन पूरे विश्व में मधुबनी पेंटिंग्स को बृहद आयाम देने वाली तीनों महिलाओं को The Logically नमन करता है।